
बालाघाट में कलेक्टर की त्रुटि, अधिनस्त अधिकारी सस्पेंट , कांग्रेस ने बनाया मुद्दा।
माही की गूंज, झाबुआ
मतदान समाप्ति के बाद रिजल्ट के लिए मतदाताओं को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। आज आखिरी चरण के मतदान तेलंगाना विधानसभा के बाद एग्जिट पोल के परिणाम शाम 6 बजे से प्रारंभ हो जाएंगे। लेकिन उसके बीच दोनों ही दलों के द्वारा अपनी-अपनी जीत के दावे किए जा रहे हैं। इन्ही दावों के बीच बालाघाट के जिला निर्वाचन अधिकारी के द्वारा हुई चूक को कांग्रेस के लिए बड़ा मुद्दा मिल गया है।
कांग्रेस ने डाकमतों में धांधली का आरोप लगा दिया है। इस मामले में चूक हुई अधिकारियों पर निलंबन की गाज भी गिरी है। लेकिन फिर भी परिणामो में अगर कांग्रेस विजय रहती है तो यह मामला ठंडे बस्ते में जा सकता है। वहीं कांग्रेस के लिए विपरीत परिणाम आने पर कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है और इसी मुद्दे पर ईवीएम में भी छेड़खानी का आरोप लगाकर इसे राष्ट्रीय मुद्दा भी बना सकती हैं। चुनाव जैसे संवेदनशील मामले में जिला अधिकारियों द्वारा की गई त्रुटि निश्चित रूप से असभ्य है और ऐसे मामले में चुनाव आयोग को ठोस कार्यवाही करना चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो।
कलसिंह की कलाकारी या वीरसिंह की वीरता
लगभग एक माह पहले तक थांदला विधानसभा कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जा रही थी। यही नहीं टिकट वितरण के बाद कांग्रेस में कोई असंतोष नहीं था। जबकि भाजपा में दो सांसद प्रतिनिधियों ने भाजपा के प्रत्याशी कलसिंह भाभर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। लेकिन भाजपा प्रत्याशी कलसिंह भाभर ने क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क कर न केवल असंतुष्ट को साधने का काम किया, वरन अपने आप को मुकाबले में लाकर भी खड़ा कर दिया। अंतिम तीन दिन के प्रचार के बाद जो राजनीतिक विश्लेषक एक तरफा मुकाबले की बात कर रहे थे सबने अपने सुर बदल दिए और मुकाबला बराबर का बताने लगे। अब हालात यह बन रहे हैं कि, थांदला विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है और मुकाबला कोई भी जीत सकता है।
राजनीति में आपसी संबंध खराब न करें...
चुनाव तो आते जाते रहेंगे और वैचारिक लड़ाई को चुनाव तक ही सीमित रखना चाहिए। चुनाव के बाद थांदला के एक धार्मिक कार्यक्रम में कांग्रेस प्रत्याशी वीरसिंह भूरिया और भाजपा प्रत्याशी कलसिंह भाभर की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कमेंट में कुछ इस तरह की प्रक्रिया सामने आई है और सही भी है। चुनाव तो 5 साल में एक बार आते हैं लेकिन पड़ोसियों और गांव के नागरिकों के संबंध तो आजीवन रहते हैं। राजनीति में वैचारिक मतभेद को मनभेद न मानते हुए चुनावी हार-जीत को स्वीकार करें और व्यक्तिगत संबंध बनाए रखें।
थांदला विधानसभा से कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशी कलसिंह भाभर व वीरसिंह भाभर।