कलेक्टर ने किया तीन प्राचार्य को निलंबित, कड़ी कार्रवाई के लिए संभाग आयुक्त को भेजा प्रतिवेदन
झाबुआ में घटिया सामग्री मिलने और भारी अनियमितता के बाद भी कलेक्टर नही कर सके जिम्मदारो पर कार्रवाई
माही की गूंज, संजय भटेवरा
झाबुआ/रतलाम। झाबुआ जिले से भोपाल के गलियारों तक पहुची घटिया खेल सामग्री सप्लाई मामले में जिला प्रशासन ने भले ही सामग्री सप्लाई करने वाली फर्मों पर मामला दर्ज कर लिया हो, लेकिन यहां विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नही की गई। पुरा मामला अब संदेह के घेरे में आ गया हैं। उसके उलट झाबुआ जिले के कई विकास खण्डों में घटिया खेल सामग्री सप्लाई मामले के बाद जिले की सीमा से लगे, रतलाम जिले में भी खेल सामग्री सप्लाई में भ्रष्टाचार और लापरवाही का मामला सामने आया था। पूर्व कलेक्टर ने मामले की जांच भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नही की गई। जिले में नवागत कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने मामले की समीक्षा करते हुए, जनजाति कार्य विभाग में शाला प्रबंधन एवं विकास समिति अंतर्गत खेल सामग्री क्रय करने में अनियमितता पाए जाने पर जिले के तीन प्राचार्यों को निलंबित कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है।
झाबुआ जिले में उठे मामले के बाद स्थानीय मीडिया ने इस भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए समाचार प्रकाशित कर जिला प्रशासन का ध्यान आकर्षित करवाया था। जनजाति कार्य विभाग में शाला प्रबंधन एवं विकास समिति अंतर्गत रतलाम जिले की विभागीय शैक्षणिक संस्थाओं को खेल सामग्री क्रय किए जाने हेतु उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, प्रति संस्था 25 हजार रुपए की राशि प्रदान की गई थी। प्रदाय आवंटन अनुसार संस्था प्राचार्य को संस्था में अध्ययनरत विद्यार्थियों हेतु नियमानुसार खेल सामग्री का वितरण किया जाना था। संस्था प्राचार्य द्वारा खेल सामग्री क्रय में अनियमितता की जानकारी संज्ञान में आने पर सामग्री का भौतिक सत्यापन करवाकर निरीक्षण करवाया गया, निरीक्षण में अनियमितता पाई गई।
इन स्कूलों के प्राचार्यों को किया निलंबित
इस संबंध में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरवन की प्राचार्य सुश्री प्रीति जैन, शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सेलाना के प्राचार्य पंकजसिंह चंदेल एवं शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरवन के प्रभारी प्राचार्य शिवरमन बोरीवाल को निलंबित कर दिया है। निलंबित प्राचार्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रतिवेदन संभाग आयुक्त उज्जैन को भेजा गया।
कोई टेंडर वर्क नही था फिर सप्लाई करने वाली फर्मों पर कार्रवाई क्यो...? जिला कलेक्टर सोमेश मिश्रा की कार्रवाई पर उठे सवाल
घटिया खेल सामग्री मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कड़े निर्देशो के बाद कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने अपनी चालाकी के ‘‘एक पंत दो काज’’ कर दिए। कलेक्टर मिश्रा ने मुख्यमंत्री को कार्रवाई के नाम पर गुमराह करने के लिए स्कूलों में जिन फर्मों के बिल लगे थे उन पर जिले के अलग-अलग थानों में एफआईआर दर्ज करवा कर मुख्यमंत्री को मामले में कड़ी कार्रवाई करने झांसा दिया। वही दूसरी और सप्लाई के खेल में लगे सत्तापक्षीय नेताओं समेत विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयो पर कोई कार्रवाई नही कर उनको बचा लिया। जबकि सामग्री सप्लाई के लिए सीधे-सीधे कोई सप्लाई फर्म जिम्मदार नही थी, क्योंकि ये कोई टेंडर वर्क नही था जिसमे घटिया सामग्री सप्लाई के लिए फर्म को जिम्मेदार माना जाए। उक्त सामग्री संस्था को सीधे शिक्षक पालक संघ के माध्यम से प्रक्रिया कर सहमति से खरीदना था। कागजी प्रक्रिया तो पूरी की गई लेकिन घटिया एंव कम मुल्य की सामग्री का कई गुना अधिक मुल्य के बिल के साथ विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के दबाव में कैसे दी गई व ली गई, के मापदण्ड के साथ यदि मामले में जिम्मदार शिक्षिकों, जन शिक्षको और संकुल प्राचार्य पर मामला दर्ज किया जाना था जिससे सप्लाई के इस खेल में पर्दे के पीछे लगे चहरे भी उजागर हो सकते थे। रतलाम कलेक्टर द्वारा मामले में सीधे-सीधे घटिया सामग्री खरीदने के लिए संकुल प्राचार्य को जिम्मेदार मानते हुए फिलहाल तीन प्राचार्यो पर निलबंन की कार्रवाई कर मामले मे बड़ी कार्रवाई का संदेश दिया है। वही आगे उक्त कार्रवाई में कौन-कौन और लाईन में आते है यह तो बाद में ही पता चलेगा।
फाइल फोटो।
रतलाम कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी।