
न्याय, कानूनी व्यवस्था से चलने पर मिलता है न की पैसों से...!
माही की गूंज, डेस्क न्यूज़।
रतलाम। कोई भी अनहोनी हो या अनचाही दुर्घटना उसके प्रति हर किसी की संवेदनाएं जुड़ ही जाती है। ऐसे में कोई भी अनहोनी या दुर्घटना किसी जाति वर्ग को देखकर नहीं होती है। यह तो अनचाही वो घटना है जो कभी किसी के साथ भी हो जाती है जिसका अनुमान एक पलभर पूर्व भी नहीं रहता है। और यह तय है कि, कोई अनचाही अनहोनी व दुर्घटना ऐसी भी हो जाती है जिस पर हर किसी की संवेदनाएं जुड़ी होती है और आक्रोश भी होता है।
अगर आक्रोश की बात करें तो अनचाही ऐसी कई दुर्घटनाएं हो जाती है जहां एक दायरे के अंदर आक्रोश जताना भी सही कहां जा सकता है। लेकिन उस आक्रोश के नाम पर हमारा कानून आतंक फैलाने की अनुमति कदापि नहीं देता है। वही अनचाही अनहोनी व दुर्घटनाओं को अगर हमारा समाज किसी भी जाति-समाज या वर्ग से जोड़कर देखता है तो उसे भी किसी भी मायने में सही नहीं कहा जा सकता है।
आज हम रतलाम जिले की एक ऐसी अनचाही दुर्घटना की बात कर रहे हैं जिसमें दो परिवार के चिराग की मौत हो गई और परिवार में मातम छा गया। ऐसे में क्षेत्र में हर व्यक्ति की संवेदनाएं शोकाकुल परिवार के साथ जुड़ी है। लेकिन यहां उक्त दुर्घटना के बाद संवेदनाओ को तार-तार कर यु-टर्न लेते हुए आतंक रूपी परिचय देने का जो प्रयास किया गया जिसकी निंदा होने लगी है।
मामलाः जानकारीनुसार कुछ यू सामने आया कि, शुक्रवार रात में शिवगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम छावनी झोड़िया में शिवगढ़ की ओर से बाजना की ओर अग्रवाल बस क्रमांक एमपी 43पी 0288 आ रही थी कि, सामने से दो व्यक्ति सवार एक बाइक आ रही थी। उस बाईक व बस की भिड़ंत ऐसी दर्दनाक हुई कि, दोनों बाईक पर सवार युवक दीपक पिता सुरेश खराडी (25), कमल पिता रमेश अमलियार (27) निवासी ग्राम घाटाखेदा की मौके पर ही मौत हो गई।
दुर्घटना में बाईक सवार की गलती थी या फिर बस चालक की यहां हम किसी का भी पैमाना नहीं आके, लेकिन हमारे कानून अनुसार बड़े वाहन की ही गलती मानी जाती है। ऐसे में शिवगढ़ पुलिस ने बस चालक द्वारा लापरवाही व तेज गति से बस चलाने व दुर्घटना में दो की मौत होने के संबंध में मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया। तय है न्यायालय में यह मामला मृतक परिवार के हक में ही रहेगा और बीमा भी मृत परिवार के पात्र व्यक्तियों को मिलेगा। यहां हम जरूर कहेंगे कि, यह सही है कि, पैसों से किसी के भी जीवन का आकलन नहीं किया जा सकता, क्योंकि जीवन तो अनमोल होता है।
शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद परिजन दोनों शव को बाजना में बस मालिक के मकान व दुकान के आगे रख अपना आक्रोश जताया और आदिवासी प्रथा अनुसार भांजगड़ी के साथ मामले का समाधान करने की बात की। उक्त मामले में आक्रोश व भांजगड़ी के साथ समाधान यहां तक तो यह बात ठीक थी और हर व्यक्ति की संवेदनाएं भी मृतक के परिवारजनो के साथ थी। लेकिन कहते हैं कि, हर जगह कुछ राजनीतिक व्यक्ति ऐसे जरूर होते हैं जो अवसर का लाभ उठाकर अपने निजी स्वार्थ पूर्ति के साथ माहौल बिगाड़ने का प्रयास अवश्य कर ही देते है। हमने जहां तक इस मामले को समझा तो यहां भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया।
मामले में मृतक परिवार के साथ कुछ अवसर वादियो ने बाजना के साथ क्षेत्र में माहौल बिगाड़ने के उद्देश्य से पथराव किये। इतना ही नहीं जोर-जबरदस्ती दुकाने बंद करवाने का प्रयास भी किया। ये कारवा करिब 2 घंटे चलता रहा। मौके पर सूचना के बाद बड़ी संख्या में पुलिस भी दल-बल के साथ पहुंची और मामले को अपने कंट्रोल में कर पथराव को बंद करवाया। जिसके बाद मृतक के परिजनों ने दोनों शवो को बस संचालक के भाई की दुकान के आगे बस स्टैंड के पास रखे और मोटी रकम के साथ न्याय देने की बात करते रहे। वही चक्का जाम भी किया गया।
बताया जाता है कि, इसी बीच सैलाना विधायक भी मृतक के पक्ष में भीड़ का नेतृत्व करने पहुंचे थे लेकिन परिजनों ने मामले को किसी भी राजनीति से दूर रखने के निर्णय के साथ विधायक को वहां से जाने को कह दिया। वहीं भांजगड़ी के साथ चर्चा का दौर भी बस संचालक के परिजन की ओर से मृतकों के परिवार के लोगो के साथ चला। जिसमें बस संचालक की ओर से बात करने वाले व्यक्तियों ने आर्थिक सहायता के साथ बीमा राशि मिलने वाली तमाम कानुनी कार्रवाई में मृतक के परिजनों को हर प्रकार से सहयोग करने के साथ अधिक से अधिक बीमा राशि मिले वह सब प्रयास सहयोग के साथ किया जाएगा का आश्वासन दिया। लेकिन मृतक के परिजनों ने बस संचालक की ओर से दी जाने वाली आर्थिक सहायता की राशि कम लगी और देर रात तक बस स्टैंड पर दुकान के सामने मोर्चा लगा के बैठे रहे।
वही जयस संगठन से जुड़े दो सक्रिय व्यक्ति देर शाम को मामले में नेतृत्व करने पहुंचे और सोशल मीडिया पर तत्काल न्याय मिलने की गुहार के साथ आदिवासी साथियों से आह्वान किया कि, बाजना में अधिक से अधिक साथी आकर विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया। और कहा कि, हमारे आदिवासी समाज के दो व्यक्तियों को मार दिया है और न्याय हेतु हमें मृतक परिजनों का सहयोग करने हेतु सभी को अधिक से अधिक आना है।
हम यहां किसी का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन जयस संगठन समाज उत्थान के लिये एक अच्छे मकसद के साथ बना यह एक अच्छा संगठन है और हमें चाहिए कि, संगठन के मूल उद्देश्य को समझे और समाज का उत्थान करें। न की संगठन के नाम पर निजी हित के साथ संगठन के मूल उद्देश्यों को दरकिनार कर आतंक का परिचय दे। हमने भी जयस संगठन द्वारा किए गए अच्छे कार्य की सराहना सदैव की है और हमें चाहिए की संगठन के मूल उद्देश्यों से भटके नहीं और हम अच्छी प्रेरणा ले।
यहां रात में आह्वान के बाद पुलिस के विरुद्ध भी नारेबाजी होने लगी और रात में भी मामला बिगड़ते देखा गया। ऐसे में पुलिस ने देर रात में फिर से अपना मोर्चा संभाला और पुलिस ने अपने बल के साथ भीड़ को तीतर-बितर किया और शवो को अपने कब्जे में लिया। तो वहीं कुछ माहौल बिगाड़ने वाले व्यक्तियों को पकड़ा भी था। जिसके बाद पुलिस की उपस्थिति में रविवार सुबह दोनों शवो का मृतक परिजनों के गांव में परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन मृतक परिजनों की सहायता के नाम पर हुंडदगियो ने जो माहौल पथराव कर व देर रात तक पुलिस तक को नजर अंदाज कर कानून व्यवस्था को धत्ता बताने वाले व्यक्तियों द्वारा जो आतंक फैलाया उसके विरोध में बाजना नगर रविवार को बंद रख, नगर वासियों ने अपना विरोध जताया।
बात मामले में यही सामने आती है कि, अगर हम न्याय की बात करते हैं तो न्याय कानूनी व्यवस्था के साथ चलने पर ही हमें न्याय मिलता है न कि पैसों से...! ऐसे में आक्रोश के नाम पर आतंक फैलाने पर न्याय नहीं बल्कि अपराधी ही बनते हैं।
इसलिए माही की गूंज परिवार भी समस्त समाज बंधुओ से अपील करता है कि, हम न्याय व्यवस्था को पैसों से न तोले। और किसी भी समाजहित में बने संगठन के नाम पर हम अपना निजीहित साधने के नाम पर किसी भी संगठनों को बदनाम न करें। और भाई-चारे का परिचय देकर हम सब मिलकर हर समस्या का समाधान शांति पूर्वक करें।
बाजना बस स्टेण्ड के समिप बस संचालक के भाई की दुकान के आगे शवो को रख जताया आक्रोश
देर रात में भी आक्रोश का रूप बदला, पुलिस पर भद्दी टिप्पणीयो के बाद भीड़ को पुलिस ने तितर-बितर किया।