झोलाछाप के हौंसले बुलंद मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़
अधिकारी भी सोए चेन की नींद, आदिवासियों के लिए यमराज बने झोलाछाप डॉक्टर
माही की गूंज, जोबट।
नगर में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी का सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि झोलाछाप डॉक्टरों के पास डिग्री नही है, फिर भी वहां मरीजों का बड़े से बड़ा इलाज करते है। जिसमें कई बार मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन-फानन में जोबट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला अस्पताल अलीराजपुर भेज दिया जाता है। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है।
आस पास के क्षेत्रों में नहीं मिल पा रहा इलाज, जिसके चलते झोलाछाप डॉक्टरों की हुई चांदी-चांदी
बताया जा रहा है कि, जोबट के आस पास के क्षेत्रों में जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधाएं नहीं हैं। इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। वहीं जानकारी में कई आदिवासियों अनुसार गांव में सरकारी इलाज की सुविधा नहीं है। समीप के जोबट जाना पड़ता है। बीमार होने पर झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराना पड़ता है।
बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं डॉक्टर
झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। भांडेर अनुभाग में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई वर्षो से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 500 से हजार रुपए तक होती है।