माही की गूंज, रतलाम।
बीती रात इंदौर से चलकर उदयपुर तक जाने वाली ट्रेन नंबर 19329 रतलाम में प्लेटफॉर्म नंबर दो पर रोलबैक हो गई। इसके डिब्बे बगैर इंजन के ही करीब 500 मीटर दूर तक लुढ़कते हुए पहुंच गए। बगैर इंजन के ट्रेन चलने से यात्रियों में हड़कंच मच गया। गार्ड-एसएलआर का डिब्बा पटरी से उतर गया। दुर्घटना में कोई यात्री हताहत नहीं हुआ है। रेलवे ने मामले की जांच के आदेश दे दिए गए है।
2 कोच हुए बेपटरी
इंदौर से शाम को 5 बजकर 40 मिनट पर चलने वाली इंदौर-उदयपुर ट्रेन रतलाम के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर शुक्रवार रात करीब साढ़े 9 बजे पहुंची। यह ट्रेन इंदौर से देवास-उज्जैन-नागदा के मार्ग से आती है। इसलिए इसको प्लेटफॉर्म नंबर दो पर लिया जाता है। जब ट्रेन स्टेशन पर आई तो इंजन को हटाकर नया इंजन लगाने की प्रक्रिया रेलवे ने शुरू की।
रेलवे कर्मचारी ट्रेन को उदयपुर तरफ ले जाने के लिए नया इंजन लगाते इसके पूर्व ही प्लेटफॉर्म पर खड़ी ट्रेन अचानक फतेहाबाद-इंदौर मार्ग की तरफ लुढ़कने लगी। बगैर इंजन के ट्रेन चलने से यात्रियों में हड़कंच गया। करीब 500 मीटर तक लुढ़कने के बाद ट्रेन का एक डिब्बा जो गार्ड का था, वो पटरी से उतर गया। जहां डिब्बा पटरी से उतरा, वहां पर पुलिया है। अगर अन्य डिब्बे बे पटरी होते तो बड़ा हादसा हो जाता।
डीआरएम बीच रास्ते से वापस आए
मंडल रेल प्रबंधक विनीत गुप्ता दिल्ली जा रहे थे। जब उनको दुर्घटना की सूचना मिली तो वे गरोठ रेलवे स्टेशन पर उतरे और गरीब रथ ट्रेन में सवार होकर रतलाम पहुंचे। इसके बाद दुर्घटना स्थल पर पहुंचे। इसके पूर्व दुर्घटना की सूचना मिलते ही रेल मंडल के सभी वरिष्ठ अधिकारी दुर्घटना स्थल पर पहुंच चुके थे।
इस विभाग की प्रथम दृष्टया गलती
दुर्घटना के मामले में कैरेज एंड वैगन विभाग की गलती प्रथम दृष्टया सामने आ रही है। जब किसी ट्रेन का इंजन बदला जाता है तो उसके डिब्बों को लोहे की मोटी चेन से बांधा जाता है, इंदौर- उदयपुर ट्रेन के डिब्बों को नहीं बांधा गया। इसके चलते ही डिब्बे अपने आप लुढ़कने लगे। हालांकि पूरा सच दुर्घटना की जांच के बाद ही सामने आएगा।