
माही की गूंज, उज्जैन।
उज्जैन जिले की दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव मुंडला सुलेमान में हर वर्ष आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है। यहां *पीर बाबा* की दरगाह पर हिंदू समाज के लोग पूरी श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करते हैं, जबकि विशेष बात यह है कि इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता।
राजपूत बहुल इस गांव में पीर बाबा की दरगाह पर हर वर्ष मेले का आयोजन होता है। इस दिन गांववाले पूजा, भजन, प्रसाद वितरण और नारियल अर्पण जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी ग्रामीण पूरे उत्साह और आस्था के साथ इसमें भाग लेते हैं।
दरगाह पर फूल चढ़ाना, धूप-दीप जलाना और मन्नतें मांगना यहां आम दृश्य है। गांववाले मानते हैं कि पीर बाबा सच्चे मन से मांगी गई मन्नतों को जरूर पूरी करते हैं। इसी आस्था के चलते हर उम्र के लोग, बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग इस आयोजन में शामिल होते हैं।
इस दिन गांव में वातावरण बिल्कुल गैर माता पूजन जैसा बन जाता है, जहां धर्म से ऊपर उठकर भक्ति और आस्था का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
यह आयोजन सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक विरासत का उदाहरण भी प्रस्तुत करता है, जहां धर्म की सीमाओं से परे जाकर ग्रामीणों की श्रद्धा और परंपरा जीवित है।