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बैंक के प्रशिक्षण भवन में हैं सुविधाओ का अभाव
माही की गूंज, धार
कोरोना की इस महामारी में प्रशासन भी मरीजों के साथ मजाक कर रहा है, तभी तो विगत दिनों शहर के सर्वसुविधायुक्त महाजन अस्पताल में बनाए गए कोरोना सेंटर से मरीज़ों को हटाकर मांडव रोड डीआरपी लाइन स्थित बैंक ऑफ इंडिया के प्रशिक्षण केंद्र के भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया है। जिले में कोरोना संकट प्रारंभ होने के समय से ही महाजन अस्पताल को सेंटर बनाया गया, तथा इसमें कोरोना पॉजिटिव मरीजों को रखा गया था। यहां से अनेकों मरीज स्वस्थ होकर अपने घर पहुंच भी गए, जिनकी फोटो अखबारों में छपवाकर स्वाथ्य महकमे और जनप्रतिनिधियों ने खूब वाहवाही भी लूटी थी, लेकिन ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि, अब विगत दिवस महाजन अस्पताल से इस सेंटर को हटाकर मांडव रोड स्थित बैंक ऑफ इंडिया के प्रशिक्षण केंद्र में स्थानांतरित कर दिया है। इस भवन में ना तो किसी भी प्रकार की चिकित्सा सुविधाएं हैं, ना ही कोई कुशल चिकित्सक स्टाफ है। ऐसे में इस अदूरदर्शीपूर्ण निर्णय को लेकर चौतरफा सवाल उठ रहे हैं। जन चर्चा है कि, अस्पताल संचालकों की आपसी प्रतिस्पर्धा व सांठ-गांठ के चलते राजनैतिक दबाव में इस सेंटर को शिफ्ट किया गया है। आमजनों ने सेंटर को पुनः महाजन अस्पताल में स्थानांतरित करने की मांग की है, जिससे कि मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ ना हो सके।
नया सेंटर का भवन समस्याओ से ग्रस्त
बैंक ऑफ इंडिया के मांडव रोड स्थित प्रशिक्षण केंद्र के भवन में किसी भी प्रकार के चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध नहीं है, जो कि महाजन सेंटर में थीं। यदि किसी कोरोना पॉजिटिव मरीज की अचानक तबीयत खराब हो जाए तो ऐसे में उसको चिकित्सक की एवं वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी। जब तक मरीज को महाजन अस्पताल या शहर के किसी अन्य अस्पताल या सरकारी अस्पताल में ले जाएंगे तब तक मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देगा। ऐसे में यहां भर्ती मरीजों के साथ क्रूर मजाक किया गया है। वहीं अस्पताल प्रशासन इसको सामान्य प्रोटोकॉल की प्रक्रिया बता रहा है।
पाटीदार हॉस्पिटल से भी हटाया सेंटर
इधर पाटीदार अस्पताल से भी कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए आइसोलेशन सेंटर को भी धरावरा स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास के भवन में शिफ्ट कर दिया गया है, जहां भी सुविधाएं ना के बराबर है, औऱ यहाँ के क्वारंटाइन व्यक्तियो को ऐसी भीषण गर्मी में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
शिफ्ट के पीछे की कहानी
महाजन अस्पताल में कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ों के इलाज हेतु सेंटर बनाए जाने से सामान्य मरीजों की भर्ती और ओपीडी चालू नहीं हो पा रही थी। ऐसे में इन निजी अस्पतालों के संचालको की कमाई रुकी हुई थी। इस कारण से इन्होंने येन केन प्रकारेण अस्पताल प्रशासन से साँठ-गाँठ कर अपने यहां से सेंटर को हटवा दिया। कोराना सेंटर बनाए जाने के पहले दिन से ही इन निजी अस्पतालों के संचालक सेंटर बनाए जाने के पक्ष में नहीं थे, और लगातार सेंटर को हटाने के लिए हाथ पैर मार रहे थे।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकारी जिला अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर जो कि, हमेशा जोड़-तोड़ में माहिर है तथा दलाली का काम ही करता है। उसकी इन सेंटरों को हटवाने में मध्यस्थता है। आमजनों ने कोरोना संकट को देखते हुए इन्हीं सुविधायुक्त निजी अस्पतालों को मरीजो की जानमाल की रक्षा के लिए पुनः सेंटर बनाए जाने की मांग की है।