माही की गूंज ,धार
आदर्श आवासीय विद्यालय धार के व्याख्याता प्रवीण शर्मा ने 21 मई 2020 को अपनी फेसबुक पर एक विवादित पोस्ट लिखी है। जिससे वे लोगों के निशाने पर आ गए हैं। शिक्षक होने के बाद भी खुद को फेसबुक पर टूरिज्म के नोडल अधिकारी के रूप में प्रचारित करने वाले प्रवीण शर्मा ने पढ़ाने का कार्य कभी ढंग से किया ही नहीं। आईएएस जैसे लटके-झटके दिखाने वाले इन व्याख्याता साहब का ज्यादातर समय कलेक्टर कार्यालय और अफसरों की जी हुजूरी में ही बीतता है। अधिकांशत: जिला पंचायत, कलेक्टर कार्यालय में अटैच रहने वाले शर्मा स्कूल में बहुत कम जाते या फिर कभी छठे चौमासे जाते है तो दस्तख़त कर आ जाते है, तो वही संस्था के प्राचार्य पर बड़े अधिकारियों व नेताओं की धौंस जमाते हैं ।
लिखी ये विवादित पोस्ट
शर्मा ने अपने फेसबुक पेज पर जो पोस्ट किया है उसमें लिखा है कि -
" भिया लोगों, आज धार से भोपाल तक गया था, कसम से एक भी पैदल मजदूर नहीं दिखा। हां, सैकड़ों बसे जरूर दिखी जिनमें मजदूरों को बिठा रहे थे।"
पढ़ने में यह पोस्ट भले ही सामान्य लगे, लेकिन अगर उसको गंभीरता से पढ़ा जाए तो इसके कई मायने निकल रहे हैं, जिनको लेकर शर्मा की फेसबुक पर काफी आलोचना भी हो रही है, और विपक्षियों के निशाने पर आ गए है। कई फेसबुक यूजर्स ने लिखा कि शर्मा जी आपको इन मजदूरों की पीड़ा दिखाई नहीं दे रही तथा दो महीने पहले आपको जागना चाहिए था। इन मजदूरों का दर्द देखने के लिए किसी ने लिखा कि, आप भोपाल शिवराज सिंह चौहान से मिलने गए थे, उनका भी यही ट्वीट था, जो आज आप लिख रहे हैं। किसी ने लिखा कि, कांग्रेस सरकार फिर आ सकती है।
इस प्रकार से फेसबुक पर शिक्षक शर्मा की जमकर आलोचना हो रही है। शर्मा ने अपनी सफाई में भी फेसबुक पर लिखा है कि, मेरी पोस्ट को राजनीतिक रूप से ना देखा जाए। मैं शासकीय कर्मचारी हूँ, किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है।
जबकि जानकारों ने बताया कि, उनकी पोस्ट राजनीति से ही प्रेरित है, जिसमें नेताओं को खुश करने के लिए वर्तमान सरकार का गुणगान किया गया है कि, अब कोई भी मजदूर पैदल नहीं जा रहा है, और सरकार ने सभी मजदूरों के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था कर दी हैं, तथा बसें उपलब्ध करा दी हैं।
विदित हो कि, मजदूरों की पीड़ा को देखते हुए, अनेक समाज सेवी संगठनों व दानदाताओं ने इंदौर-भोपाल हाईवे पर जगह-जगह भोजन, नाश्ते, पानी आदि की बहुत अच्छी व्यवस्था की है, तथा बहुत बड़ी संख्या में जगह-जगह राहत के लिए टेंट भी लगाए गए हैं। यहां तक कि, कुछ संगठनों ने मजदूरों के लिए बसों की भी व्यवस्था की है। जिससे मजदूर अपने घरों को वापस जा रहे हैं और उनकी कुछ परेशानी कम हुई है।
जाने की परमिशन किसने दी
वर्तमान में जब धार व भोपाल दोनों ही रेड जोन में है, तथा इंदौर भी रेड जोन में है। ऐसे में धार से भोपाल, इंदौर रेड जोन होते हुए जाना पड़ता है । आवागमन के सारे साधन बंद है, व्यक्तिगत साधन से भी जाएं तो जाने के लिए प्रवीण शर्मा को अनुमति किसने दी? वर्तमान में एक जिले से दूसरे जिले में जाने पर भोपाल से ऑनलाइन अनुमति प्राप्त होती है जो केवल किसी की मौत अथवा अन्य गंभीर कारण होने पर ही मिलती है। यह भी एक जांच का विषय है कि, लॉकडाउन और कर्फ्यू होने के बावजूद शर्मा भोपाल रेड जोन तक जाकर वापस आए गए है। क्या नियम सिर्फ आम आदमी के लिए ही हैं?
जिधर दम उधर हम
प्रवीण शर्मा का मामला ऐसा है कि, जिधर दम उधर हम जब कांग्रेस की सरकार होती है तो वह कांग्रेस के नेताओं के चक्कर लगाते हैं और उनकी चापलूसी गिरी कर अपना उल्लू सीधा करते हैं, और जब भाजपा की सरकार होती है तो भाजपाइयों की जी हुजूरी कर अपना मतलब निकाल लेते हैं। आवासीय विद्यालय धार के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ माह पूर्व कांग्रेस की सरकार में भी इन्होंने जिले के तत्कालीन मंत्री के स्टॉफ के साथ मिलकर जिले के आला अधिकारियों पर दबाव डलवाकर आवासीय विद्यालय धार में अपने कार्य के प्रति निष्ठावान प्राचार्य आरएस निगवाल को हटवाकर चार्ज हथिया लिया था और निगवाल प्राचार्य की कुर्सी बाहर कर, नई लक्सरी कुर्सी लगवाकर बैठे थे। बाद में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से शर्मा से चार्ज हटाया गया। इसी प्रकार वर्तमान में काफी समय से टूरिज्म के नाम पर ये कलेक्ट्रेट में अटैच है, जबकि टूरिज्म का कोई काम ही वर्तमान में नहीं है। ऐसे में विद्यालय में विद्यार्थियों की पढ़ाई का क्या हुआ होगा ? इसका तो भगवान ही मालिक है।
इस संबंध में जब व्याख्याता प्रवीण शर्मा से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि मैं ई-पास लेकर व्यक्तिगत कार्य से भोपाल गया था।