लड़के के पिता है कहा, लड़की अनमोल इससे बड़ी मूल्यवान वस्तु कोई और नहीं
माही की गूंज, रतलाम/कालूखेड़ा।
आज समाज में दहेज टीका एक रिवाज बन गया है। दहेज टीके के नाम पर कई बेटियों की जीवन लीला समाप्त हो गई और कई बेटियों को दहेज टीका नहीं लेने-देने पर प्रताड़ित भी किया जा रहा है। ऐसे कई उदाहरण देखने को भी मिल रहे हैं। परंतु आज समाज में इसके खिलाफ उदाहरण देखने को भी मिल रहे हैं। गांव रियावन निवासी ठाकुर भानुप्रतापसिंह राठौर की सुपुत्री का विवाह ठाकुर नारायणसिंह शक्तावत बोरखेड़ी जिला नीमच के सुपुत्र भूपेंद्रसिंह के साथ परंपरागत तरीके से संपन्न हुआ। इसके पूर्व दोनों पक्ष का सगाई समारोह भी आयोजित हुआ था। जिसमें किसी भी प्रकार का इकरार या नगद राशी टीके के रूप में लेने-देने की बात भी नहीं हुई थी। लेकिन भानु प्रतापसिंह ने यह सोच कर कि, बेटी को एक ही बार दिया जाता है। बेटी अगर बेटा होती तो हिस्सा भी लेती यह सोच कर अपनी बेटी की सगाई समारोह में स्वचेछा से साढ़े लाख रुपए टीके के रूप में भेंट किए। लेकिन नारायणसिंह शक्तावत ने यह कह कर टीके की राशि लौटा दी की बेटी ही दहेज है, बेटी अनमोल है, जब बेटी अनमोल है तो इससे बड़ी मूल्यवान वस्तु कोई और नहीं हो सकती है। ऐसा सकारात्मक उदाहरण मिलने पर कई वर्षों से समाज सुधार की दिशा में कार्य करने वाले क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता नारायणसिंह चिकलाना ने शक्तावत परिवार बोरखेडी व राठौर परिवार रीयावन दोनों का हृदय से आभार व्यक्त किया।
ज्ञात हो कि, विगत जुलाई माह में नारायणसिंह चिकलाना ने अपनी बेटी का विवाह पडदा नीमच निवासी भगवतसिंह राठोर के सुपुत्र से बीना टीका, दहेज, शराब, मांस, व्यस्न मुक्त कर समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत किया था। इस अवसर पर चिकलाना ने उम्मीद जताई कि, समाज के अन्य बंधुओं को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। समाज में बदलाव आता नहीं लाना पड़ता है। उदाहरण मिलता नहीं बनाना पड़ता है। ऐसी सकारात्मक सोच से ही समाज में व्याप्त कुपृथायें समाप्त होगी।