
अनुमोदन के नाम पर लेट लतीफी, 20 अगस्त तक शुरू होगी त्रैमासिक परीक्षा
माही की गूंज, पेटलावद।
शिक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद करने के लिए जिला कलेक्टर झाबुआ नित नई कवायद कर प्रदेश को देश में अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयत्नशील होकर कार्य कर रही है, लेकिन नीचे बैठे अधिकारी योजनाओं को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, जिससे क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था की जड़े कमजोर हो रही है। वर्तमान सत्र में बीईओ डीके ओझा ने सभी स्कूलों के प्रमुख को मैसेज किया कि, "संकुल अंतर्गत संचालित शैक्षणिक संस्थानों में रिक्त पद के विरुद्ध अतिथि शिक्षक आमंत्रण प्रक्रिया में नोट सीट अनुमोदन के लिए जिला समिति के समक्ष रखी गई है। नोट सीट अनुमोदित होने के पश्चात आपको इस कार्यालय से अतिथि शिक्षक की अनुमोदित सूची उपलब्ध कराई जाएगी, इसके पश्चात ही अतिथियों को संस्था में आमंत्रित करे। बिना सक्षम अनुमोदन के किसी भी अतिथि शिक्षक से कार्य लेना आपकी व्यक्तिगत जवाब देही होगी।"
वही स्कूल प्रचार्यो पर उनके संकुल क्षेत्र स्कूलों में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है और बच्चों के कोर्स के महत्त्वपूर्ण विषय गणित, अंग्रेजी, विज्ञान और संस्कृत जैसे विषयों के शिक्षकों की कमी सरकारी स्कूलों में ओर वर्षो से अतिथि शिक्षकों द्वारा इस व्यवस्था को संभाल कर विभाग का वार्षिक परिणाम सुधारा जा रहा है साथ बच्चों उम्र के हिसाब से सही शिक्षा का ज्ञान भी मिल पा रहा है। वर्तमान सत्र के शुरू हुए लगभग दो माह होने आए है और 15 अगस्त से पूर्व कई शासकीय छुट्टियां होने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी और उसके तुरंत बाद 20 अगस्त से त्रैमासिक परीक्षा होनी है। कुछ प्रचार्यो ने अपने विवेक से बच्चों का नुकसान न हो और समय पर कोर्स पूरा हो उसके लिए पुराने अतिथि शिक्षको को 1 जुलाई से आमंत्रित दिया।
पेटलावद बीईओ ओझा द्वारा इस पर आदेश जारी कर अतिथियो की सूची अनुमोदन होने पर ही शिक्षकों को आमंत्रित करने के आदेश जारी कर रहे है। नियमानुसार 31 जुलाई तक नई भर्ती हेतु प्रक्रिया पूर्ण हो जानी थी, लेकिन ये मामला संयुक्त कलेक्टर जनजाति कार्य विभाग के नए आदेश के बाद अब 6 जुलाई तक लंबित हो गया है। एक-दो दिन ओर इधर हुए तो सरकारी छुट्टियों और त्योहारों का दौर शुरू हो जाएगा।
लोक शिक्षण (शिक्षा विभाग) से एक माह पीछे जन जातीय कार्य विभाग
वर्तमान में सरकार की दो शिक्षा व्यवस्था काम कर रही है लेकिन जन जातीय कार्य विभाग बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नही दे रहा है। जहां एक ओर लोक शिक्षण (शिक्षा विभाग) में एक जुलाई से ही अतिथि शिक्षको की भर्ती कर ली गई, उसके विपरीत जनजातीय कार्य विभाग नए सत्र में एक माह से अधिक समय से पीछे चलते हुए आज तक अतिथि शिक्षको की भर्ती नहीं कर पाया, जो शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।
आखिर आज दिनांक तक सूची का अनुमोदन नहीं होने का जवाबदार कौन है...? जिले द्वारा जारी आदेश की समय सीमा में पेश ना करने की लेट-लतीफी के पीछे का जिम्मेदार कौन...? इसका खामियाजा क्षेत्र के ग़रीब बच्चे जो प्रायवेट स्कूलों की मोटी फीस ना भर पाने के चलते शासकीय स्कूलों में प्रवेश लेने को मजबूर हैं या इन स्कूलों को अल्प मानदेय में वर्षों से समर्पित भाव से कार्य करने वाले अतिथि शिक्षक भुगत रहे है।
जिले भर में अनुमोदन के नाम पर रुकी अतिथि शिक्षको की भर्ती
वहीं पूरे जिले के अलग-अलग विकास खंडों के अधिकारियों से चर्चा की तो पता चला कि, अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है और एक अगस्त से अतिथियों को पढ़ाने हेतु शाला प्रमुखों द्वारा आमंत्रित किया जाना था। लेकिन पहले बीईओ कार्यालय से बनी समिति का अनुमोदन और फिर जिले से बनी समिति से अनुमोदन होने के नाम पर अब तक अतिथि शिक्षको की भर्ती नही हो पाई है। ऐसे में क्षेत्र शिक्षक विहीन और एक शिक्षक के भरोसे इस आदिवासी अंचल की शासकीय स्कूलों की पढ़ाई कर रहे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ साफ-साफ दिखाई दे रहा है। अतिथियों द्वारा हाईकोर्ट का एक आदेश दिखाया गया जिसमें एक अतिथि द्वारा इंदौर हाई कोर्ट में दायर याचिका का आदेश जिसमें पूर्व से कार्यरत उस अतिथि शिक्षक को नियुक्ति देने का आदेश था लेकिन विभागी प्रक्रिया के बीच उक्त आदेश भी अधिकारी घोल कर पी गए!
प्रचार्यो की अपनी व्यवस्था के विपरीत अतिथियो को अनुमोदन के बाद ही अतिथि शिक्षक रखने का मैसेज ग्रुप में बीईओ द्वारा वाइरल किया गया।
जिला संयुक्त कलेक्टर जन जातीय कार्य विभाग झाबुआ का नया आदेश जिसके बाद अतिथि शिक्षको की भर्ती में ओर हुई देरी।