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कटाक्षः एमपी अजब और पुलिस गजब...
03, Oct 2025 1 week ago

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थांदला पुलिस को जीवित महिला को मृत बताने, किसी मृत व्यक्ति को मुख्य आरोपी बनाने,  पत्रकारों पर अवैध वसूली की झूठी एफआईआर करने पर व बदंुक के दम पर की गई लूट को चोरी की घटना बताने पर मुख्यमंत्री द्वारा दिया जाना चाहिए सम्मान

माही की गूंज, झाबुआ डेस्क।

संजय भटेवरा

    वैसे तो हमारा कानून कहता है कि, किसी गुनाहगार को एक बार सजा नहीं मिले तो चलेगा, परंतु किसी भी स्थिति में किसी भी बेगुनाह को सजा नहीं मिलना चाहिये। लेकिन हमारे मध्य प्रदेश को कहा जाता है कि, एमपी अजब और गजब ही है। मध्य प्रदेश में ऐसे कई वाकिये हैं जिसमें अनचाहे मुद्दे सामने आए हैं जिसे अजब और गजब ही कहा जा सकता है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के पश्चिम छोर पर बसे आदिवासी बाहुल झाबुआ जिले में भी कई ऐसे अजीबो गरीब वाकिये हुए हैं जहां असल अपराधी को सम्मानित किया जाता रहा है तो वहीं बेगुनाह को गुनाहगार बना दिया जाता है।

    अगर हम इस बार झाबुआ जिले के थाना थांदला पुलिस की बात करें तो यहां की पुलिस ने कई ऐसे करनामें किये, जिसमें बेगुनाहो को गुनाहगार बनाकर जेल की हवा खिला चुकी है। वहीं बड़े अपराध को छोटा अपराध बताकर असल अपराधियों को संरक्षण देने का अजीबो गरीब कारनामे कई मर्तबा किये है। वैसे तो पुलिस की उक्त कार्य प्रणाली पर पुलिस के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होकर ऐसे संबंधित मामलों की उच्च स्तरीय  जांच कर असल मामले तक पहुंचना चाहिये था। परंतु ऐसा आज तक एक भी मामले में नहीं हुआ। ऐसे में हम यहां यही कहेंगे कि, पुलिस की इस तरह की कार्यप्रणाली किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आती है तो क्यों नहीं इस प्रकार की कार्य प्रणाली के साथ पुलिस को अब बेगुनाह को सजा दिलाने व गुनाहगार को संरक्षण देने वाला, मध्य प्रदेश सरकार को मुख्यमंत्री द्वारा थांदला पुलिस को प्रमाण-पत्र किसी प्रादेशिक या राष्ट्रीय मंच पर बुलाकर देना चाहिए।

    जी, हां, थांदला पुलिस के कुछ करनामें बताएं तो उक्त सम्मान पत्र को लेने का हकदार थांदला पुलिस रखती है।

    जिसमें एक जीवित महिला को मृत घोषित कर बेगुनाह अपराधियों को जेल की हवा खिलाई। एक सरपंच पति की हत्या में पूर्व से मृत व्यक्ति को मुख्य आरोपी बनाकर अन्य को सहआरोपित बनाना। सलमान लाला जैसे अपराधी का फर्जी स्थान पर फर्जी दस्तावेज का सत्यापन कर फर्जी पासपोर्ट बनवाने का श्रेय भी थांदला पुलिस को जाता है। जिसमें असल बीट प्रभारी का सम्मान कर कल्याणपुरा थाने पर ट्रांसफर कर दिया व थाना प्रभारी के विरुद्ध भी कोई जांच नहीं बिठाई गई लेकिन एक अन्य प्रधान आरक्षक के विरुद्ध एक सूक्ष्म कार्रवाई जरूर की गई।

कहते हैं, निंदक नियारे राखिए, आंगन कुटी छबाय।

    बिन पानी, साबुन बिना निर्मल करें सुभाय।। अर्थात निंदा करने वाले (आलोचक) व्यक्ति को अपने पास रखना चाहिए, ऐसा इसलिए है क्योंकि यह निंदक बिना पानी और साबुन के भी हमारे स्वभाव को निर्मल कर देते है, हमारी कमियो को बताते हैं और हमें आत्म सुधार करने का अवसर देते हैं। लेकिन हमारा पुलिस या प्रशासन, सिस्टम में सुधार लाने हेतु जनहित में जो उनकी निंदा समाचार पत्रों में निष्पक्ष पत्रकार द्वारा की जाती है, तो उन पत्रकारो को भी अपना विरोधी मान मौका बनाकर उनके विरुद्ध फर्जी मामले दर्ज करने में कोई चुक पुलिस नहीं कर रही है। जिसमें जनहित में आधार करेक्शन में आ रही अनेको शिकायत में आधार सेंटर पर हो रही अवैध वसूली के समाचार प्रकाशित करने पर पुलिस व प्रशासन ने मिलकर अवैध वसूलीकर्ता अपराधी को ही फरियादी बनाकर साथ में सलग्न आरोपित माही की गूंज के दो पत्रकारों के विरुद्ध फर्जी मामला दर्ज कर असल अपराधी को संरक्षण थांदला पुलिस द्वारा दिया गया।

अपराध लूट का पर पुलिस ने हकीकत को बदल दर्ज की चोरी की एफआईआर

    एमपी की थांदला पुलिस के इन्हीं अजीबो गरीब कारस्तानियों के साथ मंगलवार-बुधवार दिनांक 23-24 सितंबर 2025 की मध्य रात्रि में थांदला थाने की खवासा चौकी अंतर्गत ग्राम धूमडिया में सात नकाबपोश लुटेरों ने पप्पू पिता नाथू वसुनिया हनुमान मंदिर के पास बने मकान में दस्तक दी। तथा दरवाजा तोड़ने का लुटेरों ने प्रयास किया, दरवाजा नहीं टूटने पर दो बड़े पत्थरों से दरवाजे पर हमला कर दरवाजा तोड़ा। घर के अंदर पप्पु व पत्नी कालीबाई वसुनिया, साली की लड़की घर के अंदर सोए हुए थे कि, पत्थरो से दरवाजा तोड़ घर के अंदर दस्तक दी और लुटेरों ने जमकर बेखोफ होकर करिब 1 घंटे तक घर के अंदर उत्मात मचाया और लूट को अंजाम दिया। जिसमें करीब सात नकाबपोश लुटेरे घर के अंदर घुसे सभी लुटेरे हथियार लेस थे। जिसमें दो लुटेरों के हाथ में देसी कट्टे (बंदुक) थ,े साथ ही पीले व काले कलर के हत्थे वाले धारदार धारिये व काले कलर के मजबूत लट्ठ हाथों में थे। देसी कट्टे हाथ में लिए लुटेरे ने पप्पू के साथ पत्नी काली व साली की लड़की को बंदुक की नोक  पर लिया और लुटेरों ने पूरे घर में लूट मचाई। जिसमें पप्पू के हाथ में 250 ग्राम चांदी के कड़े, पत्नी काली के हाथ में पहने चांदी की चार चूड़ियां, 600 ग्राम चांदी की कड़ी (बाहटिया) 5 ग्राम सोने के टॉप्स, सोने का मंगलसूत्र पहना हुआ निकाला। साली की लड़की के पास चांदी के पायल और 500 ग्राम चांदी की साकली पहनी हुई निकाल ली। साथ ही कोठी व पेटियों को अस्त-व्यस्त कर भैंस को बेचकर आए 70 हजार नगदी व घर में अन्य एक लाख के ऊपर रखी नगदी अपने मेहनत की राशि यानी कुल 1 लाख 70 हजार के ऊपर नगदी लूटे एवं अन्य जेवरात लुटेरों ने घर के लोगों को बंदुक की नोक पर रख जान से मारने की धमकी देने के साथ लुटेरो ने लुट को अंजाम दिया।

    वहीं उक्त लूट के मामले में पप्पू का पुत्र सुनील ने माही की गूंज को जानकारी देते हुए बताया कि, हम दो भाई बामनिया रहते हैं जैसे ही मेरे पिता ने घर में लूट होने की सूचना मुझे दी। वैसे ही मेने डायल 112 पर घटना की जानकारी दी पेटलावद- बामनिया की पुलिस मौके पर पहुंची परंतु थांदला-खवासा पुलिस मौके पर नहीं पहुंची।

    सुनील ने बताया कि, 7 लुटेरे घर के अंदर घुसे थे जो नकाबपोश होकर सभी हथियार लेस थे। बाहर कितने लुटेरे थे यह नहीं पता। दो लुटेरों ने पिता व परिवार को बंदुक की नोक  पर रखकर उपरोक्त लूट को अंजाम दिया। जिसकी रिपोर्ट भी दर्ज करवाई गई है। लेकिन पुलिस द्वारा मामले को कुछ और ही बताकर चोरी की घटना बताई जा रही है। जिससे लगता है कि पुलिस सरे आम अपराधियों को संरक्षण दे रही है। सुनील ने यहां तक बताया कि, सातों हथियार लेस लुटेरे एक बार घर से बाहर निकल गए और मेरे पापा के हाथ से निकाले चांदी के कड़ो के बारे में आपस में चर्चा की कि, वह किसके पास है लुटेरे घर से कडे नहीं ले जा सके तो पुनः घर के अंदर लुटने आए उस समय दूसरे कमरे में मेरे पिता, मम्मी व मौसी की लड़की बहन घर के अन्य कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया। लुटेरे घर के अंदर घुसे बिस्तर को खंगाल कर वह कड़े भी लूट कर ले गए।

    वहीं उक्त घटना के दो-तीन दिन पूर्व ही इसी तरह दरवाजा तोड़कर खवासा चौकी के ग्राम गुलरीपाड़ा में लूटरों ने 20-21 सितंबर की रात्रि में लूट को अंजाम दिया। लेकिन दोनों मामलों में पुलिस ने लूट की बजाएं चोरी का मामला दर्ज किया।  धुमडिया के मामले में पुलिस ने बीएनएस की धारा 331(4),305चोरी का मामला दर्ज कर एफआईआर में उल्लेख किया कि, पप्पू उसकी पत्नी काली व साले की लड़की पायल सभी घर के अंदर दरवाजा बंद कर सोए थे कि, 25 सितंबर रात करीब साढे 12 बजे मेरी नींद खुली व मैंने उठकर देखा तो मेरे घर का दरवाजा खुला हुआ था। तथा गेहूं की कोठी में रखे चांदी के दो कड़े, चांदी की चार चूड़ी, एक जोड़ कड़ी, एक जोड पायल, सोने के टॉप्स, एक जोड़ सोने का एक मंगलसूत्र एवं नगदी 45 हजार रुपए वहां रखे हुए थे जो वहां पर नहीं थे जिसे अज्ञात बदमाश दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे और चुराकर ले गए।

    पुलिस की यहां इतनी बड़ी कास्तानी जिसमें 7 नकाबपोश लुटेरे बंदुक की नोक पर जान से मारने की धमकी देकर सरेआम लूट को अंजाम दिया और 1 लाख 70 हजार से अधिक की नगदी राशि व मूल्यवान चांदी व सोने के आभूषण लूट ले गए। लेकिन पुलिस ने लूटरों को संरक्षण देकर फरियादी को घर में सोए हुए बताकर चोरों ने चोरी को अंजाम दिया व चोरी की नगदी रकम मात्र 45 हजार बताई एवं आभूषण का वजन भी कहीं नहीं दर्शाया और पुलिस ने अपने कार्य की इति श्री कर दी।

    कुछ इसी तरह गुलरीपाड़ा में भी लूट के मामले में चोरी का मामला दर्शाया। पुलिस की इस कार्य प्रणाली पर सरकार व सरकार के उच्च नुमाइंदे को लगता है कि, उपरोक्त पुलिस की कार्य प्रणाली सराहनीय व सही है तो इसमें  थांदला पुलिस द्वारा जीवित महिला को मृत बताने, मृत व्यक्ति को मुख्य आरोपी बनाने, सलमान लाला का पासपोर्ट बनाने में फर्जी सत्यापन करने तथा जो पत्रकार इन कमियों को प्रमुखता से उजागर करें उन पत्रकारों के विरुद्ध आधार कार्ड की अवैध वसूली के प्रकाशन पर पत्रकारों के विरुद्ध फर्जी मुकदमा दर्ज करने व बंदुक की नोक पर हुई लूट को चोरी में तब्दील करने वाली थांदला पुलिस को प्रादेशिक या राष्ट्रीय  मंच पर बुलाकर मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए। ताकि आगे भी यह पुलिस सम्मान स्वरूप बेगुनाह को गुनाहगार व गुनाहगार को बेगुनाह बनाने जैसी कार्रवाई करें और इनके कंधे पर लगे तमगे और अधिक चमकदार हो...?

धुमड़िया में पप्पु वसुनिया के घर में नकाबपोश 7 लुटेरो ने बंदुक की नोक परिवार को जान से मारने की धमकी देकर जिस लुट को अंजाम दिया उसे पुलिस ने बता दिया एक सामान्य चोरी घटना।

पीड़ित पप्पु ने पुलिस को दी लिखित रिर्पोट व पुलिस ने तोड मरोड कर सामान्य चौरी की एफआईआर की दर्ज ।


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