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कभी न भूलने वाली तारीख पर दस साल बाद मुख्यमंत्री होगें जनता के बीच
Report By: राकेश गेहलोत 12, Sep 2025 4 weeks ago

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मुख्यमंत्री के दौरे से पहले किसान आंदोलन को रोक पाने में असफल रहा प्रशासन

माही की गूंज, पेटलावद। 

      पेटलावद के इतिहास में दर्ज तारीख 12 सितम्बर दस साल बाद फिर से चर्चा में है। आज से ठीक दस साल पहले पेटलावद में सब कुछ सामान्य था सभी सुबह-सुबह, अपने-अपने कार्य में जुटे थे। बच्चे स्कूलों के लिए निकल पड़े थे, मजदूर अपने कार्य पर जाने के इंतजार में खड़े थे, मार्ग से निकलने वाले सुबह के नाश्ते के लिए पेटलावद के थांदला रोड पर स्थित होटलों पर नाश्ता करने के लिए रुके थे। सुबह की साढ़े आठ बजी होगी और अचानक थांदला रोड की एक दुकान में आग लगने की जानकारी सामने आई और देखने के उत्साह में लोग उस स्थल की ओर दौड़ पड़े जो की एक नेसर्गिग प्रक्रिया है। तथा लोग कुछ समझ पाते कि आग कौनसे गंभीर स्थल पर लगी है, आग को रोकने के प्रयास में जुट कर दुकान मालिक राजेंद्र कासवा को सूचना कर बुलाया। पुलिस थियोरी के अनुसार दुकान मालिक वहा पहुंचा और इससे पहले की वो लोगो को बता सके की यहां जिलेटिन की ब्लास्टिंग राड और सेकड़ो टन कृषि खाद पड़ा है, एक जोरदार धमाका होता है और सब कुछ तबाह हो जाता है। लोगो के अंग सड़क पर बिखरे पड़े, सेकड़ो घायल अपने ही अंगों को समेटे दिखे। देखते ही देखते 79 लोग मौत के घाट उतर गए और सेकड़ो लोग घायल अस्पताल पहुंचाए गए। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में आक्रोश पनपा और लोग सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने पर आमादा हो गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मामले की गंभीरता समझी और बिना देर किए अगले ही दिन यानी 13 सितंबर को पेटलावद पहुंच कर प्रदर्शन कर रहे लोगो के साथ सड़क पर बैठ कर पीड़ितों से न्याय करने और ब्लास्ट के जिम्मेदार लोगो पर कड़ी कार्रवाई के आश्वासन दिया। साथ ही पीड़ित परिवार को सहायता राशि और एक सदस्य को नोकरी देने के आश्वासन के साथ पूरे मामले को शांत करने का काम किया। दिन ,तारीख, समय निकलता गया सहायता राशि को छोड़ कर मुख्यमंत्री का कोई वादा पूरा नहीं हुआ। न ही सभी मृतकों के परिजनों को नोकरी मिल पाई न ही ब्लास्ट के जिम्मेदारो को सजा।

  पुलिसिया लापरवाही से दर्ज प्रकरण और जिम्मेदारो के नाम पर सरकार को बचाने के प्रयास में ऐसा केश तैयार हुआ जो न्यायालय में औंधे मुंह गिरा और पुलिस द्वारा बनाए गए सभी आरोपी बरी होने के साथ मुख्य आरोपी राजेंद्र कासवा को ब्लास्ट में मृतक मान लिया गया। उसके बाद से ही ब्लास्ट पीड़ितो के लिए 12 सितम्बर की तारीख एक मनहूस दिन की तरह बन कर रह गई। जब भी ये तारीख आती है अपनो को खोने वाले यहा आकर आसू बहा कर चले जाते है। क्योंकि ब्लास्ट के बाद उनका जीवन समय के साथ-साथ पटरी पर आ गया। ब्लास्ट में कई घायल आज भी आधी-अधूरी जिंदगी जीने पर मजबूर है। इन दस सालो के शुरुआत के कुछ सालो में इस तारीख पर राजनीति होती रही। पक्ष-विपक्ष के नेता एक-दूसरे पर हमला करते दिखाई दिए जो समय के साथ खुद ही गायब हो गए, कोई मुख्यमंत्री दोबारा इस तारीख पर यहा लोट के नही आया। अब ठीक दस साल बाद प्रदेश के नए बने मुख्यमंत्री मोहन यादव इस 12 सितंबर को पेटलावद में एक आयोजन में शामिल हो रहे है। जिसके चलते ये तारीख और पूरा घटना क्रम एक बार फिर चर्चा में है और एक बार फिर ब्लास्ट पीड़ितो के जख्म फिर से हरे और गहरे होकर उभर गए है। उम्मीद है कि, मुख्यमंत्री मृतकों की याद में बने श्रद्धांजलि चौक पर रुकने की रस्म अदायगी न करते हुए एक बार उन ब्लास्ट पीड़ितो से मुलाकात कर उनसे उनका हाल और सरकारी मद्द्त की स्थिति जानेंगे।

कई चुनौतियां मुख्यमंत्री यादव के सामने, किसान आंदोलन को नही रोक पाई मंत्री भूरिया

    झाबुआ जिले में सबसे सक्रिय विकास खंड पेटलावद को माना जाता है। यहा हर तरह के मुद्दे छाए रहते है फिर वो चाहे भ्रष्टचार के हो या भू-माफियाओं के, या राजनीति के यहा हमेशा चर्चा का विषय रहा है। ब्लास्ट एक बहुत बड़ा विषय मुख्यमंत्री के लिए तो है ही, साथ ही कन्यादान योजना की राशि जो की लगभग 250 हितग्राहियों के खातों में डालना थी, खुद मुख्यमंत्री आयोजन में शामिल होकर नव विवाहित जोड़े के घर पहुंचने से पहले राशि खातों में आने की बात मंच से कह चुके है ,06 माह बाद भी एक हितग्राही का भुगतान नही हुआ है। वर्तमान में किसानो को सरकार ने फसल बीमा की राशि का भुगतान किया है। पेटलावद विधानसभा में सबसे ज्यादा 19 करोड़ 29 लाख की राशि किसानो को भुगतान होना प्रशासन ने बताया है। इसके बाद भी यहां के किसान फसल बीमा राशि नही मिलने, कम मिलने और कई ग्राम पंचायते योजना से छूट जाने को लेकर सड़क पर उतरने को उतारू है। केबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया खुद की विधानसभा में हुई इतनी बड़ी राशि के भुगतान के बाद भी इसको भुनाने में असफल साबित हुई। किसान यूनियन एक बार अनुविभागीय अधिकारी के कार्यकाल में धरना दे चुके, तो दूसरी बार बीएसएनएल के टावर पर चढ़ने का प्रयास कर चुके है। बाबजूद इसके मंत्रीजी, किसानो और प्रशासन की खीच तान में मध्यस्ता कर मामले को समाप्त नही कर पाई। जिसके चलते मंगलवार को मुख्यमंत्री के दौरे से पहले किसान सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए और रायपुरिया-राजगढ़ मार्ग पर चक्काजाम कर मार्ग को घंटो बाधित किया। किसान यूनियन ने मंत्री के जिले में होने के बाद भी उनको बुलाने तक की मांग तक नही की और प्रशासनिक अधिकारियों, बीमा कम्पनी के अधिकारियो के साथ जनपद अध्यक्ष रमेश सोलंकी ने मोर्चा संभाल कर आंदोलन को खत्म करवाया।

 साथ ही भ्रष्टाचार का मुद्दा भी वर्तमान में गहराया हुआ है। जनपद पंचायत पेटलावद में सेकड़ो शिकायते भ्रष्टचार की आ रही है। वही नगर में बन रहे चार करोड़ से अधिक लागत के ब्रिज निर्माण में घटिया सामग्री और लापरवाही सामने आ रही है। जिले में पेयजल हेतु गाव-गाव में किए जा रहे कार्य में बड़ा भ्रष्टाचार का मुद्दा भी सुर्खियो में है।

लाडली बहनों को होगा किश्त का भुगतान, नए नाम नही जुड़ने से निराशा

  12 सितंबर को पेटलावद आ रहे मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना की 28 वी किश्त का भुगतान कर सकते है। वही योजना में लगातार कई हितग्राही के नाम किसी न किसी कारणों से कटने की जानकारी आती रही है लेकिन योजना के शुरू होने के बाद से नए नामो को जोड़ने का कार्य सरकार की ओर से नही किया गया। जिससे योजना के लाभ से वंचित लाडली बहनों में निराशा है और उनकी मांग है कि, नए नाम जोड़ने के लिए आवेदन लेने का कार्य शुरू करना चाहिए। विपक्ष में लगातार नए नाम नही जोड़ने को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगा कर धीरे-धीरे योजना बंद करने का आरोप लगा रही है।


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