
दो हजार स्वयंसेवक कदमताल करते हुए निकले, नगर में जगह जगह हुआ स्वागत
माही की गूंज, पेटलावद।
देव शक्तियों ने मां के स्वरूप में समाहित होकर दुष्टों का संहार किया। भगवान राम ने भी रावण के वध के लिए सभी शुभ शक्तियों को एकत्रित किया था। उसी प्रकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सौ वर्षों में समाज की सज्जन शक्तियों को जोड़कर ऐसा संगठन खड़ा किया है, जो सदैव हिंदू समाज की रक्षा करने में सक्षम है। संघ ने व्यक्ति निर्माण का कार्य किया है। यह बात शुक्रवार को पेटलावद नगर में पथ संचलन के पूर्व बौद्धिक देते हुए प्रांत घोष प्रमुख आशुतोष शर्मा ने कही। मंच पर विभाग सह-कार्यवाह आकाश चौहान और नगर कार्यवाह पवन गुर्जर भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने शस्त्र पूजन, भारत माता, डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और गुरुजी के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने सामूहिक गीत, एकल गीत और अमृत वचन प्रस्तुत किए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर 3 अक्टूबर को पेटलावद में उदय गार्डन से भव्य पथ संचलन निकाला गया। चार घोष की धुन पर कदमताल करते हुए स्वयंसेवकों ने 50 मिनट में 3 किमी की दूरी तय कर सभा स्थल तक पहुंच बनाई। दोपहर 12:30 बजे उदय गार्डन से प्रारंभ हुआ संचलन पुराने बस स्टैंड, श्रद्धांजलि चौक, कानवन रोड गली नं. 1, मेन्स क्लब, होली चौक (गौतमजी गहलोत), नीम चौक, चमठा चौक, नावेल्टी, अंबिका चौक, शनि मंदिर, शिव सागर, राजापुरा तेजाजी मंदिर, गौर घाटी, रंगरेज गली, झंडा बाजार मंदिर, पीपाड़ा गली, कहार मोहल्ला, गांधी चौक मेन रोड, भगवान बिरसा मुंडा चौराहा होते हुए 1:20 बजे पुनः उदय गार्डन पहुंचा। पूरे मार्ग में 50 से अधिक स्थानों पर सामाजिक, धार्मिक एवं स्वयंसेवी संस्थाओं ने संचलन का स्वागत किया। कार्यक्रम स्थल पर मां दुर्गा के नौ स्वरूप, स्वदेशी, सेवा कार्य, पंच परिवर्तन और अन्य विषयों पर प्रदर्शनी भी लगाई गई। प्रांत घोष प्रमुख आशुतोष शर्मा ने कहा कि संघ का कार्यकर्ता मौन रहकर समाजहित में निरंतर कार्य करता है। आजादी के पूर्व स्वयंसेवकों ने स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया। पाकिस्तान विभाजन के समय संघ के कार्यकर्ताओं ने पाक-अधिकृत क्षेत्रों से हिंदुओं को भारत लाने में अपने प्राणों की आहुति तक दी। डॉ. हेडगेवार का कहना था कि केवल आजादी प्राप्त करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे सुरक्षित रखना भी आवश्यक है, जिसके लिए जनजागरण जरूरी है, संघ पर कई बार प्रतिबंध लगे, किंतु संघ कभी नहीं रुका। यह स्वयंसेवकों की निष्ठा और बलिदान का ही परिणाम है कि संघ आज तक निरंतर आगे बढ़ता रहा है।