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हे मां रोग्यादेवी, कलयुगी ईश्वर को सद्बुद्धि दे...
माही की गूंज, खवासा।
संपन्न हुई नवरात्रि में सभी भक्तों ने एक आरती गाई जिसमें गाया गया कि,
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना हम तो मांगते तेरे मन का एक छोटा सा कोना।
लेकिन कलयुग में विधर्मियों की नजर माताजी के मंदिर पर भी पढ़ने लगी है। एक और जहां मंदिर के लिए लोग धन और जमींन दान करते हैं लेकिन कलयुगी ईश्वर ने वसीयत द्वारा अपने भाइयों से हड़पी जमीन के साथ ही ग्राम के अति प्राचीन तथा चमत्कारिक रोग्यादेवी मंदिर की जमीन भी अपने व अपने पुत्र, पुत्रीयो के नाम करवा ली। जिसकी भनक लगने के बाद जागरूक ग्रामवासियों द्वारा न केवल इनके खिलाफ, बल्कि मंदिर भी जमीन को अवैध रूप से निजी नाम पर चढ़ाने वाले प्रशासनिक अधिकारी पर भी मामला कोर्ट में ले जाया गया है। मामले की सुनवाई कोर्ट में होने के बाद फैसला चाहे जो भी आए इस कलयुगी ईश्वर की सारे गांव में सार्वजनिक रूप से निंदा की जा रही है।
हम बात कर रहे हैं खवासा के अति प्राचीन मंदिर रोग्यादेवी की जहां पिछले कई वर्षों से माँ की आराधना का पर्व बड़े ही हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता आ रहा हैं। कई बुजुर्गों का कहना है कि, इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और जब बिजली नहीं थी तब यहां दीपक और लालटेन की रोशनी में गरबा खेला जाता था। जो धीरे-धीरे आधुनिकता के चलते भव्य और आधुनिक वाद्य यंत्र व जगमग रोशनी में खेला जाता है।
ग्राम वासियों का कहना है कि, मां रोग्यादेवी रोगों को हरने वाली तथा आरोग्यता प्रदान करने वाली देवी है। खवासा के तीन कोने पर मां रोग्यादेवी , संकट मोचन हनुमान जी तथा तीसरे कोने पर प्रभु श्री राम अपने दरबार सहित विराजित है और इन्हीं के प्रताप के चलते कोरोना जैसी महामारी में आसपास के गांव में इतनी जनहानि होने बावजूद खवासा में कोई जनहानी नहीं हुई। कोरोना काल में खवासा निवासी एक महिला की मृत्यु हुई लेकिन वह भी खवासा में नहीं हुई जिसके चलते ग्रामवाशियो में इन मंदिरों पर अटुट आस्था और विश्वास है। प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा पर्व पर मां रोग्यादेवी मंदिर पर पूजन अर्चन और आरोग्य की कामना भी ग्रामवासियों द्वारा की जाती है। प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि में रोग्यादेवी मित्र मंडल द्वारा भव्य गरबा आयोजित इस मंदिर पर किया जाता है जो ग्राम का सबसे अच्छा आयोजन माना जाता है। और यह आयोजन ग्राम के ही नवयुवको द्वारा पूरी मेहनत, लगन और सिद्दत के साथ किया जाता है। लेकिन गत वर्ष मंदिर के पीछे अपने व्यावसायिक निर्माण के दौरान कलयुगी ईश्वर व उनके पुत्र ने इस समिति के खिलाफ भी सार्वजनिक रूप से अभद्र भाषा का उपयोग किया था। कहते हैं कि, कोई व्यक्ति एक बार अपनी चालाकी में सफल हो जाता है तो वह बार-बार अपनी चाल चलता ही रहता हैं। इस कलयुगी ईश्वर के बारे में पड़ताल करने पर पता चला, इसने अपने जीवन में कई चालाकिया कि, परिवार व समाज को अंधेरे में रखकर पर शादीशुदा होने के बावजूद शादी की। अपने मामा को भी धोखा दिया तथा अपने सौतेले भाइयों की जमीन वसीयत द्वारा हड़प कर अपने पुत्रों तथा पुत्री के नाम करवा दी। शासकीय भूमि पर विधायक नीधी द्वारा बने यात्री प्रतीक्षालय को हटाने के लिए झूठी 181 पर शिकायत दर्ज करवाई। सरकारी नाली को अपने निर्माण की सीमा के भीतर ले लिया और उस पर पक्का निर्माण करवा लिया। रिश्वत देकर नाली को अपनी सीमा से कई फीट आगे बनवाया, मंदीर, नाली के साथ शासकिय सड़क तक को अपने नाम नक्से में अधिकारियो से साठ-गाठ कर करवा लिया गया। आदी और ऐसी कई चालकी के बलबूते कलयुगी ईश्वर ने हमेशा दूसरों को बेवकूफ ही बनाया है। लेकिन मंदिर की जमीन के साथ ही सरकारी जमीन भी अपने निजी नाम करवाने के बाद ग्रामवासी सहित स्थानीय रोग्यादेवी मित्र मंडल भी आक्रोशित है।
इस नवरात्र के पावन अवसर पर हम मां रोग्यादेवी से यही प्रार्थना करते हैं कि, हे मां रोग्यादेवी सभी भक्तों पर कृपा बनाए रखें और ऐसे कलयुगी ईश्वर को सद्बुद्धि दे।