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माही की गूंज, झाबुआ डेस्क।
पत्रकारिता जगत के पितृ पुरुष स्वर्गीय यशवंत जी घोडावत की प्रेरणा व दिव्य आशीर्वाद से सिंचित पौधा ’माही की गूंज’ अब धीरे-धीरे वृक्ष बनने की दहलीज पर है। पिछले 7 वर्षों में जनता के हर विश्वास और कसौटी पर खरा उतरने का पूरी ईमानदारी के साथ प्रयास किया गया। आम जनता से जुड़े मुद्दे हो, भ्रष्टाचार से जुडे मुद्दे हो, माफियाओ से जुड़े मुद्दे हो, प्रशासनिक अनियमित्ता के मुद्दे हो, या राजनीतिक मुद्दे, हर जनहित के मुद्दे पर माही की गूंज ने खरा उतरने का प्रयास किया है।
7 वर्षों का सफर मंजिल नहीं पड़ाव है जो दिव्य आशीर्वाद स्वर्गीय घोड़ावत जी का है उसी के अनुसार जनहित के मुद्दे पर माही की गूंज ने कभी कोई समझौता नहीं किया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बाधाए तो आती रहती है लेकिन माही की गूंज ने हर बाधा और चुनौती का सामना सच और निडरता से किया है। पिछले 7 वर्षों के दौरान झाबुआ जिले सहित आसपास के जिलों में भी माही की गूंज की स्वीकार्यता बड़ी है। ग्रामीण परिवेश में पत्रकारिता का कार्य करना निश्चित रूप से काफी जटिल और चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि कहते हैं कि, दिल्ली में बैठकर प्रधानमंत्री के खिलाफ लिखना आसान है लेकिन गांव में रहकर गांव के सरपंच या सचिव के खिलाफ खबर छापना काफी कठिन कार्य है। ग्रामीण पत्रकारिता भी अपने आप में कई चुनौतियां हैं लेकिन पिछले 7 वर्षों में माही की गूंज ने हर चुनौती का बखूबी सामना किया है। चाहे शासन व प्रशासन की जनहितेसी खबरों को आम जनता तक पहुंचाना हो या आम जनता की समस्याओं को शासन-प्रशासन के सम्मुख रखना हो, हर भूमिका में माही की गूंज, की गूंज गूंजती रही है। इस दौरान पाठकों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के संवाददाताओं का बखूबी साथ मिला। शायद इसलिए हर किसी को माही की गूंज की खबरों के लिए गुरुवार का इंतजार रहता है।
पिछले 7 वर्षों में मिले इस प्यार और समर्थन के लिए माही की गूंज सभी पाठकों, आमनागरिको,कर्मठ सवांददाताओ का आभार व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त करता है कि, इसी प्रकार का प्यार और समर्थन आठवे वर्ष में भी मिलता रहे एक बार पुनः सभी स्नेहीजनों का आभार......
माही की गूंज की कलम अन्याय और अत्याचार के खिलाफ सदैव चलती रही है और निरंतर आगे भी चलती रहेगी।
...प्रधान संपादक...