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मामला: प्रतिबंध के बाद भी बड़वानी से गुजरात जा रही दो बसों को 7-7 हजार का जुर्माना देकर छोडा
पुलिस, एसडीएम व आरटीओ तक की कारस्तानी आई सामने
माही की गूंज, आजाद नगर
बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया को चरितार्थ करने वाले ऐसे कई वाक्ये हम सभी के सामने आ चुके है, जिनके जिम्में लोकतंत्र की व्यवस्थाओ कोे सुचारू रूप से बनाए रखने व हम सभी की सुरक्षा का जिम्मा जिनके हाथों में है, उन नुमाइंदों ने लोगों की लाशो पर कफन होने के बाद भी, लोभीयो ने अपनी वसूली करने में पीछे नहीं रहे हैं। वहीं वर्तमान में विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण का महाप्रकोप चल रहा है और उक्त संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए शासन ने कई सख्त निर्णय लिए हैं, जिसमें से एक महत्वपूर्ण आदेश अंतरराज्यीय आवागमन हेतु पैसेंजर बसों को प्रतिबंधित किया गया है।
इस कड़ी में आरटीओ कार्यालय से परमिट भी जारी करना प्रतिबंधित है, अगर कोई आदेशों का उल्लंघन कर इस महामारी में मध्यप्रदेश में दूसरे राज्य में बिना परमिशन व पास के बसों से पैसेंजरो की आवाजाही होती है तो बसों को राजसात तक कर बस मालिक के विरुद्ध एफआईआर भी होना आवश्यक है, जैसे आदेश है। परंतु बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया को चरितार्थ करने वाले जिनके जिम्मे हमारी सुरक्षा की जवाबदारी है वह इस कोरोना जैसी महामारी के समय भी अपने ईमान को गिरवे रख बईमानी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
7-7 हजार का जुर्माना देकर की जवाबदारो ने अपने कार्य की इतिश्री
प्राप्त जानकारी अनुसार बुधवार रात में जीजे 11 एक्स 0532 व जीजे 03 एडब्लू 9989 गुजरात पासिंग की यह स्लिपर कोच की 2 बसें पैसेंजर से भरी बड़वानी से राजकोट गुजरात की ओर अलीराजपुर से आजाद नगर होकर सेजावाड़ा सीमा से दाहोद (गुजरात) की ओर जा रही थी कि, च.शे. आजाद नगर के एसडीएम के निर्देशन में गुजरात सीमा से सटी सेजावाड़ा पुलिस चौकी पर दोनों बसों को रुकवाकर पुलिस ने बस का परमिट एवं कागजात मांगे, जिस पर चालक ने बस का परमिट व पैसेंजर को मध्यप्रदेश से गुजरात ले जाने की कोई परमिशन नहीं है बताया। दोनों बसों को चेक करने पर एक बस में 25 सवारी तो दूसरी बस में 40 सवारी होना पुलिस अनुसार बताया गया। चैकी प्रभारी ने दोनों बसों को चैकी पर खड़ी करवाकर उक्त पूरी जानकारी आजाद नगर के थाना टीआई को दे दी, वही टीआई ने भी बुधवार रात्रि में ही बस में बिना परमिट व बिना परमिशन के दोनों बस पाई गई और चैकी पर खड़ी करना बता दिया गया।
हमारे प्रतिनिधि ने सुबह 11 बजे एसडीएम महेश बडोले से मामले की जानकारी लेनी चाही तो, साहब ने कहा, मेरे अस्सिटेनो ने बसों को पकड़ा है, अभी क्या मामला है ये पूरा नहीं मालूम है, मैंने अभी बसों को आंखों से भी नहीं देखा है, मैं 12-1 बजे तक मामले को साल्ड आउट कर दूंगा। साहब के पास सब कुछ जानकारी होने के बाद भी अज्ञान बनकर गुमराह करने वाली बात सामने आ रही थी।
उसके बाद चैकी प्रभारी श्री भूरिया से जानकारी ली तो बताया, वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में बसों की तलाशी ली गई, बस का न परमिट था न परमिशन, एक बस में 25 व दूसरी बस में 40 पैसेंजर बड़वानी से गुजरात जा रहे थे। उक्त पूरी जानकारी रात में ही टीआई साहब व एसडीएम साहब को भी दे दी गई है जो भी कार्रवाई होगी वो एसडीएम साहब के निर्देशन में ही होगी।
आजादनगर के टीआई कैलाश बारिया ने बताया, एसडीएम साहब के आदेशानुसार ही बस को रोका गया है, एसडीएम साहब हीे कार्रवाई करेंगे और वो ही आपको जानकारी देगे।
एसडीएम साहब ने कहा, मुझे अभी कोई पूरी जानकारी नहीं है? एसडीएम साहब को जानकारी पूरी है और उन्होंने ही कहकर बसों को रुकवाया है।
तीनों अधिकारियों से गूंज की बातें होने के बाद स्पष्ट हो गया कि, उक्त बसों को एसडीएम के निर्देश में ही रुकवाकर उनके ही अधिकार में कार्रवाई का जिम्मा था। गूंज के सामने पूरा मामला आने पर एसडीएम साहब ने सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे की कहावत को चरितार्थ करते हुए 7-7 हजार का जुर्माना देकर बसों को छोड़ दिया। मामले की जानकारी लगने पर पुनः एसडीएम बडोले से प्रतिनिधि ने चर्चा की तो बताया, अवैध बस संचालन का मामला सामने आने पर नियमानुसार 7-7 हजार रुपए का जुर्माना देकर पैसेंजरो को वापसी बड़वानी उनके गन्तव्य तक छोड़ने हेतु भेज दिया।
वही जब माही की गूंज कार्यालय से उक्त संबंध में शाम को अलीराजपुर आरटीओ वीरेंद्रसिंह यादव से 9165164683 पर चर्चा की तो बताया, मामला सही है, मोटर व्हीक्लस का जो भी होगा हमारे यहां से होगा, बस वालों के पास कागजात कुछ नहीं है बस अभी नहीं छुट्टी है और अभी कोई आया ही नहीं बस छुड़ाने के लिए। साहब, बताया जा रहा है 7-7 हजार रूपए का चालन बनाकर बसों को छोड़ दिया है? अभी कोई 7-7 हजार रूपए का चालान नहीं फटा है, अगर हमारे बेरियर पर चालान काटते तो भी वह मुझे बताते। अभी अंतरराज्यीय पैसेंजर बसों का परिवहन बंद है।
उक्त अधिकारियों की प्रथक-प्रथक बातें व इस तरह की कार्रवाई को क्या समझा जाए? कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के आदेश के साथ ही अंतरराज्यीय परिवहन बस के प्रतिबंध एवं बिना परमिट के क्षमता से अधिक सवारी के साथ बस को जप्त करने के साथ जहां वाहन को राजसात तक कर, बस मालिक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करना था। वही जवाबदारो ने बाप बड़ा या भैया सबसे बड़ा रुपैया की तर्ज के साथ सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे को चरितार्थ कर कार्रवाई का ढकोसला कर बसों को छोड़ दिया, तो वही बसों को छूट जाने के बाद भी जिन आरटीओ साहब के पास परिवहन का पूरा जिम्मा है वह कितने सजक है पता चलता है कि, बसो के छूट जाने के बाद भी बसें पुलिस कस्टडी में ही है व उक्त बसो के कार्रवाई हमारे द्वारा की जावेगी, कह रहे हैं। धन्य है सरकार के ये नुमाइंदे, किस तरह से इस कोरोना काल के समय भी अपने कार्य की इतिश्री कर रहे हैं।