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बारिश भी नहीं रोक सकी आस्था के कदमों को
वर्षा बंद होने के बाद अंगारों पर नंगे पांव चले मन्नतधारी
महुआ शराब की धार के साथ मुर्गो-बकरों की बलि दी गई भिलवट देव को
माही की गूंज, आम्बुआ।
आदिवासी समाज की आस्था का केंद्र बिंदु कहे जाने वाले बाबा भिलवट देवता की पूजा अर्चना जो कि 18 नवम्बर की रात की गई। यह आयोजन एक मेले की शक्ल में मनाया जाता है, रात को आयोजन के पूर्व शाम 6 बजे अचानक हुई तेज हवा के साथ वर्षा ने व्यवधान तो डाला मगर आस्था के आगे उसे भी झुकना पड़ा तथा बारिश बंद होने के बाद मनौती धारियों ने अपनी मन्नत उतारी।
संवाददाता को प्राप्त जानकारी अनुसार आम्बुआ-अलीराजपुर मार्ग के किनारे पटेल फलियां में स्थित भिलवट देवता जो कि, एक प्राचीन विशाल बरगद के पेड़ के नीचे स्थापित है पर वर्ष में एक बार कार्तिक माह की पूर्णिमा (चौदश की रात) को रात्रिकालीन विशाल मेले का आयोजन होता है। इस वर्ष 18 नवंबर की रात भी आयोजन किया गया, मगर आयोजन में वर्षा ने खलल डाली। शाम 7 बजे से रात 9 बजे तक तेज हवा तथा बादलों की गर्जना के साथ बारिश हुई, इस कारण यहां खाने-पीने, फलों एवं खिलौनों आदि की दुकान वाले व्यापारियों को अपनी दुकानें समेट कर जाना पड़ा जिससे उन्हें आर्थिक हानि उठाना पड़ी। इसके बावजूद वर्षा थमते ही आस्था का सैलाब पुनः उमड़ा तथा पूजा अर्चना की जाने लगी। रात्रि के तीसरे प्रहर में आयोजकों ने लकड़ी जलाकर कोयलें तैयार किए इन्हीं दहकते अंगारों पर मनौती (मन्नत) उतारने वाले नंगे पांव चले तथा महुआ शराब की धार देकर मुर्गो-बकरों की बलि दी।
एक अनुमान अनुसार लगभग एक दर्जन से भी अधिक बकरों की बलि दी गई। भिलवट देवता को नारियल, हार-फूल तथा मिठाई आदि का प्रसाद भी चढ़ाया गया। लगभग पूरी रात यह आस्था का कार्यक्रम चलता रहा। संपूर्ण मेले में पुलिस की व्यवस्था चाक-चौबंद रही तथा शांतिपूर्ण तरीके से संपूर्ण आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।