विशेष न्यायालय में प्रकरण चलाकर एक माह में सजा दिलाने की घोषणा क्यों नहीं करते शिवराज जी- पारस सकलेचा
आरोपी व उसके परिवार की कॉल डिटेल क्यों नहीं निकाली गई, आरोपी का रिमांड क्यों नहीं लिया गया...?
माही की गूंज, रतलाम।
सीधी मामले में रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकेलचा भी मैदान में उतर गए है। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव पारस सकेलचा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस मामले में अब तक कि गई कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए आरोपी की बचाने के आरोप लगाए है। पूर्व विधायक पारस सकेलचा ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया कि, शिवराज जी को सीधी मे अपने पार्टी के वरिष्ठ नेता द्वारा किए गए अमानवीय कृत्य पर अपराध बोध होना था, पश्चाताप होना था, माफी मांगना थी, लेकिन उसे सुदामा बनाकर छद्म रुप से अपने को कृष्ण बताकर, भारतीय संस्कृति, हिन्दु धर्म और आदिवासी समाज का अपमान किया है।
सकलेचा ने कहा कि, शिवराज जी को भगवान बनने का अहंकार हो गया है। अपनी पार्टी के सक्रिय नेता द्वारा किए गए कृत्य पर अपराध बोध प्रकट करना था, पश्चाताप होना था और माफी मांगना थी। इसकी जगह वो भगवान कृष्ण बन गये और इतिहास से एक कदम आगे बढ़कर उसकी पत्नी को दूरभाष पर धन और भवन देने का उपकार किया। सकलेचा ने कहा कि, शिवराज जी को वास्तव में अपराध बोध हुआ होता तो वह घोषणा करते कि विशेष न्यायालय मे प्रचरण चला कर एक माह मे आरोपी को कठोर से कठोर दंड दिलवाएंगे। उनकी चुप्पी दिखाती है की आरोपी के प्रति सहानुभूति है। भाजपा नेता प्रवेश शुक्ला को किस धारा में गिरफ्तार किया गया, उसका रिमांड कब लिया गया, उसने किस ड्रग का नशा किस स्थान पर किसके साथ किया था, जब पेशाब कर रहा था उसके साथ कौन-कौन थे, आदि कई महत्वपूर्ण जानकारी इसलिए रिमान्ड नही की गई कि अपराधी को न्यायालय मे बचाया जा सके। और उसे रासुका में भेजकर बचने के अवसर पैदा किये। शिवराज जी द्वारा आदिवासी को पुलिस के माध्यम से, घरवालों को बताए बिना 24 घंटे पुलिस थाने मे रखवाना, एक दिन कलेक्टर आफीस मे रखवाना और फिर भोपाल ले जाना, तथा 48 घंटे बाद उनके परिवार वाले को बताना, 72 घंटे बाद घर भेजना, उसे अकेले ले जाना, साथ में परिवार को नहीं ले जाना, पत्नि तक को नहीं ले जाना, किसी गहरी साजिश का हिस्सा है। अगर शिवराज की नीयत ठीक होती तो उसके पूरे परिवार को ससम्मान भोपाल ले जाते।
सकलेचा ने कहा कि, भाजपा नेता के परिवार वालों ने उसके गुम होने की जो झूठी रिपोर्ट जारी की, उस पर भी पुलिस की कोई कार्यवाही नहीं होना, एक बड़ी साजिश है। पुलिस को उनके परिवार वालों के मोबाइल कॉल की डिटेल लेकर यह जांच करना चाहिए कि भोपाल के किस वरिष्ठ नेता के कहने पर उन्होंने उसके गुम होने की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई। सकलेचा ने कहा कि इस घटना से प्रदेश का नाम बदनाम हुआ है। व्यापम घोटाले का दाग अभी धुला ही नहीं है की एक और दाग मध्यप्रदेश के चेहरे पर लग गया है।