माही की गूंज, बड़वानी
कौन सी माॅ होगी जो अपने 15 माह के पुत्र के मुस्कुराने और खेलने पर खुश नही होगी। यही दशा ग्राम रोसर की श्रीमती पार्वती बाई और उनके पति सकरिया की है। जो अब अपने डेढ़ वर्षीय पुत्र के मुस्कुराने पर अत्यंत प्रसन्न है।
5 माह पूर्व श्रीमती पार्वतीबाई अपने पुत्र मास्टर संतोष की दशा और गुमसुम रहने पर चिंतित रहती थी। उसे जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि, उसके पुत्र की यह दशा इसलिए है, क्योकि उसका वजन उसकी आयु अनुसार कम है। जिसके लिए उसे 14 दिनों के लिए एनआरसी केन्द्र में भर्ती कर उपचार करवाना अत्यंत जरूरी हैं । इसके लिए उन्हे अपने पुत्र को लेकर पाटी के एनआरसी केन्द्र में भर्ती होना होगा, जहां उसे प्रतिदिन मजदूरी की न्यूनतम राशि मिलेगी वही उसके पुत्र का ईलाज के साथ-साथ खाना-पिनारहना सभी निःशुल्क रहेगा।
इस पर श्रीमती पार्वतीबाई अपने पुत्र को लेकर एनआरसी केन्द्र पाटी में भर्ती हुई उस वक्त उनके पुत्र को वजन 4 किलो 900 ग्राम था। केन्द्र में 14 दिन तक सतत् माता की काउंसलिंग और पुत्र के उपचार से जब उसकी स्थिति सुधरी तो माता को अपने पुत्र के साथ घर पर जाने और इसी प्रकार के प्रयास जारी रखने की हिदायत के साथ रवाना किया गया।
घर पहुंचने पर श्रीमती पार्वतीबाई अपने पति सकरिया के साथ मजदूरी करने के दौरान भी अपने पुत्र को समय-समय पर भोजन कराने के प्रति सजग रही। जिसका परिणाम यह रहा कि आज मास्टर संतोष का वजन 6 किलों से उपर पहुंच गया है। जिसके कारण अब वह सामान्य बच्चों के समान प्रतिक्रिया करने ओर देने लगा है। जिससे उसके पालक की खुशी भी अब देखते बनती है।