माही की गूंज, आम्बुआ।
भगवान कृष्ण, कंस के बुलावे पर जब अक्रुरजी के साथ मथुरा जाने लगे तो गोकुल वासियों को 2 दिन में आ जाऊंगा कह कर गए, मगर बहुत दिनों तक नहीं लोटे। गोपिया, ग्वाल, मां यशोदा, नंद बाबा सभी इंतजार करते रहे। कुछ दिन बाद भी कृष्ण को घर की याद आई तो उन्होंने परम ज्ञानी उद्धव जी को गोकुल भेजा की खबर लेकर आओ। उद्धव ने कहा कि, मैं सबको समझा कर आता हूं मगर जब वह गोकुल पहुंचे तो, वहां की हालत देख परम ज्ञानी उपदेशक उद्धव भी बेहाल हो गए और ज्ञान की जगह प्रेम ज्ञान लेकर वापस लौटे। कृष्ण को बताया कि, किसी ज्ञानी को समझाया जा सकता है मगर प्रेमी को समझाना मुश्किल है।
उक्त शब्द आम्बुआ में चल रही भागवत ज्ञान गंगा में व्यासपीठ से पंडित अमित शास्त्री ने कहते हुए आगे बताया कि, उद्धव से संदेश मिलने के बाद कृष्णा रात 12 बजे गोकुल आए। वह रात थी शरद पूर्णिमा की, उन्होंने यमुना किनारे बंसी बजाई जिसे सुनकर गोपिया दौड़ी हुई आई। यह शरद पूर्णिमा की रात आत्मा एवं परमात्मा के मिलन की रात थी। जिसमें गोपिया, गोप यहां तक भगवान शिव जी भी गोपी बनकर नृत्य करने आए थे। कथा में आगे रुक्मणी विवाह की कथा सुनाई। जिसमें रुक्मणी ने भगवान कृष्ण को पंडित के हाथ से पत्र भेजा कि मेरा विवाह मेरा भाई शिशुपाल के साथ करना चाहता है, मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं। भगवान कृष्ण ने वापस खबर भेजी कि, मैं आ रहा हूं तुम मंदिर में मिलना और कृष्ण रथ लेकर पहुंचे और रुक्मणी को लेकर द्वारका की ओर चल दिए। रुक्मणी के निमंत्रण पर भगवान आए, यानी कि निमंत्रण में ताकत थी तो भगवान मिले और अपने साथ ले गया रुक्मणी का भाई रुक्मणी के पीछे दौड़ा, सेना दौड़ाई मगर कुछ नहीं कर सका। वह भगवान को गालियां दे रहा था, भगवान उसे मारना चाहते थे मगर रुक्मणी के कहने पर छोड़ दिया। वह द्वारका जाने के पूर्व रास्ते में माधवपुर में रुके, तब वहां के लोगों ने पूछा कि, यह कौन है तब भगवान ने पुजारी से विवाह कराने का बोला जिसने गांव वालों के समक्ष विवाह कराया।