बड़ा सवाल: राशि हितग्राही के खाते में न डालकर घटिया क्वालिटी का समान क्यों दिया गया
माही की गूंज, जोबट।
जोबट कृषि विभाग द्वारा आईटीडीपी योजना के अन्तर्गत जोबट विकास खण्ड के लाभार्थी 132 किसानों को प्रत्येक किसान को 30 हजार रुपए के बदले में कृषि उपकरण दिए गए। जैसे घटिया क्वालिटी के मोटर पंप, पाइप, ट्रिफ्न जिनका बाजार मूल्य 8 से 9 हजार रुपए का मूल्य है दिए गए, बाकी के 21 हजार रुपए के भ्रष्टाचार का मामला सामने आ रहा है। जिसमे कृषि विभाग जोबट के वरिष्ठ अधिकारी और जोबट के डीलर ने मिलकर 39 लाख 60 हजार रुपए का खुल्लम खुल्ला भ्रटाचार किया गया, यह एक जांच का विषय है।
किस-किस विभाग ने तैयार की आईटीडीपी योजना की सूची
आईटीडीपी योजना केवल ओर केवल अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के लिए ही है, ना कि कोई अन्य जाति के लिए है। यह कृषि विभाग अलिराजपुर डीडीए ने बताया और उन्होने कहा कि, इस योजना का लाभ देने के लिए 5 विभागो की एक टीम को तैयार की गई है। जो आईटीडीपी योजना के लाभार्थी किसानों की सूची को सत्यापित करेंगी। उन विभागों में कृषि विभाग जोबट, जनपद पंचायत जोबट, ग्रामीण आजिका मिशन जोबट, कृषि उद्यान विभाग जोबट, पशु चिकित्सालय जोबट शामिल है, जिन्होंने आईटीडीपी योजना के अन्तर्गत जोबट विकास खण्ड के लाभार्थी किसानों को लाभ दीया। उक्त योजना का लाभ बीपीएल या बीपीएल के नीचे जीवन यापन करने वाले किसानो को दिया जाए।
लेकिन कृषि विभाग जोबट के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (ग्रामसेवक) के द्वारा उन्ही किसान को लाभ दिया गया, जिन किसानों ने पैसे दिए हैं। वहीं गांव के कुछ किसानो ने बताया कि, जिन किसानों ने पैसे नहीं दिए तो उन किसानों के नाम तो काट दिए पर हमारे मोबाइल नंबर क्यों नहीं काटे...? और दूसरों के नामों के सामने हमारे मोबाइल नंबर सूची में पाए गए यह एक सोचने वाली बात है...! कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया जो जांच करने का विषय है।
क्या है आईटीडीपी योजना और किसके लिए है...!
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि, आईटीडीपी योजना केवल अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) जाति के लिए ही है। लेकिन कृषि विभाग जोबट के अधिकारियों की मनमानी के चलते अपात्र ग्रामीण किसानों से पैसे लेकर उन किसानो को आईटीडीपी योजना का लाभ दिया। जबकि आईटीडीपी योजना केवल अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के लिए ही है। पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने पैसे लेकर अन्य जाति जैसे की (एससी) अनुसूचित जाति के किसानों का नाम सूची मे जोड़ दिया गया। (एससी) अनुसूचित जाति के किसानो की सूची मे नाम के सामने अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) क्यों लिखा गया और सूची में जाति को क्यों छुपाई गई...? यह एक बड़ा प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा करता है। जो जांच का विषय है।
हमने 5 विभाग के अधिकारीयों से बाते की तो ये कहा उन्होंने
5 विभाग के अधिकारीयो से बात की तब चार विभाग के अधिकारी ने बताया कि, हमे आईटीडीपी योजना की सूची घोषित नही की और न ही हमारे द्वारा कोई किसानो को चयन किया गया। हमारे पास तो वरिष्ठ कृषि विभाग जोबट की प्रमिला डुडवे मैडम सूची लेकर आई और कहा कि यह आईटीडीपी योजना के अन्तर्गत 132 किसानो की सूची बना ली गई है, जिस पर आप अपने हस्ताक्षर कर दो ओर हमने हस्ताक्षर कर दिए। इसके अलावा हमे किसानों की सूची के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है।
कृषि विभाग जोबट के अधिकारी ने ये बताया
उक्त चारो विभागों से चर्चा के बाद हमने वरिष्ठ कृषि विभाग जोबट की अधिकारी प्रमिला डुडवे से आईटीडीपी योजना की बाते की तो उन्होंने बताया कि, आईटीडीपी योजना केवल अनुसूचित जनजाति के किसानो के लिए ही है। ना कि कोई अन्य जाति के किसानो लिए है।
फिर पूछा गया कि, आपके द्वारा बनाई गई सूची मे तो (एससी) अनुसूचित जाति के किसानो के नाम भी है।
तब प्रमिला डुडवे कहा कि, मुझे नही मालूम है। आप मुझे सूची दो।
तब हमने वरिष्ठ कृषि विभाग जोबट के अधिकारी प्रमिला डुडवे को सूची दिखाई तो उन्होंने मुझे कहा कि, यह मेरी गलती नहीं है। यह गलती तो ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (ग्रामसेवक) की है।
फिर पूछा गया कि, आपके द्वारा सत्यापित कैसे की गई। और अन्य चार विभाग के अधिकारीयों ने कैसे सत्यापित कर दिया गया। इतनी बड़ी लपरवाई का जिमेदार कौन है। यह एक जांच का विषय है।
जिस पर प्रमिला डोडवे ने कहा कि, यह मेरी गलती नहीं है मेरे विभाग की गलती है।
62 गांव मे से केवल इन ही 5 से 6 गांव को क्यों चुना गया...?
जोबट विकासखंड में 62 गांव है। आपको बता दे कि, 62 गांव में से एक है ग्राम उबगारी गोकुल, जिसे अति गरीबी होने के कारण गोकुल ग्राम नाम दिया गया। उस गांव से भी एक भी किसान को आईटीडीपी योजना का लाभ नहीं मिला। 62 गांव मे से 5 से 6 गांव को ही क्यों सिलेक्ट किया गया...? क्या अन्य गांव में बीपीएल धारक और बीपीएल के नीचे जीवन यापन करने वाले लोग नहीं है क्या...? जिन 5 से 6 गांव को सिलेक्ट किया गया हैं उनके जनप्रतिनिधि, पंचायत सरपंचों को भी आईटीडीपी योजना के बारे में कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जोबट ने भी नहीं बताया। जिससे स्पष्ट होता है कि, कृषि विभाग के अधिकारी व डीलर द्वारा मिलकर सीधा-सीधा भ्रष्टाचार किया गया है।