Saturday, 14 ,December 2024
RNI No. MPHIN/2018/76422
: mahikigunj@gmail.com
Contact Info

HeadLines

नवीन संकुल केंद्र पर शिक्षकों की बैठक संपन्न | मोहन सरकार का 1 वर्षिय कार्यकाल पूर्णः सभी 29 सिटे जितना उपलब्धि | एसपी ने पुलिस थाना का किया निरीक्षण | जयेश और दिव्यांशी का क्रिकेट कोचिंग के लिए हुआ चयन | समाज सेवा संस्थान के एक दिवसीय आयोजन में 150 से अधिक महिलाओं ने ली सहभागिता | सट्टा खेलते महिला आरोपिया को पुलिस ने किया गिरफ्तार | सहकारी संस्था में यूरिया खाद नहीं, बाजार में मिलता है ऊंचे दामों पर | पुलिस की पोल: हेलमेट ताक पर, तीन व्यक्ति से सवार बाइक ने मारी महिला को टक्कर, चार जख्मी | उपचुनाव जीत के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह | निर्दयी माँ ने अविकसित बच्चे को फेंका कचरे की तरह | डिजिटल अरेस्टः सरकार इतनी असहाय क्यों...? | कृषि मंत्री की मौखिक घोषणा के झांसे में आए किसान को लगी 25 हजार चपत | जनजातीय गौरव दिवस विशेष: धरती आबा भगवान "बिरसा मुंडा" | गौसेवा ही नारायण सेवा है- आचार्य डॉ. देवेन्द्र शास्त्री | आज दिपावली पर पति-पत्नी की अंतिम यात्रा निकलेंगी एक साथ | शिक्षक की सेवानिवृत्ति पर आयोजित हुआ विदाई समारोह | पुलिस का खुफिया तंत्र और स्थानीय प्रशासकीय तंत्र पूरी तरह फैल या मामला साठ-गाठ का....? | शिक्षा के मंदिर को शर्म सार करने वाली अधिक्षिका का विडियो वायरल | ढोलखारा तालाब में अज्ञात युवक की मिली लाश पुलिस जांच में जुटी | बिजली गिरने से बालक की हुई मौत |

कथा सुनने से धन नहीं आनंद मिलता है- पंडित शिवगुरु जी
20, Sep 2022 2 years ago

image

माही की गूंज, आम्बुआ।

         भागवत की कथा सुनने आप जितने कदम चलोगे उतने यज्ञ का पुण्य तुम्हें मिलता है। इसलिए जहां कथा हो वहां जाना चाहिए कथा में आप जितने घंटे बैठते हैं, उसका थोड़ा समय भी कथा दिल में सजाएंगे तो उद्धार हो जाता है। कथा सुनने से धन नहीं मिलता है आनंद मिलता है।

          उक्त विचार श्रीमद् भागवत कथा के  दौरान आम्बुआ में सांवरिया धाम में व्यासपीठ पर विराजमान भागवत कथा वाचक पंडित शिव गुरु जी शर्मा उन्हेल (उज्जैन) वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि, धन तो कोई भी कमा लेता है मगर धन से सुख, नींद, चैन, संतोष आदि नहीं खरीदा जा सकता है। धन कितना भी हो यदि नींद नहीं आती हो तो नींद नहीं खरीद सकते। धन से आत्मिक सुख नहीं मिलता। वह सुख कथा सुनने में ही मिलता है। 

          पंडित श्री शर्मा जी ने आज भागवत कथा के द्वितीय दिवस भागवत कथा के अवतरण की कथा सुनाई कि, भागवत कथा वेदव्यास जी ने क्यों लिखी। उन्होंने बताया कि, कलयुग आने वाला था जिसमें मानव का उद्धार कैसे हो इस बाबत भागवत कथा लिखी गई। वेदव्यास जी ने वेदों की रचना की तथा वेदों को चार भागों में बांटा तथा 17 पुराणों की रचना करने के बाद भी वेद व्यास जी को संतोष नहीं हुआ, तब नारद जी ने उनसे पूछा कि आप बेचैन क्यों है आप भागवत पुराण की रचना करो भागवत पुराण वह है जिसका वर्णन शेषनाग अपने हजारों फनों से नहीं कर सकते भागवत कथा कोई पोथी नहीं है वह साक्षात भगवान कृष्ण का रूप है।


           आज कथा में पंडित जी शर्मा ने नारद के पूर्व जन्म की कथा जिसमें वह दासी पुत्र थे तथा संतों की सेवा करते रहे, दूसरे जन्म में वह नारद ऋषि के रूप में अवतरित हुए। आगे की कथा में उन्होंने राजा परीक्षित की कथा सुनाते हुए बताया कि, राजा परीक्षित शिकार हेतु जंगल में जाते हैं तथा  प्यास लगने पर एक आश्रम में जाते हैं। जहां पर ऋषि ध्यान में बैठे होने से राजा का सत्कार नहीं कर सके उन्हें जल प्रदान नहीं कर सके। तब राजा ने एक मरा हुआ सर्प उनके गले में डाल दिया। जब ऋषि पुत्र आए तो उन्होंने यह देखकर राजा को श्राप दे दिया कि जिसने सर्प डाला है उसे 7 दिनों के अंदर तक्षक नाग डसेगा। राजा परीक्षित ने तब अपने उद्धार हेतु सन्तों से विचार-विमर्श किया उसी समय उन्हें नारद जी ने भागवत कथा सुनने का सुझाव दिया। तब सुखदेव जी महाराज द्वारा उन्हें 7 दिनों तक भागवत कथा सुनाई तथा उससे राजा परीक्षित का उद्धार हुआ। कथा में जय विजय की कथा, भगवान का बराह अवतार, सती चरित्र के बाद भगवान भोलेनाथ की कथा, शिव-पार्वती के विवाह की कथा के दौरान शिव बारात के समय पर भजन पर श्रोता झूम उठे। दूसरे दिवस की कथा विश्राम के पूर्व गौ माता को हो रही लम्पी बीमारी का उल्लेख करते हुए गौ माता की सेवा करने का आव्हान किया।


माही की गूंज समाचार पत्र एवं न्यूज़ पोर्टल की एजेंसी, समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करे... मो. 9589882798 |