Friday, 27 ,December 2024
RNI No. MPHIN/2018/76422
: mahikigunj@gmail.com
Contact Info

HeadLines

आक्रोश सही पर आतंक फैलाना गलत... | जब तक सूरज चांद रहेगा मामा जी का नाम रहेगा... | धूमधाम से मनाया जाएगा क्रिसमस पर्व | खनीज विभाग ने पकड़ा अवैध रेत से भरा ट्राला | नये अधिकारी, नए नियम, आम जनता की फजीयत... | भाजपा संगठन पर्व 2024... | नवीन संकुल केंद्र पर शिक्षकों की बैठक संपन्न | मोहन सरकार का 1 वर्षिय कार्यकाल पूर्णः सभी 29 सिटे जितना उपलब्धि | एसपी ने पुलिस थाना का किया निरीक्षण | जयेश और दिव्यांशी का क्रिकेट कोचिंग के लिए हुआ चयन | समाज सेवा संस्थान के एक दिवसीय आयोजन में 150 से अधिक महिलाओं ने ली सहभागिता | सट्टा खेलते महिला आरोपिया को पुलिस ने किया गिरफ्तार | सहकारी संस्था में यूरिया खाद नहीं, बाजार में मिलता है ऊंचे दामों पर | पुलिस की पोल: हेलमेट ताक पर, तीन व्यक्ति से सवार बाइक ने मारी महिला को टक्कर, चार जख्मी | उपचुनाव जीत के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह | निर्दयी माँ ने अविकसित बच्चे को फेंका कचरे की तरह | डिजिटल अरेस्टः सरकार इतनी असहाय क्यों...? | कृषि मंत्री की मौखिक घोषणा के झांसे में आए किसान को लगी 25 हजार चपत | जनजातीय गौरव दिवस विशेष: धरती आबा भगवान "बिरसा मुंडा" | गौसेवा ही नारायण सेवा है- आचार्य डॉ. देवेन्द्र शास्त्री |

गैस सिलेंडर के भाव बढ़ने से परेशान समूह लकड़ी पर बना रहे भोजन
19, Dec 2022 2 years ago

image

माही की गूंज, आम्बुआ।
        महंगाई का असर सभी और बड़ता नजर आ रहा है। इसका एक असर घर तथा अन्य स्थानों पर बने रसोईघर में अधिक दिखाई दे रहा है। उज्जवला योजना में नि:शुल्क  मिला सिलेंडर अब नहीं भरा पाने के कारण पुनः चूल्हा भट्टी में लकड़ी का उपयोग होने लगा है।
         गूंज संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार शिक्षण संस्थाओं में मध्यान्ह भोजन बनाए जाने का कार्य स्वसहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। कस्बा तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत समूहों को भी गैस सिलेंडर प्रदाय किए गए हैं। जिस संस्था में 200-300 बच्चों के लिए भोजन बनता है वहां एक सिलेंडर एक हफ्ते चलता है। इस तरह पूरे महीने में लगभग 5 सिलेंडर लगते हैं। एक सिलेंडर भरवाने में क्षेत्र में एक हजार 150 रुपए कीमत लग रही है। यहां भोजन बनाने वाले समूह इतना महंगा सिलेंडर नहीं खरीद पा रहे हैं। मजबूरन उन्हें लकड़ी जलाना पड़ रही है। जिस कारण इतना धुआं होता है कि, कमरे तो काले हो ही रहे हैं आंखों से आंसू भी बहते हैं फेफड़ों में जाने वाला धुआं भोजन बनाने वाली चार-पांच महिलाओं के स्वास्थ पर विपरीत असर डाल रहा होगा।
         समूह की महिलाओं ने बताया कि, सिलेंडर के भाव बढ़ने के कारण समूह इतनी राशि खर्च नहीं कर सकता। मजबूरन चूल्हे में लकड़ी जलाना पड़ती है। गैस से लकड़ी सस्ती पड़ती है फिर यह लकड़ी का धुआं भले ही उन्हें बीमारी की ओर धकेल दे। शासन की ओर से सब्सिडी भी लगभग बंद कर दी है। यदि मिल भी रही है तो बहुत कम मिलती है। कई बार सब्सिडी खातों में नहीं आती है। शासन-प्रशासन को इस ओर अविलंब ध्यान देकर मध्य भोजन बनाने वाले समूह को सिलेंडर के भाव में कमी करना जरूरी माना जा रहा है।


माही की गूंज समाचार पत्र एवं न्यूज़ पोर्टल की एजेंसी, समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करे... मो. 9589882798 |