बाजारवाद ने खानपान को स्वास्थ्य से दूर कर वस्तु में परिवर्तित कर दिया है, हमें इस चुनौती को स्वीकार करना होगा - पारस सकलेचा
माही की गूंज, रतलाम
प्राकृतिक स्वास्थ्य के प्रति बालक से लेकर युवा तक सभी को जागृत करना बड़ी चुनौती है । यह बात समाजसेवी रवि कटारिया ने कही । आप योग अनुसंधान एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र द्वारा आयोजित तीन दिवसीय शिविर के समापन अवसर पर बोल रहे थे । पारस सकलेचा ने कहा कि, शिविर में जो भी सीखा है, जो पाया है, उसे और लोगों तक पहुंचाने की चुनौती स्वीकार करें । स्वास्थ्य मे 70 प्रतिशत हिस्सा भोजन का है और बाजारवाद संस्कृति ने खानपान को स्वास्थ्य से दूर कर दिया है । इसके प्रति जागृति लाना जरूरी है । योग एवं प्राकृतिक योग अनुसंधान एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र द्वारा तीन दिवसीय शिविर के संचालक तथा प्राकृतिक चिकित्सा के प्रकाण्ड पंडित डॉक्टर पुखराज ओरा ने कहा कि, प्रकृति स्वास्थ्य है, और प्रकृति के करीब जाना ही स्वास्थ्य लाभ है । योग अनुसंधान एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र द्वारा प्रकाश ट्रेडर्स के सहयोग से तीन दिवसीय स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया था । जिसमें 57 लोगों ने भाग लिया । प्रात 7:30 बजे से 1 बजे तक आयोजित शिविर में प्रतिदिन नींबू, आंवला, धनिया, पुदीना, चुकंदर, मेथीदाना, टमाटर, जामफल, आदि रसपान कराया गया । योग, ध्यान, एरोबिक्स, के अलावा, भाप स्नान कटी स्नान, विभिन्न प्रकार की मिट्टी स्नान, धूप स्नान, आदि कराया गया । शिविर में मार्गदर्शन देने के लिए समाजसेवी तथा देसी चिकित्सा के विद्वान अनोखीलाल कटारिया, आरोग्यधाम योग केंद्र के संचालक मोहनलाल पिरोदिया, मंगल पिरोदिया, चंदनमल घोटा, की विशेष उपस्थिती रही । आरोग्यधाम योग केंद्र के संचालक मोहनलाल पिरोदिया द्वारा जैविक साबुन, शैंपू, हल्दी-मिर्ची-धनिया पाउडर, विभिन्न प्रकार की दालें, तथा गुड़ के लड्डू, ड्राई-फ्रूट ज्युस, अखरोट का तेल, आदि कई वस्तुएं शिविरार्थियो को उपलब्ध कराई गई । डाक्टर मुजावदिया ने योग तथा ऐरोबिक्स एक्सरसाइज के साथ काव्यपाठ तथा चुटकलो से शिविरार्थीयो को काफी प्रभावित किया । आभार प्रदर्शन ललित गांधी ने किया ।