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ईश्वर को पाने की पहली शर्त ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा- पंडित शिवगुरू
Report By: खलील मंसूरी 28, Dec 2023 1 year ago

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कर्म का फल समय आने पर सभी भोगना पड़ता हैं... 

माही की गूंज, कठ्ठीवाडा़।

        ईश्वर को पाने की पहली शर्त हैं ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा होना जरूरी हैं। प्रसन्नचित व्यक्ति ही परमात्मा को प्राप्त कर सकता हैं। जब विपत्ति आती हैं तो कोई नहीं आता हमें जिन पर विश्वास होता हैं वह सबसे पहले साथ छोड़ देते हैं। यदि कोई पास होता हैं तो वह सिर्फ हमारा ईष्ट ही हमारे साथ होता हैं। इसलिए शिव रूपी भोले ईष्ट को अपना लो।

        उक्त बात कठ्ठीवाडा़ में आयोजित शिवपुराण कथा के तिसरे दिन कथावाचक विद्वान पंडित शिवगुरू ने धनारमाता मंदिर परिसर में उपस्थित कथा श्वावकों से व्यासपीठ से कही। पंडित शिवगुरू ने प्रसंगवश दृष्टांत देते हुए आगे कहा कि, जब तक आप काम के हो तब तक सब आपको चाहेगे यदि काम के नहीं तो कोई आपको नहीं चाहेगा। अपना काम खुद करो जो काम करो उसमें सेवा का भाव रखो। जो भी कमाओगे उसके सच्चे झूठे कर्म का फल खुद को ही भोगना पड़ता हैं इसलिए नीति की कमाई करें। कर्म किसी को नहीं छोड़ता हैं। हम जो करते हैं जीवन में वही लौट कर आता हैं इसलिए जो भी करे सोच समझकर करें। जो माता-पिता अपने बच्चों के लिये जरूरत से ज्यादा कमाकर रखते हैं वे बच्चों के सबसे बडे़ दुश्मन हैं। इसलिए उतना ही कमाकर रखे जिससे बच्चें पुरूषार्थी बन सके। घर में जो भी कमाई आए वह सात्विक होना चाहिये। ईश्वर की भक्ति मन न लगे तब भी करते रहना चाहिए जितना समय मिले उतनी भक्ति जरूर करे जिससे धीरे-धीरे ही सही मन अवश्य लग जायेगा।

        पंडित शिवगुरू ने कहाकि शिवपुराण के अनुसार अपने घर में स्थापित शिवलिंग की ऊंचाई एक अंगुल से ज्यादा नहीं होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार पार्थिव शिवलिंग की पूजा जरूर करना चाहिए। इसके बगैर मनुष्य जीवन निरर्थक हैं। कोई भी पूजा बिना ब्राम्हण के पूरी नहीं होती इसलिए जो भी पूजा करें ब्राह्मण की उपस्थिति में करना चाहिए। तीर्थ यात्रा जाना हैं तो जब तक हाथ पैर, शरीर काम करें तब ही तीर्थ यात्रा कर लेना चाहिए। उम्र के अंतिम पडा़व में तीर्थ यात्रा के बजाय भगवान का ध्यान व भजन घर पर ही कर लेना चाहिए। अपने बच्चों को शास्त्रों व धर्म का ज्ञान समय रहते अवश्य दे।

        कथा का धर्मलाभ लेने के लिये ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ भाबरा, अलीराजपूर से भी कथा सुनने के लिये बडी़ संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।


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