सभी शव मेडिकल कॉलेज से कोरोना प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार के लिए भेजे गए
कम पड़ी मुक्तिधाम में जगह, बाहर ही करना पड़ा अंतिम संस्कार
माही की गूंज, रतलाम
है राम, ये क्या हो रहा है... दो दिन पहले ही तो कोविड-19 जिला प्रभारी मंत्री और प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने दो दिन में रतलाम मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था सुधारने का दावा किया था। जिसकी बुधवार को हवा निकल गई, कड़वा सच तो यह है। अब तक कोरोना का हा-हाकार मचा था, जो अब मौत के तांडव तक जा पहुंचा है। मेडिकल कॉलेज से कोरोना प्रोटोकाल के साथ रवाना हुए शव से आज भक्तन की बावड़ी का शमशान आबाद रहा। बुधवार को इस शमशान घाट पर एक साथ इतनी लाशें आई की अंतिम संस्कार के लिए प्लेटफार्म छोटा पड़ गया, जिसके बाद मुक्तिधाम के बाहर शवो का अंतिम संस्कार करना पड़ा। यह रतलाम का इतिहास बन गया कि, किसी मुक्तिधाम में एक दिन में इतने अधिक शवों का अंतिम संस्कार हुआ। यह सभी शव कोरोना प्रोटोकाल के तहत मेडिकल कालेज से लाए गए थे। मैदानी हक़ीक़त तो यही है कि, एक दिन में दो दर्जनो से अधिक मौते हुई, जिनका कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार हुआ। भक्तन की बावड़ी में एक दर्जन शवो का एक साथ अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था है। जब शमशान पहुचकर मैदानी हकीकत देखी तो दिल दहलाने वाली तस्वीरे सामने आई। शमशान में 12 शव प्लेटफॉर्म पर, तो उतने ही नीचे और कुछ शमशान के बाहर अंतिम विदाई ले रहे थे। मृतकों के शव लाये जाने पर आज उनके परिजनों की भीड़ भी बड़ी संख्या में भक्तन की बावड़ी स्थित मुक्तिधाम पर लगी रही। चिताएं आग की लपटों में धधक रही थी जिसे देख शर्मसार होती मानवता सवालों पर सवाल खड़ा कर रही थी। कौन है इन मौतों का जिम्मेदार...? क्या कारण रहा मौत का...? आखिर कब तक सिस्टम कित्रिम आक्सीजन पर मौतों पर मौत का खेल खेलता रहेगा और जिम्मेदार मौन होकर दीवारों पर तस्वीरे लगाते रहेंगे...? उन परिवारों का क्या होगा जिनके परिजनों का साया वे-वक्त उठ गया...? कौन जिम्मेदार सच्चाई बयां करेगा...? या झूठे आंकड़ो की बैसाखी पर मौतों का तांडव चलता रहेगा...?