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जाॅगिंग करने वालों के लिए रेवाकुंज पर बनेगा "नील गगन के तले" पथ

माही की गूंज, बड़वानी
नवीन सर्किट हाउस की 10 पहाड़ियों पर लगे लगभग 20 हजार पौधों के मध्य, हरियाली से सरोवर, घुमावदार, उतार-चढ़ाव से भरपूर, "नील गगन के तले" जाॅगिंग पथ बनेगा। जिससे सुबह-शाम घूमने के शौकीन लोगों को शहर से लगा हुआ एवं प्राकृतिक वातावरण से सराबोर, खुली हवा में घूमने का साफ-सुथरा, भीड़भाड़ से परे, वाहनों के निकलने वाले धुएं से मुक्त स्थान मिल सके।
पर्यावरण सहेजने के शौकीन एवं बड़वानी कलेक्टर के पद पर पदस्थ नवागत कलेक्टर शिवराजसिंह वर्मा ने बताया कि, नवीन सर्किट हाउस की पहाड़ियों को हरा-भरा बनाने हेतु विभिन्न चरणों में लगभग 20 हजार पौधे लगाने का कार्य अंतिम चरणों में है। इन पहाड़ियों पर पौधा लगाने के कार्य की पूर्णता के पश्चात, नहर के दूसरी तरफ की विशाल पहाड़ी को भी हरा-भरा करने हेतु खड्डा खुदवाने का कार्य प्रारंभ हो गया है। यह पहाड़ी कितनी विशाल है इसका अंदाजा इस पर आकर किया जा सकता है। क्योंकि वर्तमान में इस पहाड़ी के लगभग 10 वे हिस्सा जो 5 हेक्टर होता है उस पर साढे तीन हजार खड्डे खुदवाने का कार्य किया जा रहा है। जब संपूर्ण पहाड़ी पर पौधा लगाने का यह कार्य सभी के सहयोग से पूर्ण हो जाएगा तब यह क्षेत्र मॉर्निंग-इवनिंग वॉक करने, साइकिलिंग करने वालों को भी भरपूर आनंद देगा।
श्री वर्मा ने बताया कि शीघ्र ही रेवाकुंज की 10 पहाड़ियों पर श्रमदान के माध्यम से लगभग 20 किलोमीटर लंबा वाकिंग ट्रैक का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा। जिससे मॉर्निंग-इवनिंग वॉक करने वाले प्रकृति से भरपूर इस क्षेत्र में आकर अपना घूमने का शौक पूरा कर सकें। श्री वर्मा कहते कि जब नहर के दूसरे तरफ की लगभग समतल 50 हेक्टर की पहाड़ी भी इसी तरह से पौधों से भर जाएगी तब इस पठारी क्षेत्र में कच्चा मार्ग भी बनवाया जाएगा। जहां पर साइकिलिंग करने के शौकीन लोग आकर अपने इस शौक को पूरा करते हुए अपनी क्षमताओं को भी परख सकेंगे ।
कलेक्टर श्री वर्मा बताते हैं कि उनका पूरा प्रयास है कि, नवीन सर्किट हाउस का संपूर्ण क्षेत्र पौधों से अच्छादित होते हुए लोगों को बढ़िया पिकनिक स्पॉट उपलब्ध कराएं। जिससे शहर के लोग अपने घरों के पास ही आकर पिकनिक मनाने का आनंद उठा सकें। उनका पूरा प्रयास रहेगा कि रेवाकुंज से रनवे पठार (नहर के दूसरे तरफ की लगभग समतल 50 हेक्टर का क्षेत्र) तक झूलते हुए पुल का भी निर्माण हो, जिससे लोग एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर जाते हुए प्रकृति के नजारे, हवा रूपी उसकी ताकत, अपने साहस की परीक्षा कर सकें।