माही की गूंज, अलीराजपुर।
अपने जीवन को देश को समर्पित करो, भगवान को नित्य भोग लगाओं, बिना नाम कमाए भगवान की नि: सवार्थ सेवा करना चाहिए। जीवन में कभी संयम नहीं खोना चाहिए। भागवत कथा में बुराई रूपी वस्तु का दान करें। किसी का बूरा न करें। उक्त विचार रामदेव वाटीका समाधी स्थल पर चल रही भागवत कथा के पाचवें दिन पण्डित कमलेश नागर नानपुर वाले ने व्यक्त किए।
कथा के प्रारम्भ में आयोजक परिवार किशनलाल गणपत राठौड़, लीला बाई राठौड़, तरुण टिंकू राठोड़, शितल राठौड़, गुडवाडा परिवार एवं धरावरिया परिवार के सदस्यों ने व्यासपीठ का पूजन किया। पण्डित नागर ने आगे कहां कि, भगवान को प्राप्त करने के लिये हम उपवास व भजन करते है। भगवान सबसे ज्यादा गीता गोपी व गाय से प्रेम करते है। महिलाए जब कुवारी थी तब अच्छे पति के लिये उपवास करती थी व फिर करवाचैथ का वृत करती हैए, फिर माँ बनती है तो अपने बच्चो के लिये वृत करती है। व्यक्ति को जीवन में छः पेड़ लगाना चाहिए। सभी गोपीयों ने कृष्ण भगवान को पाने के लिये कात्यायन का वृत किया। पण्डित जी ने "छोटी-छोटी गय्या छोटे-छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल", "ओम नमः भगवते वााुदेवाय", "मिठो रस से भरी योरी राधा रानी लागे राधा रानी लागे यमूनाजी ने पानी लागे राधे-राधे-राधे" भजन गाया तो पूरा पाण्डाल नृत्य से गुंज उठा। कायर्क्रम का संचालन कमल राठौड़ ने किया।
मीडिया प्रभारी कृष्णकान्त बेडिया ने बताया कि, एक जनवरी 2022 को कथा का समापन होगा। आज शुक्रवार को रूखमणी विवाह सम्पन्न होगा। अन्त में महाआरती के साथ महाप्रसादी का वितरण हुआ। आज कथा पाण्डाल में गोवधर्न पवर्त की पूजा हुई।