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कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की गुटबाजी से दोनो आमने -सामने
Report By: राकेश साहु 27, May 2020 4 years ago

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माही की गूंज, धार

कांगेस की गुटबाजी और आपसी कलह के कारण ही प्रदेश से कांग्रेस का सफाया हो गया है। आपसी खींचतान व गुटबाजी के कारण कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा है, फिर भी गुटबाजी खत्म नहीं हो रही हैं। प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी लम्बे समय से चली आ रही हैं और कांग्रेस हाईकमान भी गुटबाजी को रोक नहीं पाया है। प्रदेश में कभी अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, सुभाष यादव के गुट के साथ-साथ कमलनाथ व माधवराव सिंधिया की जोड़ी में गुटबाजी हुआ करती थी। अर्जुनसिंह का स्थान दिग्विजय सिंह ने लिया और उसके बाद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया कैंप हुआ करते था।  विधानसभा चुनावों में कमलनाथ को सीएम बनाने में दिग्विजय सिंह ने सहयोग दिया तो कमलनाथ ने सिंधिया का साथ छोड़ दिया। सिंधिया के जाने के बाद अब कमलनाथ और दिग्विजय सिंह प्रदेश में रह गए हैं और सत्ता की लड़ाई में अब कमलनाथ औऱ दिग्विजय सिंह आमने सामने आ गए हैं। इन दोनो गुटों के बीच आपसी खींचतान इस कदर बढ़ गई है कि इनकी लड़ाई अब सड़क पर आ गई है। वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष व राज्य की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के साथ-साथ राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। नेता प्रतिपक्ष के लिए दिग्विजय सिंह डॉ गोविंद सिंह को आगे कर रहे तो कमलनाथ अपनी औऱ से बाला बच्चन को बनवाना चाहते हैं। इसी प्रकार उपचुनाव में दिग्विजय सिंह अपने समर्थकों को टिकिट दिलाना चाहते हैं जिससे विधायको की संख्या अधिक होने के कारण विधायक दल की बैठक में अपने मनपसंद  सीएम अजय सिंह को बनाया जा सके और प्रदेश में सत्ता पर कब्जा बना रहे। ठीक इसके विपरीत कमलनाथ अपने मनपसंद समर्थकों  को टिकिट देना चाहते है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाकर बीजेपी को सबक सिखाने की कोशिश में लगे हुए हैं। दिग्विजय सिंह अपने विरोधियों को आगे नहीं बढ़ने देते हैं और अपनी राजनीतिक चालों से  प्रयास कर उनको कमजोर कर देते हैं।उपचुनाव में कांग्रेस की पराजय होती है तो नैतिकता के आधार पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग की जाएगी। इसके विपरीत कांग्रेस अगर जीत जाती है तो विधायक की संख्या का गणित दिग्विजय सिंह के साथ होने के कारण अजय सिंह को विधायक दल का नेता बनाने के लिए आगे कर दिया जायेगा। 

       प्रदेश कांग्रेस के ये दोनों कद्दावर नेता अपने-अपने बेटों को प्रदेश की राजनीति में आगे बढ़ाकर स्थापित करना चाहते है। प्रदेश में गुटबाजी व आपसी खींचतान का ही असर रहा कि पिछले दिनों प्रदेश के ग्यारह जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति दिल्ली से की गई, जबकि आमतौर पर यह जिम्मा प्रदेश कांग्रेस का रहता है। 

       प्रदेश के कई बड़े चेहरे फिलहाल कमलनाथ के साथ हैं। जिनमें बाला बच्चन, सज्जन सिंह वर्मा, तरुण भनोत, सुखदेव पांसे जैसे नेता शामिल हैं। ये सभी कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी व पूर्व स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति भी नाथ के साथ हैं। यह खेमा बाला बच्चन को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहता है। इसके पीछे दलील है कि वे उपनेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। वहीं सज्जन सिंह वर्मा का नाम भी रेस में बताया जा रहा है। दूसरी ओर दिग्विजय सिंह के खेमे में गोविंद सिंह, जयवर्द्धन सिंह, जीतू पटवारी, अजय सिंह, आरिफ अकील, व के पी सिंह जैसे नेता हैं।

        उपचुनाव में प्रत्याशियों के चयन को लेकर गुटबाजी उभर कर सामने आ रही है। गुटबाजी के चलते जल्द ही प्रदेश में होने वाले उपचुनावों के लिए प्रत्याशियों के नाम भी तय नहीं हो पा रहे हैं। दोनों ही खेमे अपने-अपने लोगों को टिकट दिलाने के लिए एकदूसरे का विरोध कर रहे हैं।      

           कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए नेता चौधरी राकेश सिंह व प्रेमचंद गुड्डू की घरवापसी में भी अड़ंगबाजी चल रही हैं। कमलनाथ खेमा राकेश चतुर्वेदी को भिंड की मेहगांव सीट से उतारना चाहता है। लेकिन अजय सिंह सहित दिग्विजय खेमे के कई नेता उन्हें टिकट दिए जाने का विरोध कर रहे हैं। इसी तरह, गुड्डू की पार्टी में वापसी व टिकट देने का विरोध कमलनाथ खेमा कर रहा है।

         राज्यसभा सीट को लेकर भी कमलनाथ व दिग्विजय सिंह आमने सामने हो गए  है। राज्यसभा के लिए कांग्रेस ने दो उम्मीदवार खड़े किए हैं। इनमें दिग्विजय सिंह औऱ दूसरा दलित चेहरा फूल सिंह बरैया का हैं। कांग्रेस एक सीट तो आसानी से जीत जाएगी, जबकि दूसरी सीट के लिए उसे बीजेपी का समर्थन चाहिए होगा। 

दोनों को अपने बेटों की चिंता

कांग्रेस में सिंधिया के रहते कमलनाथ व दिग्विजय सिंह एक साथ दिख रहे थे। सिंधिया के रहते इनके बेटे प्रदेश में आगे नहीं बढ़ सकते थे। लेकिन अब सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया तो अब कांग्रेस में कमलनाथ व दिग्विजय सिंह ही बचे जो अपने बेटों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इन दोनों के बीच प्रतिस्पर्द्धा चल रही है। एक ओर दिग्गी अपने रिस्तेदार अजय सिंह को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं और अजय सिंह के साथ में बेटे जयवर्द्धन के लिए प्रदेश कांग्रेस में वर्चस्व कायम करने के लिए तैयार है। वहीं कमलनाथ भी अपने बेटे व छिंदवाड़ा से सांसद नकुल नाथ को प्रदेश की राजनीति में आगे बढ़ाना चाहते हैं।


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