Tuesday, 05 ,August 2025
RNI No. MPHIN/2018/76422
: mahikigunj@gmail.com
Contact Info

HeadLines

आखिर शिक्षा व्यवस्था की जड़े कमजोर की जिम्मेदारी किसकी... | मतदाता सूची पुनरीक्षण पर इतना बवाल...! आयोग जवाब दे... | एनआरबी ट्रांसपोर्ट पर माल गुम नहीं होता कर दिया जाता है...! | राजस्थान की घटना के बाद सक्रिय हुए ग्रामीण, जर्जर स्कूल भवन को लेकर दर्ज करवाई शिकायत | गौ सेवा सर्वोत्तम और परोपकार से बढ़कर कोई पुण्य नहीं होता है- शास्त्री जी | डा. का फर्जी स्थानांतरण आदेश का बड़ा मामला आया सामने | झाबुआ कलेक्टर के साथ हुई यह दुर्घटना सामान्य या षड्यंत्र...? | पुलिस व्यवस्था की खुली पोल, लाखों रुपए के इलेक्ट्रॉनिक सामान की हुए चोरी | उपराष्ट्रपति का इस्तीफाः असंतोष की शुरुआत या स्वास्थ्य का बहाना ...? | भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की गाड़ी से बड़ी दुर्घटना, तीन जख्मी | मातृशक्ति महिला मंडल ने निकाली कावड़ यात्रा | हाउस सेरेमनी व शपथ विधि समारोह संपन्न | बड़े तालाब में डूबने से व्यक्ति की मौत | इरादे तो सैकड़ो बनते हैं बनकर टूट जाते हैं कावड़ वही उठाते हैं जिन्हें भोले बुलाते हैं | महिला एवं बाल विकास मंत्री ने हरिहर आश्रम में पार्थिव शिवलिंग का किया जलाभिषेक | गुजरात की घटना से सबक नहीं लिया तो यहां भी पड़ सकती हैं इंसानी जान खतरे में | सेवानिवृत्त शिक्षक विजयसिंह देवड़ा का आकस्मिक निधन | नशा मुक्ति जागरूकता रैली का आयोजन, निकली गई रैली | आरसीबी की जीत के बाद रजत पाटीदार ने आचार्य देवेंद्र शास्त्री का लिया आशीर्वाद | पीहर पक्ष के साथ लोटी कनक, सुसराल वालो पर करवाया प्रताड़ना का मामला दर्ज |

मनुष्य का जीवन हमेशा सत कार्य में लगा होना चाहिए- प. कमलेश नागर
01, Jan 2022 3 years ago

image

रामदेव वाटीका में भागवत कथा का हुआ समापन

माही की गूंज, अलीराजपुर।

           प्रण् पाचात्य संस्कृति ने धर्म को तोड़ दिया जैसी होगी दृष्टि वैसी होगी सृष्टि। ऋण तीन प्रकार के होते है पहला ऋण माता-पिता का, दुसरा ऋण ऋषीयों का, तीसरा ऋण देव का। मनुष्य का जीवन हमेशा सत कार्य में लगा होना चाहिए। श्रीमद भागवत में 12 स्कन्ध और 18 हजार श्लोक है। मुस्कुन्द महाराज नृसिंह मेहता बने। मुक्ति से बड़ी वस्तु भक्ती है। भक्ती करोगे तो भगवान भक्त के पास स्वयं आते है। मुक्ति भगवान के हाथ में है। हमेशा दुखीयों की सेवा करों। जीवन में तीन चिज का बहुत महत्व है राग-अनुराग व वैराग्य। राग का मतलब प्रेम अनुराग का मतलब आशु आना।

            उपरोक्त विचार रामदेव वाटीका समाधी स्थल पर चल रही भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक पूज्य पण्डित कमलेश जी नागर नानपुर वाले ने व्यक्त किये। कथा के प्रारम्भ में आयोजक परिवार किशनलाल गणपत राठौड़, लाला बाई राठौड़, तरूण, टींकू, शितल राठौड़, गुडवाडा परिवार एवं धरावरिया परिवार के सदस्यों ने व्यासपीठ का पूजन किया। शुक्रवार को पाण्डाल में कृष्ण रूखमणी विवाह सम्पन्न हुआ। गरबारास करते हुवें व नृत्य करते हुवें श्रद्धालुगण भगवान कृष्ण व रूखमणी को मंच पर लाये जहां पर माला पहनाकर विवाह सम्पन्न हुआ। यश राठौड़ ने कृष्ण भगवान का रूप धारण किया व भूमिका राठौड़ रूखमणी बनी।

              पण्डित नागर ने राजा परीक्षित की  सुनाई। कृष्ण-सुदामा मिलन का का सुंदर वणर्न करते हुवें उन्होंने कहा कि, जैसे ही सुदामा दरवाजे पर पहुंचे भगवान कृष्ण दौडे़-दौडे़ दरवाजे पर गये। और सुदामा की अगवानी कर उनके पैर धोकर व चरण की पूजा की। सुदामा का आलिंगन कर खूब रोये। आज भागवत कथा में राठौड़ समाज के अध्यक्ष किशनलाल राठौड़ व समाज सेवी जानकीवल्लभ कोठारी भी उपस्थित रहे कायर्क्रम का संचालन कमल राठौड़ ने किया। 

              मीडिया प्रभारी कृष्णकान्त बेडिया ने बताया कि, आज शनिवार को भागवत कथ का समापन हुआ। पण्डित नागर प्रतिवर्ष तीर्थ क्षत्रों 108 ब्राहमणों के साथ भागवत कथा करेंगे जिसकी शुरूआत नेमीशरण तीर्थ से होगी। आज कथा में भारी संख्या में महिला व पुरूष उपस्थित थे। अन्त में तरूण राठौड़ ने सभी का आभार माना।




माही की गूंज समाचार पत्र एवं न्यूज़ पोर्टल की एजेंसी, समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करे... मो. 9589882798 |