माही की गूंज, आम्बुआ।
भागवत कथा मनुष्य के जीवन को स्वच्छ तथा साफ करती है मन में जमा विभिन्न प्रकार का मेल कथा से वैसे ही साफ हो जाता है। जिस तरह गंदा कपड़ा साबुन से साफ हो जाता है भागवत कथा भी मन में भरा मैल साफ कर देती है। भागवत कथा मनुष्य को भवसागर से वैसे ही पार कर देती है जैसे लोहे की कील लकड़ी में लगकर पार हो जाती है भागवत परम मोक्ष प्रदान करती है।
उक्त वक्तव्य आम्बुआ में शंकर मंदिर प्रांगण में राठौड़ परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा के प्रथम दिवस व्यास पीठ से पंडित अमित शास्त्री ने व्यक्त किये। उन्होंने आगे भक्ति का वर्णन करते हुए बताएं की भक्ति के दो बेटे ज्ञान और वैराग्य मां भक्ति जवान थी जब की बेटे बूढ़े हो गए थे। भक्ति ज्ञान वैराग्य की कथा के साथ भागवत का महत्व बताया कथा के पूर्व जजमान परिवार ने भागवत कथा की स्थापना पूजा आरती की।
शास्त्री जी ने कथा में बताया कि, मन ऐसा है जो कि मनुष्य को मोक्ष दिलाता है जिसके बाद उन्होंने आत्मदेव की कथा सुनाई जिसके घर संतान नहीं थी। वह दुखी होकर घर से बाहर निकल कर मरने चला रास्ते में संत मिले जिन्होंने समझाया तथा उसे एक फल दिया। कहा पत्नी को खिलाना संतान होगी फल उसने पत्नी को दिया उसने गाय को खिला दिया अपनी बहिन के बच्चे को रख लिया जिसका नाम धुंधकारी रखा। फल खाने से गाय को भी बच्चा हुआ जिसका नाम गोकर्ण रखा गया। धुंधकारी व्याभिचारी हो गया तथा मरने के बाद प्रेत बना जिसका उद्धार उसके भाई गोकर्ण ने भागवत कथा सुना कर किया 7 दिनों की कथा के बाद जब धुंधकारी का उद्धार हुआ तो वह गोलोक गया। भी पापी होते हैं उनका उद्धार भागवत भजन से हो जाता।