माही की गूंज, खरगोन।
इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च नई दिल्ली के द्वारा "नर्मदा की सांस्कृतिक परंपराओं का लोक पक्ष" विषय पर केंद्रित बृहद प्रोजेक्ट संस्कृत 'प्राच्य भाषा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र, भोपाल जो रविंद्र नाथ टैगोर विश्व विश्वविद्यालय से सम्बंध है, इन्हें शोध व अनुसंधान का दायित्व सौंपा गया है। इस वृहद शोध कार्य को सुचारू रूप से करने हेतु विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. संतोष चौबे की अध्यक्षता में प्रदेश के नदी विशेषज्ञ, लोक संस्कृति के अध्येता व प्राचीन संस्कृति के विद्वानों का एक सलाहकार बोर्ड गठित किया गया है। इस बोर्ड में नर्मदा प्रेमी दिलीप कर्पे को भी नामित किया गया है। भोपाल में आयोजित बोर्ड की प्रथम बैठक में शामिल होकर श्री कर्पे ने बताया बताया कि, इस अनुसंधान में नर्मदा नदी से सृजित व संपोषित सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति लोक मानस के संबंधों को उजागर करना। लोकरंग लोक साहित्य, संस्कृति, श्रुति परंपरा, धार्मिक मान्यताओं व साहित्य की परंपराओं को मूल स्वरूप में एकत्र करने के साथ ही लोकगीतों का संग्रह की लाइव रिकॉर्डिंग, जनजातीय कलाओं का वीडियो चित्रण, भारतीय ज्ञान परंपरा का अभिलेखीकरण एवं विलुप्त संस्कृति के संरक्षण का शोध परख कार्य किया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि, नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के सोलह, महाराष्ट्र के एक और गुजरात के चार जिलों से बहकर खंभात की खाड़ी में समहित होती है। यह मध्य प्रदेश की "जीवन रेखा" भी है। इसकी लगभग 41 छोटी बड़ी नदियां भी सहायक है। नर्मदा जी गंगा, यमुना नदियों से भी प्राचीन नदी है, यह नदी पश्चिम की ओर बहती है। केवल इसी नदी की परिक्रमा भी की जाती है और केवल इसी नदी पर "नर्मदा पुराण "भी लिखा गया है प्राचीन काल से आज तक निरंतर प्रवाहित है।
श्री कर्पे ने बताया कि, उन्होंने नर्मदा जी की परिक्रमा कर 230 स्थलो, 52 आश्रमो, 42 घाटो एवं 32 तीर्थ स्थलों से जानकारी प्राप्त कर अपनी पुस्तक में उल्लिखित किया है। आप नर्मदा जी के तट की संत परंपरा पर भी कार्य कर रहे हैं। इस कार्य के लिए नामित किया जाना "मैया की कृपा "का ही सुपरिणाम है। इस उपलब्धि पर सर्वश्री राकेश राणा, डॉ. पुष्पा पटेल, डॉ. मनहर, अशोक दीक्षित, सुधीर भट्ट, लखन पगारे, केबी मंसारे, शैलेश जैन, दिलीप पालीवाल, हेमंत मेहता, डॉ. लवेश राठौर एवं डॉ. पाटीदार व दीप जोशी ने भी हर्ष व्यक्त किया है।