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माही की गूंज, खरगोन।
राग बसंत पर केन्द्रित गायन एवं सांस्कृतिक समागम समारोह सोमवार को आदिवासी आंचल झिरनिया में आयोजित किया गया। बसंत राग एक अति प्राचीन राग है जिसकी चर्चा अनेक प्राचीन ग्रंथों में मिलती है। अकादमी की निदेशक श्रीमती नीरू सिंह ज्ञानी ने बताया कि पंजाबी संस्कृति में पंजाब की ऋतुओं में बसंत ऋतु सबसे लोकप्रिय और सुहावनी ऋतु मानी जाती है। पंजाबी साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा प्रयास है कि पंजाबी विरसा मातृभाषा लोक संस्कृति के कार्यक्रमों को प्रदेश के सभी जिलों में करें। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 1168 से 1196 में इस राग के शीर्षक के तहत पांच गुरु साहिबों और चार भक्तों के 99 कार्य शामिल हैं। पंजाबी साहित्य अकादमी संस्कृति परिषद द्वारा प्रदेश के सुदूर आदिवासी आंचल झिरन्या में बसंत ऋतु के अवसर पर बसंत राग पर केन्द्रित गुरबानी कीर्तन गायन का आयोजन हुआ।
बसंत राग पर गायन के लिए पंजाब अमृतसर के मूर्धन्य हजूरी रागी जत्था दल के साथ धरमवीर सिंह जी के निर्देशन में गुरूद्वारा परिसर झिरनिया में गुरु सिंह सभा गुरूद्वारा परिसर मे रागीय गुरबाणी कीर्तन की प्रस्तुति की। रागी धर्मवीर सिंह जी का कीर्तन शब्द में मौली धरती मौल्य आकाश, माधव सतसंगत शरण तुम्हारी, सो सतगुरु प्यारा मेरे नाल है, हे रव हे सस हे करुणा निध, सतगुरु जागता है, गोपाल तेरा आरता, आदि गुरु ग्रंथ साहिब जी के शब्द कीर्तन प्रस्तुति संगत ने श्रवण किया। गुरु ग्रंथ साहिब जी के शब्द कीर्तन की प्रस्तुति सुनकर संगत निहाल हुई। कीर्तन पश्चात गुरु का अटूट लंगर गुरुद्वारा कमेटी द्वारा वर्ताया गया। आयोजन में गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष अजीत पाल सिंह, कनु भाटिया, श्रीमती गुरजिंदर कौर भाटिया, श्रीमती गुरदीप कौर भाटिया, जिंदल सिंह भाटिया, इंद्रपाल सिंह भाटिया, रंजीत सिंह भटिया, प्रीतपाल सिंह भाटिया, मोंटी भाटिया, झिरन्या सरपंच लखन मंडलोई, प्रीतम गिरी गोस्वामी उपस्थित रहें।
रागीय कीर्तन का बड़ा महत्व
पारम्परिक पंजाबी संस्कृति से युवा पीढ़ी को परिचित कराने व शासन के निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप आदिवासी अंचल में आयोजन संपन्न किया जा रहा है। ताकि आदिवासी समुदाय के साथ अन्य समाज भी पंजाबी परम्पराओं और संस्कृति से परिचित और आसक्त हो सके। जिससे इस देश की बहु सांस्कृतिक विधाओं को जीवन्त बनाया जा सके। हरदीप सिंह ईशर ने श्री गुरु हरकृष्ण पब्लिक स्कूल परिसर में भी संस्कृति पंजाबी लोक गायन की प्रस्तुति का आनंद सभी अंचल के ग्रामीण और श्रोतागण ने उपस्थित दर्ज कराई। जिसमे महिलाए और बच्चे भी अधिक संख्या में पहुंचे। इसी प्रकार बड़वाह में भी कीर्तन दरबार मंगलवार को श्री गुरु सिंह सभा में आयोजित किया जाएगा।