माही की गूंज, थांदला।
महर्षि दयानंद सेवाश्रम में पिछले 25 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे आचार्य दयासागर का आज सोमवार सुबह निधन हो गया। उनके निधन का समाचार मिलते ही पूरे नगर में शोक की लहर छा गई।आचार्य दयासागर मूल रूप से झारखंड के निवासी थे। 54 वर्ष के आचार्य पूरी तरह से ऊर्जा से भरे हुए और सकारात्मक विचारधारा के थे। आचार्य ने महर्षि दयानंद सेवा आश्रम की नवीन संस्थान की बुनियाद रखी। इस नवीन संस्थान में अब हजारों बच्चों का भविष्य गढ़ा जाएगा। आचार्य दयासागर ने पूरे जिले में आर्य समाज की आधारशिला को मजबूत किया है। समय-समय पर सामाजिक कार्यक्रम चलाकर समाज को कूव्यसनों से दूर रखकर जीवन जीने की सही कला बतलाई। आचार्य दयासागर का छोटे बच्चों के प्रति विशेष ध्यान था। वह जितने अनुशासन को लेकर सजग थे। उतने ही विद्यार्थियों और आश्रम की समस्याओं को लेकर संवेदनशील भी थे।महर्षि दयानंद सेवाश्रम के नवीन शैक्षणिक भवन की आधारशिला आचार्य ने रखी। नवीन भवन में होने वाली शैक्षणिक गतिविधियों को लेकर उनमें काफी उत्साह था। भवन के बनने के बाद भले ही शरीर तत्व में आचार्य अपने विद्यार्थियों, सहयोगियों के साथ नहीं है। लेकिन आत्मिक रूप से आचार्य की विचारधारा, उनका अनुशासन, प्रेम निश्चित ही भवन की एक-एक ईंट में रच-बस गया है। आचार्य की अंतिम यात्रा सोमवार दोपहर 2 बजे महर्षि दयानंद सेवा श्रम से नगर के विभिन्न मार्गो में दर्शनार्थ लाई गई। जिसके बाद आचार्य का अंतिम संस्कार महर्षि दयानंद से आश्रम में आर्य समाज के संस्कारों के साथ किया गया।