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राम रहीम के नाम से प्रसिद्ध भजन गायक जोड़ी के पीर मोहम्मद नहीं रहे
माही की गूंज, राजगढ़ (धार)
राजगढ़ में राम रहीम के नाम से प्रसिद्ध भजन गायक जोड़ी के पीर मोहम्मद यानी पीरु भाई का शनिवार 20 नवंबर को इंतकाल हो गया। उनके साथी भजन गायक शांतिलाल मकवाना जो की बम बम दा के नाम से प्रसिद्ध थे, उनका 9 साल पहले 10 नवंबर 2012 को निधन हो गया था। बम बम दा और पीरू भाई की जोड़ी नगर में अपनी भजन गायकी से देश प्रेम और भाईचारे का संदेश देकर छाप छोड़ रखी थी। लंबे समय तक दोनों साथ ही भजन गाते रहे, नगर के प्रमुख धार्मिक और संगीत के कार्यक्रम में दोनों की आवाज लोगों के कानों में रस घोल ती थी। यह भी संयोग ही है कि, दोनों का निधन 10 दिन के अंतर से नवंबर महीने में ही हुआ है। हिंदू भजन गाने वाले नगर के पीर मोहम्मद एवं उनके साथ शांति लाल मकवाना (बम बम दा) की जोड़ी ने नगर के हर वर्ग और समुदाय को अपनी गायकी के माध्यम से जोड़ रखा था। पीरु भाई भी ऐसे परिवार से थे जिसके सदस्य राम-राम कर अभिवादन करते थे। राजगढ़ के सनातन समाज ने उनके जनाजे पर पुष्प वर्षा कर उन्हें भावभीनी विदाई दी। भजन गायक पीर मोहम्मद रफी के प्रसिद्ध भजनों में से "आओ सखी मेहंदी तो लगाओ मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो", "चारभुजा से प्रीत मेरी हो गई रे सखी रे मैं तो गरबा खेलने आओ", "हम तो जाते अपने गांव सबको राम राम-राम" जैसे भजनों से सभी नगर वासियों को जोड़ने वाली दिलकश आवाज नहीं रही। लेकिन उनकी गायकी संगीतके फनकारों के मन में हमेशा के लिए अमर गई।
पीरु भाई के मित्र ने साझा की यादें
उनके अंतिम यात्रा में शामिल हुए उनके मित्र नटवरलाल मिस्त्री ने बताया, 20 वर्ष तक उनके साथ रहे पीरु भाई मैकेनिक गृह तथा मोहनखेड़ा तीर्थ पर जीप चलाई। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के मंडल अध्यक्ष रहे जिले के उपाध्यक्ष रहे नगर के पहले मुस्लिम भाई थे जो सबसे पहले इस विधानसभा में भाजपा से जुड़े थे। पीरु भाई नवरात्रि में गरबा गीत महाकाल सवारी हम सभी समाज जन के कार्यक्रम में अपने भजन की प्रस्तुति देते थे। अनंत चतुर्थी की झांकी को भी उनके द्वारा तैयार किया जाता था। रावण दहन में राम, लक्ष्मण, हनुमान जी के पात्रों को संगठित भी करते थे। चारभुजा युवा मंच गणपति अंबिका युवा मंच दामोदर जूना गुजराती दर्जी समाज एवं गवली समाज के भुजरिया पर्व पर भी सभी समाज के कार्यक्रम में विशेष अपनी प्रस्तुतियां देते थे।
अंतिम विदाई में सेन समाज, दर्जी समाज, लोहार समाज, राजपूत समाज, चारण समाज एवं गवली समाज के नगरवासियों ने नम आंखों से विदाई दी। साथ ही अखिल भारतीय संगीत कलाकार यूनियन के जिलाध्यक्ष आनंद सिंह सोलंकी एवं सभी जिले के संगीत कलाकारों के द्वारा उन्हें व्हाट्सएप एवं फेसबुक के द्वारा भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई और यह कहा कि, एक संगीत के सच्चे एवं रूह में उतरने वाले संगीत प्रेमी व फनकार को हमने खो दिया। आप नाटक मंचन भी किया करते थे। श्री जय अंबे रामायण एवं भजन मंडल में प्रतिदिन भजन चारभुजा जी मंदिर पर करते थे। चार भाइयों में सबसे बड़े थे उन्हें राजगढ़ के कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया।