माही की गूंज, कुशलगढ़ (राज.)
अक्सर भाभी को दूसरी मां का दर्जा दिया जाता है। कहा जाता है कि, बड़े भाई की पत्नी हमेशा एक मां के समान होती है। इस सोच को बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ की पायल चोपड़ा ने सच साबित किया है। उन्होंने हाल ही में अपने देवर को अपनी किडनी देकर एक नई जिंदगी दी है। उनकी इस सोच ओर त्याग की नगरवासी सराहना कर रहे है। 37 वर्ष की पायल ने अपने 31 वर्षीय देवर मयंक को अपनी किडनी दान करके उन्हें नया जीवन दिया। अपने इस फैसले से उन्होंने दूसरी मां होने की भूमिका निभाई ओर अपने परिवार में खुशियां लौटाई।
जानकारी अनुसार कस्बे के सरदार पटेल मार्ग निवासी बसंत चोपड़ा के परिवार की बड़ी बहू पायल ने 17 जून को अपने छोटे देवर को अपनी किडनी डोनेट की है। अहमदाबाद के केडी हॉस्पिटल में 30 डॉक्टरों द्वारा यह किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया। वर्तमान में डोनर पायल और उनके देवर मयंक दोनों की हालत स्वस्थ है। वही पायल चोपड़ा को दो दिन पूर्व ही हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई है, जबकि मयंक को अभी भी हॉस्पिटल में अंडर ऑब्जर्वेशन रखा गया है। डॉक्टरों ने उन्हें अभी कुछ दिन अस्पताल में रहने की सलाह दी है।
तीन वर्ष से था बीमार
मयंक करीब तीन वर्ष से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। परिवार के बड़े बेटे अर्पण ने बताया कि, करीब ढाई वर्ष पूर्व मयंक गोवा घूमने गया था वहां से आने के बाद गर्मी के कारण मयंक के शरीर पर लाल दाने हो गए। बांसवाड़ा में बताने पर क्रीटीनाइन बढ़ा हुआ आया। जांच करवाने पर किडनी डैमेज बताई गई। मयंक को कई बड़े शहरो में बताया। अर्पण ने बताया कि, पायल ही अपने ससुर के साथ मयंक को लेकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलोर आदि शहरो में गई, इस दौरान उसने स्वयं ही मयंक की देखभाल की।
खुद ही किडनी देने का किया फैसला
सास को अस्थमा, ब्लड प्रेशर ओर डायबिटीज होने से ओर ससुर के ब्लड ग्रुप ओर किडनी मेच नही होने से वे किडनी नही दे सके तथा पायल ने अपने पति अर्पण को किडनी डोनेट नही करने दी ओर खुद ही किडनी देने का फैसला किया।
अर्पण ने बताया कि, जब वह जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल मे इसके लिए अनुमत्ति लेने गए तब भी वहां टीम के सभी डॉक्टरों ने पायल को यह न करने के लिए भी समझाया, परन्तु पायल ने इसे सिरे से नकार दिया और कहा कि, मुझे मेरे भाई समान देवर को जीवनदान देने का जो सौभाग्य मिला है मैं उसे छोड़ना नहीं चाहती। इसी तरह गुजरात के गांधीनगर में भी कमेटी ने पायल को समझाया पर वह भी यहीं जवाब था कि, मुझे इस कार्य को करने के लिए मना नहीं करके जल्द से जल्द अनुमत्ति दे। किडनी डोनेट की प्रक्रिया बहुत ही कठिन है फिर पुलिस थाना कुशलगढ़, एसपी ऑफिस बांसवाड़ा, एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर, गांधीनगर हॉस्पिटल की मेडिकल कमेटी और केडी अस्पताल की पूरी टीम सभी ने इस कार्य मे सहयोग किया। अर्पण ने बताया कि, ट्रांसप्लांट सर्जरी में 30 चिकित्सकों की टीम ने लगभग 7 से 8 घंटे तक कार्य किया। ट्रांसप्लांट के बाद दोनों स्वस्थ है। सभी चिकित्सको ने द्वारा पायल द्वारा किए गए इस कार्य की प्रशंसा की। इस तरह खाब्या परिवार को बेटी जो चोपड़ा परिवार में बहू बनकर आई और चोपड़ा परिवार में एक माँ का फर्ज निभाया।