खरगोन के 15 और बड़वानी के 5 गाँवोँ के किसान, छात्र और मरीजों के विकास में अहम
आदिवासी जनपदों में पहुँच मार्ग के लिए पीएम सड़कें
माही की गूंज, खरगोन।
गांव और आदिवासी क्षेत्रों का मन में विचार आते ही ऊंची नीची पहाड़ियों और धूल मिट्टी व पत्थरों से बनी पगडंडी वाली सड़कें उभर आती है। लेकिन प्रधानमन्त्री सड़क योजना के दौर में अब ऐसी तस्वीरें इंसान से काफी दूर निकल चुकी है। खरगोन जिले में ऐसे दो स्थानों पर 6 सड़कें है जो चौराहें का निर्माण करती है। जिसके कारण अब सुदूर पहाड़ी अंचलों में भी पक्की लहराती सड़के देखने को मिलती है। जो किसानों को मंडी तक, छात्रों को विद्यालय व महाविद्यालयों, मरीजों को स्वास्थ्य केंद्रों और गरीबों को राशन दुकानों तक विकास के रास्ते पर ला खड़ा कर रही है। ऐसी बदलती तस्वीर खरगोन जिले की सेंगाव तहसील और बड़वानी जिले की राजपुर तहसील तथा झिरन्या, भीकनगांव और भगवानपुरा के गांवो में आसानी से देखने को मिल जाती है। यहां ऐसी प्रधानमंत्री सड़कें है जो एक जगह पर आकर एक चौराहा बना रही है। इन तीन सड़कों से खरगोन के करीब 15 गाँव और बड़वानी के 5 गांवों के किसान, छात्र मरीज और गरीबों के साथ अनेको नागरिक पक्की सड़कों से मंजिल का सफर तय कर रहे हैं। ये सड़कें दो तरफ राष्ट्रीय राजमार्गाें को भी जोड़ती है। इसके अलावा जनजातीय जनपदों में बनी 3 सड़कें तरक्की की राह की ओर अग्रसर है।
इन सड़कों का इस तरह का है स्वरूप
पीएमजीएसवाय के महाप्रबंधक एचपी जाटव ने जानकारी देते हुए बताया कि, समय-समय पर सेगांव क्षेत्र में सड़कों का निर्माण हुआ है। जो एक स्थान पर आकर चौराहे का निर्माण होता। जिले में ऐसे दो चौराहे है जो पीएम सड़क निर्माण के बाद उभरे है। एक चौराहा जिले के दुर्गम आदिवासी क्षेत्र झिरन्या, भीकनगांव और भगवानपुरा तीन जनपदों को जोड़ता है। दूसरा सेगांव तहसील में नागलवाड़ी क्षेत्र की ओर है। यहां बनी सड़कों न सिर्फ अन्य जिले को जोड़ती है बल्कि यहाँ की आम जनता को महानगरों से जोड़ने में सहयोगी है। सेगांव क्षेत्र के उपयंत्री श्री कोचक ने बताया कि सेगांव से गोलवाड़ी तक कि 18.95 किमी. की यह सड़क वर्ष 2019 में 951 लाख रुपये की लागत से बनी है। इस सड़क के मध्य में 4.43 किमी. की 171.89 लाख रुपये की लागत का मार्ग और नीलकंठ से 2.64 किमी. नागलवाड़ी की जाने वाली सड़क 79.89 लाख की लागत से बनी है। जो एक स्थान पर चौराहे का निर्माण करती है।
पीएम सड़कों से राजमार्ग होकर दिल्ली-बॉम्बे तक पहुँच रही उद्यानिकी फसलें
गोलवाड़ी के सचिव झबर मंडलोई ने बताया कि गोलवाड़ी और नागलवाड़ी के किसान इन मार्गो से उद्यानिकी आधारित फसलें मुख्य रूप से मिर्च और टमाटर अच्छा उत्पादन कर रहे है। जब इस उत्पादन से मुनाफे की बात हो तो ये प्रधानमंत्री बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। इन्हीं सड़को से गुजर कर यहां से दिन रात बड़े बड़े वाहन फसलें परिवहन करते है। जो सेगांव और सेंधवा की ओर निकल कर इंदौर तथा बॉम्बे पहुँचते है। पहले ऐसी स्थिति थी कि यहाँ कोई भी व्यापारी अपने वाहन नहीं भेजता था। किसान खुद मंडी तक फसलें पहुँचाते थे। इसी तरह विद्यार्थियों के लिए और मरीजों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुँचने में आसानी हो रही है।
आदिवासी दुर्गम पहाड़ी अंचल में प्रवेश करने में सहायक है पीएम सड़कें
जिले की आदिवासी जनपदों झिरन्या भीकनगांव और भगवानपुरा को आपस मे जोडने वाली पीएम सड़के है। पीएमजीएसवाय की ये सड़कें कांकरिया से मोरदड के लिए 4.80 किमी. घोडीबुज़ुर्ग से मोगरगांव 1.24 किमी. और सतवाड़ा से घोडीबुज़ुर्ग 6.45 किमी. तथा कांकरिया से गोरखपुर के लिए 7.83 किमी. में निर्मित सड़के हैं। ये सड़के कुल 458.14 करोड़ की लागत से बनी है। इन्ही सड़कों से गरीब राशन दुकानों तक और विद्यार्थी हायर सेकेंडरी स्कूलों तक पहुँच पॉय रहे है। अब जिले में सड़कों का जाल एक बेहतर स्थिति में हो गया है।