केंद्रीय विद्यालय की बालिकाओं ने कोरोना संक्रमण के दौरान घर पर बनाएं मॉडल
माही की गूंज, खरगोन।
खरगोन के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाली भावसार और पाटीदार बहनों ने मिलकर गंदगी से मुक्ति के लिए मॉडल कोरोना संक्रमण के दौरान बनाये है। ट्रेस कलेक्टिंग बोट बनाने वाली बहने साक्षी और दिव्या भावसार तथा गार्बेज सेपरेटर बनाने वाली बहने है प्रज्ञा और प्राची पाटीदार। केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 11 वी की बालिका साक्षी ने अपने पापा के सेवा क्षेत्र में तालाब में गंदगी, कचरा और प्लास्टिक वाला कचरा देख। मन में आया कि इतने सुंदर तालाब को कचरे ने कितना बदसुरत कर दिया है। साथ ही इसमें रहने वाले जीव जंतु कितनी परेशानी उठाते होंगे। इस ख्याल को ध्यान में रख कर कक्षा 7वीं में पढ़ने वाली अपनी छोटी बहन दिव्या के सहयोग से ट्रेस कलेक्टिंग बोट बना दी।
इसी तरह प्रज्ञा ने अपने आसपास पशुओं को कागज और प्लास्टिक का मटेरियल खाते देखा। वहीं सोशल मीडिया पर वेस्ट मटेरियल के सेपरेट नहीं होने से पशुओं और पक्षियों के साथ-साथ इंसानों में भी इसके नुकसान देखें। यदि वेस्ट को सेग्रिगेशन नहीं कर पाए तो आने वाले वर्षाें में भूमि की स्थिति पर विचार करते हुए गार्बेज सेपरेटर बनाने का निर्णय किया। इसमंे कक्षा 8 वी में पढ़ने वाली उनकी छोटी बहन प्राची ने भी सहयोग किया।
जल स्त्रोत से गंदगी साफ करने में कारगर है बोट
साक्षी और दिव्या भावसार बहनों ने ट्रेस कलेक्टिंग बोट बनाई है। यह बोट किसी भी बड़े जलस्त्रोत में पानी बोतले, प्लास्टिक पन्नियों या अन्य तरह के कचरे को स्वतः डिटेक्ट कर लेती है। फिर उसकी और जाकर एक प्लेट उठाकर कंटेनर में कचरा डाल देती है। इस मॉडल में सोलर प्लेट चार्जर, अल्ट्रासोनिक सेंसर, मोटर, बैटरी तीन सेल की, कार्ड बोर्ड, केन और बेल्ट लगे हैं। केन्द्रिय विद्यालय में भौतिकी के शिक्षक श्री पवन पाटीदार ने बताया कि कोरोना संक्रमण की बढ़ती दर को देखते हुए स्कूल बंद थे। इस दौरान बालिकाओं ने मॉडल बनाने के लिए आवश्यक सामग्री की मांग की। उनकी इच्छानुसार सामग्री प्रदान की गई।
ये दोनों ही मॉडल स्वच्छता में सार्थक साबित हो सकते है
गार्बेज सेपरेटर घरों में भी बहुत उपयोग हो सकता है। आजकल नगर पालिका द्वारा कचरा वाहन से गिला और सूखा कचरा घर-घर जाकर एकत्रित किया जाता है। लेकिन कई घरों से सब होच पोच कचरा ही जाता है। बहुत से घरों से कचरा मिक्स हो जाता है। इसके लिए गार्बेज सेपरेटर बहुत काम की मशीन है। दरअसल यह मशीन सेन्सर के सहयोग से एक प्लेट पर कचरे की पहचान करती है। फिर एक मोटर से जुड़ा डंडा उस कचरे को धकेलने का काम करता है। साथ ही इस सेंसर और प्लेट से जुड़ी हुई एक अन्य मशीन है जो सेंसर के संदेश को पढ़कर गीले या सूखे कचरे की प्लेट खोल देती है। डंडा धकेलने का काम करता है। इसमें सेंसर, मोटर, रेन्ड्रॉप सेंसर और अल्ट्रासोनिक सेंसर तथा माइक्रो कंट्रोलर से मॉडल बना है।