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मौत के चीनी अवतार कोरोना, धरती पर तरस खाओ
Report By: पाठक लेखन 05, Dec 2021 2 years ago

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         दुनियाँ वैसे ही बहुत दुखों, पीड़ाओ ओर संकटों से भरी पड़ी है। ऐसे में हे! संकटों के सरताज मौत के चीनी अवतार कोरोना धरती पर रहम कीजिए। बिन बुलाए मेहमान की तरह यह तुम्हारा बार-बार आना पृथ्वीवासियों के संकटों में बेतहाशा वृद्धि कर रहा है। तुम पहली बार आए तो हमने ताली-थाली बजाकर शोर उत्पन्न किया, सोचा तुम थालियों-तालियों की गगनभेदी ध्वनि से भयभीत होकर चले जाओंगे। हमने गो कोरोना गो के नारों से आकाश गुंजा दिया तुम नहीं मानें। यह ताली-थाली का भय सारी दुनियाँ ने तुम्हे दिखाया तुमने किसी की एक ना चलने दी। फिर हमने घरों में अंधेरा कर आंगन में दीपक जलाएं। सोचा घरों का अंधेरा ओर आंगन का प्रकाश बरसाती किट-पतंगों की तरह तुम्हे नष्ट कर देगा। तुम नष्ट नहीं हुए। जब तुम नए-नए थै, तब ऐसा लगता था की हमारे टोने-टोटकों ओर प्रयोगों से तुम डर जाओगे, तुम नहीं डरे। हमने अपने मुंह पर मास्क लगाकर मुंह बंद कर लिया। सेनेटाइजर से हाथों को इतना साफ किया की हाथों की रेखाएं ही मिट गई, शहरों के भिड़ भरें गुलजार रहने वाले बाजारों को बंद कर दिया, सोचा कोई नहीं मिलेगा तो तुम वापिस लौट जाओंगे, तुम पर फिर भी कोई कोई असर नहीं हुआ। 
        तुम्हारी पहली दस्तक का मंजर ही कितना भयानक ओर डरावना था। इतना भयावह की मुम्बई, दिल्ली, कलकत्ता, मद्रास जैसे बड़े-बड़े महानगरों में काम के लिए गए लाखों लोग वाहनों के नहीं मिलने पर पैदल 500 से एक हजार किलोमीटर के सफर पर पैदल निकल गए। भूख, प्यास, भय एवं चिंताओं में अनेकों लोगो के प्राण पखेरू उड़ गए। पहले दौर में अचानक हुई तालाबंदी में गरीबों, मजदूरों के सड़कों पर चलते हुजूम को हमने देखा, दुखों पीड़ाओं के मार्मिक दृश्य से दो-चार हुए। ऐसा दौर जब जीवन दायिनी हवा एवं जीवन रक्षक पानी तक डराने लगा था। ऊर्जा देने वाले फल, सब्जी, अनाज में भी तुम्हारा ख़ौफ़ साफ नजर आ रहा था। 
        विपत्तियों के दाता! ऐसा माना जाता है कि, दुनियाँ में सिर्फ ईश्वर ही सर्वप्यापी है। हम भारतीयों की धारणा है कि, कण-कण में भगवान है। किन्तु तुमने यह अहसास कराया था की ईश्वर के बाद कण-कण में यदि कोई दूसरा व्याप्त दिखाई दिया तो कोरोना जी आप ही दिखाई दिए। सर्वव्यापी ओर सर्वनाशी पानी में तुम! वाणी में तुम! श्रमिको की कष्ट भरी कहानी में तुम! भीड़ भरे बाजारों को वीरान करते हुए, मुक्तिधामों में लगने वाली अनैच्छिक कतारों में आखिर तुम ही तुम तो नजर आ रहे थै। नाई की दाढ़ी बनाने वाली कैची, उस्तरे से लगाकर डॉक्टरों के ऑपरेशन के उपकरणों तक हर औजार में तुम्हारी उपस्थिति साफ दिखाई दे रहीं थी। पहली आमद से तुमने मानव जाति को त्राहि-त्राहि करने पर मजबूर कर दिया। है! पीड़ादायक इससे आपके मन को संतुष्टि नहीं मिली सो तुमने दूसरी बार आमद दी,दूसरी बार की तुम्हारी आमदगी का मंजर तो ओर भी अधिक ख़ौपनाक, भयावह ओर विभत्सकारी नजर आया। मौत जैसे सरेराह नाच रहीं थी। इस मातमी धुन में हर कोई तुम्हारे मायावी आकर्षण में फस कर मौत को गले लगाने को आतुर हुआ,दिख रहा था। अस्पतालों में जगह नहीं मिल रहीं थी। मुक्तिधामों में वेंटिंग चल रही थी। कफ़न, लकड़ी, कंडे आदि का अभाव हो गया था। जीवनदायिनी गंगा की पवित्र धाराओं में लाशें ऐसीं बह रही थी। जैसे तेज बाढ़ की अवस्था मे मूक जानवर बहते हुए आतें है। ऐसे डरावनें दृश्य जिन्होंने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया था। 
        हे! विनाशकारी कोरोना तुम्हारी दूसरी आमद में आपदा को अवसर में बदलने का महान श्लोगन चरितार्थ होता दिखाई दे रहा था। उपयोगी दवाओं, इंजेक्शनों, आक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी के किस्सों से अखबार और समाचार चैनल भरें पड़े थै। जिसको जैसा अवसर मिला उसने अपने तरह से लुटा। गरीबों को तुम्हारा स्पर्श भी हो गया तो वह अपना इलाज नहीं करा पाया। इस दुख और संताप में ही वह कालकलवित हो गया। हे! रहस्यमयी किन्तु सत्य। अब तुम्हारी तीसरी लहर की आहट सुनाई दे रहीं है। तुम नए-नए नामों ओर रूपों से मानवजाति के विनाश की कहानी क्यों लिखना चाहते हो। इस बार तुम ओर खतरनाक रूप में अपनी आमद की आहट से भयभीत किये जा रहे हो। हम धरतीवासी तो तुम्हारे ख़ौप से मुक्त होकर चैन से बैठे ही थै, तभी तुम्हारे पुनः लौटने की खबर ने भयाक्रांत कर दिया।
        हे! भयप्रदाता। तुम्हारे आने से पहले टीवी, अखबारों में तुम्हारे आने की खबर ही जान ले लेती है। तुम तो आते हो और चलें जाते हो किन्तु यह खबरें घर के अंदर बैठे लोगों को भयभीत कर देती है। सुना है,तीसरी बार आने के लिए तुमने अपने रूप में काफी परिवर्तन किया है। अब तुम जल्दी फैलकर विनाशलीला को अंजाम देना चाह रहे हो। इस बीच मानव ने तुमसे बचने का उपाय खोज निकालनें का दावा करते हुए अपने बाजुओं पर टिका लगाकर तुम्हें हराने का दम्भ भी भर ही दिया है। टीकाकरण कर मानव जीने की नवीन उमंगों से भर गया था। इस धरती पर तुम्हारे जैसे माववता के कितने ही दुश्मन समय-समय पर आए जिन्होंने अपनी आसुरी शक्ति से सुंदर धरती की मानव सरंचना को नष्ट करने की अनेकों कोशिशें की है। किंतु मानव हर बार विजयी हुआ है। हे। मौत के चीनी संस्करण बार-बार आना बंद कीजिए। दुनियाँ तुम्हारी तीसरी आमद से भयभीत है। हे! कलयुगी हिरण्यकश्यप तुमने ऐसा कौनसा वरदान प्राप्त कर लिया है कि तुम्हें धरती, आकाश, पाताल, अस्त्र, शस्त्र से नहीं मारा जा सकता है। अमरता का वरदान प्राप्त हिरण्यकश्यप का भी भगवान विष्णु ने नृसिह अवतार धारणकर वध कर दिया था। 
        हे! बहरूपिए कोरोना तुम्हारी भी मौत निश्चित है। किंतु धरती वासियों को बार-बार परेशान करने का यह दानवी कृत्य बन्द करें। दुनियाँ के इंसान प्रेम, मोहब्बत आपसी भाईचारे से रहकर धरती को सुंदरता प्रदान करने की कोशिशों में जुटा हुआ है। इस प्रेम भरी दुनियाँ में बार-बार तुम्हारी आमद धरतीवासियों को भयभीत कर रहीं है। हे! मौत के चीनी अवतार  कोरोना बार-बार के भय से धरतीवासियों को मुक्ति प्रदान करें। 

लेखक :- नरेंद्र तिवारी
मोतीबाग सेंधवा, जिला बड़वानी म.प्र.


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