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अवैध हथियारों के निर्माण का अंतहीन सिलसिला
07, Jan 2023 2 years ago

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पत्रकार वार्ताओं में पुलिस अधिकारियो से अक्सर एक ही सवाल पर मौत के समान का निर्माण नही हो रहा बंद...

         पश्चिमी मध्यप्रदेश के पुलिस थानों पर आए दिनों अवैध हथियारों के विरुद्ध की गई कार्यवाहियों के संबन्ध में आयोजित पत्रकार वार्ताओं में पुलिस अधिकारियों से पत्रकारों के अक्सर एक से सवाल रहतें है। जिनमें अवैध हथियारों के निर्माण के यह चिन्हित गांव कब तक मध्यप्रदेश और निमाड़ की बदनामी का कारण बने रहेंगे ? मौत का समान निर्माण करने वाले इन कारखानों में कब तक अवैध हथियारों का निर्माण होता रहेगा? कब पुलिस अवैध हथियारों के इस अपराध पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर सकेगी ? अवैध हथियार निर्माण के अपराध में बहुतायत में शामिल सिकलीकर समाज के इन लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए सरकार कोई अभियान क्यों नहीं चलाती ? अति उत्साहित पत्रकार मित्र तो हथियार बनाने के अपराध में रत इन लोगो को पुलिस या सेना की हथियार निर्माण इकाइयों में शामिल करने से सम्बंधित राय देतें हुए भी सवाल पूछ लेते है। अपने बरसों के पत्रकारीय जीवन मे इन जैसे अनेकों प्रश्नों के उत्तर पुलिस अधिकारियों से जानने के प्रयास किये। अधिकांश अधिकारियों ने अपने जवाबों में कहा पुलिस की कार्यवाहीं लगातार जारी है, पुलिस इस अपराध की समाप्ति के हरसम्भव प्रयास कर रही है, इस अपराध में शामिल अपराधियों का पता लगा रही है, पुलिस ने बीते सालों में अवैध हथियारों के खिलाफ सख्त कार्यवाहीं करतें हुए बड़ी मात्रा में प्रकरण दर्ज किए है। इस प्रकार के प्रश्नों का दौर अब भी प्रेस वार्ताओं में जारी है। पुलिस अधिकारियों के जवाबों में भी 20-25 बरसो में कोई बड़ा अंतर नही आया बल्कि वही पुराने जवाब दोहराए जा रहें है।

         वर्ष 2023 जनवरी माह के शुरूवातीं सप्ताह में पुलिस द्वारा पश्चिमी मध्यप्रदेश के बड़वानी, खरगोन, धार, बुरहानपुर जिलों में संयुक्त छापामार कार्यवाहियों को अंजाम देते हुए 78 फायर आर्म्स सहित अवैध हथियारों के निर्माण और खरीद-फरोख्त के कारोबार से जुड़े 12 लोगो को गिरफ्तार किया गया। इंदौर ग्रामीण झोन के पुलिस महानिरिक्षक राकेश गुप्ता के अनुसार अवैध हथियारों के निर्माण तथा खरीद-फरोख्त के खिलाफ़ चलाए गए "ऑपरेशन प्रहार" के तहत बड़वानी जिले में सात, धार जिले में एक, खरगोन जिले में तीन ओर बुरहानपुर जिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। पुलिस महानिरीक्षक के अनुसार इन लोगो की गिरफ्तारी के लिए मुखबिर तंत्र के साथ ही साइबर और ड्रोन तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है।

         प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन और इन्वेस्टर समिट को देखते हुए अवैध हथियारों के सौदागरों के खिलाफ की गई इस बड़ी कार्यवाहीं को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सबसे बड़ी कार्यवाहीं बड़वानी जिले में कई गई। जनवरी माह की 5 तारीख को जिला मुख्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता में जिला पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला ने बताया की बड़वानी जिला पुलिस ने अवैध हथियारों के विरुद्ध 2022 में भी बड़ी कार्यवाहियों को अंजाम दिया था। इसी क्रम में मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक एवं पुलिस महानिरिक्षक इंदौर ग्रामीण के निर्देशानुसार नियोजित तरीके से अवैध हथियार निर्माण के सभी ठिकानों पर दबिश देतें हुए उमरठी वरला, उंडीखोदरी पलसूद, नवलपुरा अंजड़ में कार्यवाहियों को अंजाम दिया गया।जिसमें 41नग फायर आर्म्स, बड़ी मात्रा में हथियार निर्माण की समाग्री एवं 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। सभी आरोपियों पर पूर्व से भी आर्म्स एक्ट सहित अन्य अपराध दर्ज है। कार्यवाहीं धार, खरगोन, बुरहानपुर में भी हुई किंतु बड़वानी जिले में सबसे अधिक अवैध हथियार और आरोपी पकड़े गए है। सवाल वही जो 20-25 वर्ष पूर्व से दोहराए जा रहे। अवैध हथियारों के इस सिलसिले पर कब पूर्ण विराम लगेगा। दरअसल अवैध हथियारों के लगभग सभी मामलों में सिकलीकर समाज का शामिल होना इस समाज की बदनामी के साथ-साथ सम्पूर्ण मध्यप्रदेश की बदनामी का कारण बना हुआ है। सिकलीकर समाज परंपरागत रूप से हथियार बनाने का कार्य करता आ रहा है। यह समुदाय दशम गुरु गोविंद सिंह जी की सेना के लिए हथियारों का निर्माण करता था। उस जमाने मे यह तीर, तलवार और ढालो का निर्माण करने में माहिर हुआ करते थे। यह समुदाय भारत के गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, और पंजाब में अधिक पाया जाता है। तीर, तलवार ओर ढालो का निर्माण करतें-करतें यह समाज बंदूकों के निर्माण में सिद्ध हस्त हो गया। स्वतन्त्र भारत मे आर्म्स एक्ट के प्रादुर्भाव के बाद यह कार्य आपराधिक कृत्य है। बावजूद यह समुदाय धन की लालच में मौत के सामान के निर्माण का आपराधिक कार्य कर रहा है। सिकलीकर समाज के अनेकों लोग जो पूर्व में यह अपराध करते थै, स्वप्रेरणा से इससे बाहर होकर मुख्य धारा से जुड़ गए है। इस समाज के लोगों ने हथियार निर्माण के आपराधिक कृत्य से दूरी बनातें हुए अन्य व्यापार, व्यवसाय करना शुरू कर दिया। अपने बच्चों को शिक्षा देकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का पुनीत कार्य किया है। इस समुदाय की और से तथा पत्रकारों की और से भी विशेष पैकेज की मांग की जाती रही है। यह मांग पूर्णत बेमानी सी लगती है। समाज विरोधी अपराध में रत किसी भी समाज की मांगों को सुनना सरकार की बाध्यता नहीं होना चाहिए। इस अपराध से बाहर आने की ईमानदार कोशिश समुदाय के लोगो को करना चाहिए।  सुदूर ग्रामीण क्षेत्रो में कबीलों की तरह रहने वाले सिकलीकर समाज को हथियार निर्माण के समाज विरोधी अपराध से दूर करने के गम्भीर प्रयास होना चाहिए। इसमे सबसे अधिक प्रयास समाज के अंदर से होने चाहिए। बरसों से अवैध हथियारों का निर्माण पश्चिमी मध्यप्रदेश के इन जिलों से होता आ रहा है। यहां के अवैध हथियार मध्यप्रदेश सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात सहित देश के अनेकों हिस्से में तस्करी के माध्यम से पहुँचतें है। जिस तरह बड़ी मात्रा में पुलिस अवैध हथियारों की बरामदगी करती है। उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस बड़ी मात्रा में यह निर्माण हो रहे है। यहां निर्मित अवैध हथियार तस्करी के माध्यम से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अपराधी हाथों तक पहुच रहे हैं। उमरठी, झंडी खोदरी, नवलपुरा सहित खरगोन, बुरहानपुर, धार के अवैध  ठिकानों से निकले हथियारों ने कितने मासूम ओर बेगुनाह लोगो की जान ले ली है, इन हथियारों ने कितने ही लोगों को सदा-सदा के लिए विकलांग भी बना दिया होगा। मौत के इस सामान का निर्माण कब पूरी तरह बन्द होगा। अवैध हथियारों के निर्माण और खरीद-फरोख्त का यह अंतहीन सिलसिला कब रुकेगा। यह सवाल मध्यप्रदेश सरकार के लिए अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। अवैध हथियार के निर्माण और खरीद-फरोख्त से जुड़े इस अपराध के उन्मूलन के लिए प्रभावी और निर्णायक कार्यवाहीं करने की आवश्यकता है। इसके लिए इस समाज से बातचीत कर दस्यु उन्मूलन की तरह आत्मसमर्पण भी एक तरीका हो सकता है। आपराधिक कार्य को परम्परा का रूप देकर इससे बचने के प्रयास नहीं किये जा सकतें है। तेजी से बढतें देश मे अवैध हथियार निर्माण और खरीद-फरोख्त के इस आपराधिक कार्य को पूर्ण रूप से खत्म किया जाना सभ्य समाज के लिए बेहद आवश्यक है। मध्यप्रदेश सरकार को अवैध हथियारों के निर्माण के इस अंतहीन सिलसिले को पूर्ण विराम देने के लिए सार्थक प्रयास करना चाहिए।

लेखक :- नरेंद्र तिवारी

जिला बड़वानी (म.प्र.)


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