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विकास की गाड़ी में लगा डबल इंजन!
जैसे इन दिनों देश में किस्म-किस्म के आमों की बहार है, वैसे ही उज्जैन में युवा नेताओं की भरमार है। 31 मई को कोरोना सीजन-2 में संक्रमित मरीजों की संख्या पहली बार इकाई यानी 9 पर पहुंची, तो भाई लोगों की बांछे खिल गईं। जैसे ऐलान कर दिया कि कोरोना 9-2-11 होने वाला है।
एक और महत्वपूर्ण बात: अंक ज्योतिष के लिहाज से 9 का अंक अत्यंत शुभ माना जाता है। हमारे इंदौर का तो ट्रैफिक कोड ही 9 है, तो बड़ी शान से बोलना पड़ता है कि हमारे तो 9 ही ग्रह बलवान हैं।
अब आ जाते हैं उज्जैन पर, जहां के सांसद के पास जो बुलेट है, उसका रजिस्ट्रेशन नंबर 9 से शुरू होता है अर्थात वे इंदौर से खरीदी गई बुलेट पर सवारी करना पसंद करते हैं।
उनके पीछे बैठे माननीय को तो आप अब तक पहचान ही गए होंगे। जी, हां, ये मोहन यादव ही हैं और इन दिनों मध्य प्रदेश के (उच्च शिक्षा विभाग के) काबीना मंत्री हैं। वैसे ये हर काम-काज, खासकर पब्लिसिटी लेने में, सबसे आगे रहते हैं, मगर इस तस्वीर को देखें तो भाई साहब आज पीछे बैठे दिखाई दे रहे हैं।
शोले में जय और वीरू की जोड़ी जब सड़कों पर कुछ इस तरह के करतब दिखाती है तो हम इसे "रील टाईम" मनोरंजन से ज्यादा महत्व नहीं देते। यदि दिल्ली में छोटा भाई-मोटा भाई कुछ इसी तरह की गलबहियां करते दृष्टिगोचर होते हैं, तो भी इसे "रीयल टाईम" बिजनेस ही मानते हैं।
मगर फिरोजिया-यादव की दुकड़ी 1 जून को मस्त नहा-धोकर और तिलक आदि काड़कर टाटा कंपनी द्वारा छिन्न- भिन्न कर दी गईं सड़कों को नाप रही है, तो इसके मायने तो ढूंढने ही पड़ेंगे।
क्या सांसद जी और विधायक-सह- मंत्रीजी ये संदेसा देना चाह रहे हैं कि हां वे दोनों अब 'दो जिस्म मगर एक जान' हैं? क्योंकि बीते दिनों ये चर्चा आम थी कि विचार और व्यवहार की दृष्टि से दोनों में कोसों-कोसों तक फिजिकल/सोशल डिस्टेंसिंग (दूरी) है!
आम लोगों के बीच ये चर्चा भी है कि दोनों युवा नेता कमर कस चुके हैं, शहर के विकास के लिए। कहा जा रहा है कि, दोनों ने अनलॉकिंग के पहले दिन अपने विरोधियों को ये जताने की चेष्टा की है कि, क्षिप्रा नदी के पश्चिम किनारे पर शहर का द्रुत गति से विकास करने में वे पीछे नहीं हटेंगे और ये भी कि सरकारी तौर पर मेडीकल कॉलेज की स्थापना में वे ही दोनों मील का पत्थर साबित होंगे।
अरे, अरे ये क्या..? मीडियावाले फिर दोनों को रास्ते से भटकाने पहुंच गए, सवाल दागने लग गए। आप आम लोगों को कोरोना संक्रमण का पाठ पढ़ाने निकले हो, खुद तो हेलमेट नहीं पहनकर ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हो...!
बता देना चाहता हूं कि, हमारे जनप्रतिनिधि बड़े शर्मीले हैं, लिहाज़ के मामले में भी उनका कोई सानी नहीं। सो, वे फ़ौज-फाटे के साथ तुरंत जा पहुंचे यातायात थाने और हेलमेट नहीं पहनने का जुर्म कबूलते हुए अपनी ही जेब से 250 रुपए का चालान कटा लिया।
बिन मांगी सलाह: भैया अनिल और दादा मोहन: आप कृपया कभी निराश नहीं होना! लगे रहना! भिड़े रहना! विकास का इंजन यूं ही दौड़ाते रहना!
लेखक- निरुक्त भार्गव, उज्जैन