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दुर्लभ हृदय दोष से मिली भाविका को नई जिंदगी
जटिल सर्जरी हुई सफल, घर में आई फिर खुशियां
माही की गूंज, खरगोन
गत 28 अगस्त 2020 को बड़वाह निवासी पुरूषोत्तम के घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया। घर में लक्ष्मी के आने की खुशियां यार, दोस्तों, पड़ोसियों सहित रिश्तेदारों ने खुशिया मनाई, लेकिन दो माह बाद ही भाविका ऐसी स्थिति में दिखाई दी, जिसको देख किसी भी माता-पिता का दिल दहल जाएं। भाविका जब सांस लेती, तो उसकी सांसों को 20 फिट तक घर्राहट के साथ सुना जा सकता था। मां का दूध पीने में भी बड़ी मुश्किल होती थी। बेटी की इस तकलीफ से माता-पिता दोनों ही हमेशा चिंता में रहने लगे। आखिरकार बड़वाह के अस्पताल में दिखाया, तो डॉक्टर ने किसी गंभीर बीमारी की आहट के बारे में बताया। इसके बाद फुलमाला बनाकर अपना पेट पालने वाला परिवार बिल्कुल सहम उठा था। ऐसी स्थिति में डॉक्टर मानसिंह चौहान ने जिला अस्पताल रेफर किया, तो शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सपना सिंह ने भाविका की गहन जांच की। साथ ही डॉक्टर ने इन्हें “एरोटापल्मनरी विंडो क्लोजर“ नामक बीमारी के बारे में बताया। पुरूषोत्तम को इस बीमारी के उपचार के लिए डॉक्टर ने उपाय भी सुझाया। इसके बाद पुरूषोत्तम डीआईसी मैनेजर विनोद परमार से मिलकर मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना में उपचार कराने की योजना बनाई। पूरी तैयारी करने के बाद पुरूषोत्तम अपनी बिटियां को लेकर इंदौर के राजश्री अपोलों अस्पताल में उपचार कराने के लिए पहुंचे। यहां डॉक्टर निशित भार्गव द्वारा सहित अन्य डॉक्टरों ने जटिल सफल सर्जरी की। अब भाविका इस दुर्लभ बीमारी से उभरकर पहले से कहीं बेहतर होने लगी है और उसका वजन भी बढ़ने लगा है। मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना में निःशुल्क उपचार के बाद पुरूषोत्तम के घर भाविका के नए जन्म की खुशियां आई है।
सिर्फ एक प्रतिशत जन्मजात हृदय दोष में पाई जाती है बीमारी
डॉ. संजय भट्ट ने बताया कि, एरोटापल्मनरी विंडो क्लोजर बहुत ही दुर्लभ हृदय का दोष है, जो जन्मजात हृदय दोषों में मात्र एक प्रतिशत से भी कम मामलों में पाया जाता है। इस रोग में हृदय से शरीर में रक्त ले जाने वाली महाधमनी और हृदय से फेफड़े तक रक्त ले जाने वाली धमनी के जुड़ने के स्थान पर छेद होता है, जो जन्मजात होता है। सामान्यतः रक्त फेफड़े की धमनी के माध्यम से फेफड़ों में बहता है, जहां रक्त में ऑक्सीजन मिलती है। इसके बाद रक्त वापस हृदय की ओर पहुंचता है और महाधमनी शरीर के बाकी हिस्सों में पंप किया जाता है। इस छेद के कारण महाधमनी से रक्त फेफड़े की धमनी में बहता है, जिसके परिणाम स्वरूप फेफड़ों में जरूरत से ज्यादा रक्त बहता है, जिससे कई तरह की समस्याएं हृदय में होने लगती है। छेद जितना बड़ा होता है रक्त उतना ही धमनी में प्रवेश करने में सक्षम होता है। हालांकि जटिल सर्जरी से इस दोष को दूर कर दिया है।