
आस्था, धर्म और परंपराओं की विरासत के सम्मान का मार्ग प्रशस्त होगा
केरल के श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के प्रबंधन और संपत्ति के संबंध में त्रावणकोर राज परिवार के अधिकार को बरकरार रखने का सोमवार (13 जुलाई 2020)को सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभूतपूर्व रहा। इस फैसले से आस्था, धर्म और परम्पराओ के महत्व को बढ़ावा मिलेगा और यह विरासत के सम्मान का मार्ग प्रशस्त करेगा। जहाँ तक धर्म और राजनीति का सवाल है तो इससे समाज में आम सहमति बनेगी।
केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन के बीच चल रहा कानूनी विवाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाकर खत्म कर दिया है। बता दें, मंदिर के प्रबंधन का अधिकार त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को दिया गया है। बता दें कि इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने मंदिर पर राज्य सरकार का अधिकार बताया था।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक माना जाता है। इतना ही नहीं इस मंदिर के चारों ओर गहरे रहस्य भी छिपे हुए हैं। माना जाता है कि आज भी मंदिर का सातवां दरवाजा हर किसी के लिए एक पहेली बना हुआ है। मंदिर के इस दरवाजे को आज तक कोई खोल नहीं सका है। हैरानी की बात यह है कि यह दरवाजा लकड़ी का बना हुआ है। इस दरवाजे को खोलने या बंद करने के लिए किसी तरह का कोई सांकल, नट-बोल्ट, जंजीर या ताला नहीं लगा हुआ है। दरवाजा कैसे बंद है, ये आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
मंदिर का इतिहास
यूं तो मंदिर में पद्मनाभ स्वामी की मूर्ति की स्थापना कब और किसने की, इस बात की कोई ठोस जानकारी किसी के पास नहीं है लेकिन, त्रावनकोर के इतिहासकार डॉ एल. ए. रवि वर्मा के अनुसार ये रहस्यमय मंदिर 5000 साल पहले कलियुग के पहले दिन स्थापित हुआ था।
मंदिर में 7 गुप्त तहखाने
मंदिर में 7 गुप्त तहखाने हैं और हर तहखाने से एक दरवाजा जुड़ा हुआ है। लेकिन साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक के बाद एक छह तहखाने खोले गए। इन तहखानों से कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ से ज्यादा कीमत के सोने-हीरे के आभूषण मिले, जो बाद में मंदिर ट्रस्ट के पास रखवा दिए गए। लेकिन जब आखिरी और सातवें दरवाजे को खोलने की बारी आई तो उसके पास पहुंचने पर दरवाजे पर नाग की भव्य आकृति खुदी हुई दिखाई दी। जिसके बाद दरवाजा खोलने की कोशिश रोक दी गई। माना जाता है कि इस दरवाजे की रक्षा खुद भगवान विष्णु के अवतार नाग कर रहे हैं और इसे खोलना किसी बड़ी आफत को बुलाना हो सकता है।
भगवान विष्णु शयन मुद्रा हैं
20 दिसंबर 2018 को मुझे भी भारत के केरल के इस प्रसिद्ध मंदिर में प्रभु कृपा से भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यहाँ मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर-दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में विष्णु भगवान शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।
तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृति व साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाड़ियों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित है पद्मनाभ स्वामी मंदिर का स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है।
पाठक लेखन
निशिकांत मंडलोई, इंदौर (म.प्र.)