मकर संक्रांति हमें यह संदेश देती है कि...
• सूर्य की भांति अपने इरादे और उद्देश्य ऊंचे रखें।
• जीवन में हौसला और उड़ान ऊंची होनी चाहिए, केवल सोचने से नहीं कोशिशों से लक्ष्य हासिल करें।
• ज्ञान के प्रकाश से अज्ञानरूपी अंधकार दूर करें। हर काम में पारदर्शिता को महत्व देते हुए संशय का कोई स्थान ही ना रहने दें।
• जिस प्रकार पतंग हवा की दिशा में अपना रुख कर लेती है उसी तरह जीवन में परोस्थितियों में अपने आप को ढाल लें। मुश्किलें आसान होंगी।
• पतंग की उड़ान तभी तक आनंद देती है जब तक डोर हाथ में होती है। उसी प्रकार हमारे मन और सफलता की भी डोर पर भी हमारा नियंत्रण जरूरी हो।
• गुड़ औऱ तिल दोनों के गुण भिन्न होते हुए भी साथ होकर मिठास का नेतृत्व करते हैं उसी प्रकार हम भी जीवन में अपने व्यवहार में गर्माहट और ऊर्जा, शब्दों में मिठास का समावेश करें।
• संक्रांति हमें बताती है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के यहाँ जाते हैं अर्थात मनुष्य जीवन में रिश्ते ही सबसे बड़ी पूंजी है इन्हें सहेजकर रखें। इन्हें समय समय पर प्रेम से पोषित करें यही जीवन की पूंजी है।
• आज से दिन बड़े होते हैं यानी काम का समय अधिक व आराम का कम अर्थात क्रियाशील बनें व आलस्य से बचें।
• जीवन के शुभ कार्यों की शुरुआत का संकेत भी संक्रांति देती है। कारोबार से लेकर रिश्तों तक शुभ कार्यो की शुरुआत करें।
• अगर पतंग कट जाए तो दुखी ना हों फिर दूसरी उड़ाना प्रारम्भ करें। जीवन में भी जीत हार ना सोचें, परिस्थितियों का आनंद लें। एक असफलता हमेशा दूसरी कोशिश की शुरुआत होती है। परिस्तिथियों से घबराएं नहीं, प्रतिकूल परिस्तिथियों में भी जीवन का आनंद लें।
लेखक :- निशिकांत मंडलोई
इंदौर (म.प्र.)