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दिया तले अंधेरा... कुम्हार के लिए फूटी हांडी भी नहीं...
01, May 2025 5 months ago

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माही की गूंज, खवासा।

    वरिष्ठ आदिवासी नेता स्वं दिलीप सिंह भूरिया मंचो से अक्सर कटाक्ष करते हुए कहते थे कि, नाचे कूदे वान्दरी और खीर खाए फकीर। ऐसे ही एक कहावत है कि, दिया तले अंधेरा और कुम्हार अक्सर फूटी हांडी में ही खाता है। कहावत अलग-अलग है भावार्थ भी अलग-अलग है लेकिन मूल भावना एक ही है और वो है की मेहनत करने वाले के लिए कुछ भी नहीं या जो दीपक पूरे कमरे को जंगमगाता है उसी के तल में अंधेरा रहता है। कुछ ऐसा ही माजरा झाबुआ जिले में माही तट पर बनने वाले बैराज (डेम) की है। जिसके निर्माण के लिए शासन द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। निर्माण एजेंसी जल संसाधन विभाग झाबुआ है और पूरी योजना का लाभ रतलाम और धार जिले के लगभग एक हजार से अधिक गांव के लिए पेयजल के रूप में मिलेगा। जबकि झाबुआ जिले के अधिकांश गांव पेय जल संकट का सामना कर रहे हैं। यही नहीं निर्माणधीन बेराज से महज 15 कि.मी. दूर बसे थांदला विधानसभा के महत्वपूर्ण गांव खवासा में पिछले दिनों पेयजल संकट के समाधान के लिए महिलाओं द्वारा खाली बर्तनों के साथ प्रभावी प्रदर्शन किया गया। उसके बावजूद क्षेत्र के लिए इस योजना का कोई लाभ फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है। यानी बैराज जिले में बनेगा और लाभ आस पास के जिले को मिलेगा। जबकि होना यह चाहिए कि, पहले जिले को लाभ मिले और शेष पानी का लाभ आसपास के जिले को मिले। जिससे दिया तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ न हो।

    खवासा क्षेत्र के अंतिम छोर पर बह रही माही नदी पर जल संसाधन विभाग झाबुआ द्वारा ग्राम कुकड़ीपाड़ा में जिस कार्य का नाम तलावड़ा बांध निर्माण है। यह डेम माही नदी पर बनने वाला सबसे बड़ा डैम माना जाएगा। इसकी भराव क्षमता 67.02 एमसीएम है। उक्त डेम बनने के बाद इस पानी का उपयोग सिर्फ पेयजल हेतु होगा। सरकार की महत्वपूर्ण योजना के तहत इस बांध का निर्माण किया जा रहा है जो सराहनीय है। और इस डेम से रतलाम व धार जिले के 1 हजार से अधिक ग्रामो को पेयजल हेतु जल प्रदाय किया जाएगा। उक्त जलप्रदाय हेतु रतलाम जिले के रावटी क्षेत्र में जलप्रदाय प्रोजेक्ट 2 हजार करोड़ से अधिक राशि खर्च के साथ कार्य योजना की शुरुआत कर दी गई है। और उक्त कार्य भी जल संसाधन विभाग झाबुआ द्वारा ही किया जा रहा है। लेकिन विडम्बना यह की, जीस योजना का क्रियान्वयन झाबुआ एवं झाबुआ जिले के परिसीमन में हो तो जरूर रहा है लेकिन इसका लाभ पेयजल हेतु पूरे झाबुआ जिले के ग्रामो को तो ठीक खवासा व खवासा क्षेत्र की 20 पंचायतो तक को यहंा बनी या बनाई जा रही जल जीवन जल मिशन के तहत टंकियांे तक जल प्रदान की कोई योजना सरकार की नहीं है। जिस से जलप्रदाय प्रोजेक्ट व डेम की ढाई सौ करोड़ करीब कि इस निर्माण कार्य के बाद भी झाबुआ जिले को तो ठीक खवासा क्षेत्र तक को जलप्रदाय हो सके इसका कोई प्रोजेक्ट सरकार का नहीं है। जिसके चलते जहां डेम बनने की खुशी तो क्षेत्रवासियों को है। लेकिन दिया तले अंधेरा की कहावत के साथ कुम्हार के लिए फूटी हांडी भी नसीब में नहीं की तर्ज पर क्षेत्रवासियो में निराशा है। क्या जल संसाधन विभाग या सरकार इस और ध्यान देगा और कम से कम झाबुआ जिले में न हीं तो खवासा क्षेत्र तक की पंचायतो के लिये झाबुआ जिले की धरा पर बन रहे इस बांध का पानी मिल सके इसका प्रोजेक्ट बनाएंगे या फिर निराशा ही क्षेत्रवासियों को हाथ लगेगी। यह तो जल संसाधन विभाग या सरकार ही बता सकती है। लेकिन सरकार में बैठे जिले के जनप्रतिनिधियों व विपक्ष में बैठे जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि, वह अपने प्रयास से झाबुआ की धरा पर बन रहे इस डेम का पानी झाबुआ जिले या कम से कम खवासा क्षेत्र की पंचायतो के रहवासियों को पिने के लिए पानी मिले जिसका अथक प्रयास करें। और कहा जाता है कि, प्रयास करने वाले की कभी हार नहीं होती है। और जनता की मंशा अनुसार अगर जनप्रतिनिधियो द्वारा यह प्रयास किया जाता है तो यह प्रयास अवश्य सफल होगा यह क्षेत्र वासियों का मानना है।

तीन से पांच वर्ष में होगा कार्य

    उक्त डेम का बेसिक कार्य शुरू हो गया है और जब मौके पर माही की गूंज प्रतिनिधि की विभाग के पेटलावद एसडीओ धीरज जामोद से चर्चा हुई तो बताया, डेम का बेसिक कार्य शुरू हो गया है। उक्त डेम निर्माण को 3 वर्ष में पूर्ण करना है पर 3 से 5 साल में यह डेम का कार्य पूर्ण होगा।

रतलाम जिले के महुडीपाड़ा (रावटी) में 2017 करोड़ से रतलाम व धार जिले के ग्रामो तक जल प्रदाय का प्रोजेक्ट का कार्य भी शुरू।



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