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मोहन राज में नौकरशाही बेलगाम
05, Jun 2025 1 month ago

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जनप्रतिनिधि हुए बे-काम

माही की गूंज,  संजय भटेवरा

    खवासा/झाबुआ। आजादी का अमृत महोत्सव मना चुके देश में पिछले 11 वर्षों से केंद्र में तथा 22 वर्षों से (15 माह छोड़कर) प्रदेश में  सत्तासीन विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली पार्टी के शासन काल में अगर महिलाओं को पेय जल की समस्या के निदान हेतु खाली बर्तनों के साथ रैली निकालना पड़े और उसके बाद भी प्रशासनिक नुमाइन्दो के कान पर जू तक न रेंगे तो इसे आप क्या कहेंगे ...?

    भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस का दावा करने वाली भाजपा की सरकार में ही लगभग 50 लाख की ढोलखरा नल जल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। और पिछले कई वर्षों से खवासावासी भीषण पेयजल संकट का दंश झेल रही है।

    इस बार नारी शक्ति ने कमान अपने हाथ में ली और जनपद उपाध्यक्ष जो कि, भाजपा समर्थित ही है श्रीमती माया देवी प्रेम सिंह चौधरी के नेतृत्व में खाली बर्तनों के साथ मार्च माह में प्रभावी रैली निकालकर ज्ञापन सोपा था। प्रयास यह था कि, प्रशासन के नुमाइन्दे कुंभ कर्णी नींद  से जागे और इस गंभीर समस्या के प्रति संवेदनशीलता का रवैया अपना कर नर्मदा की पाइप लाइन जो की खवासा से मात्र चार-पांच किलोमीटर दूर निकल रही है उसका आउटलेट खवासा के तालाब क्रमांक 1 के लिए खोल दे। प्रभावी रैली और खाली बर्तनों की गूंज के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों की मोटी चमड़ी पर कोई असर नहीं हुआ। उसके बाद गांव की नारी शक्ति ने एक बैठक आयोजित करके 31 मई को स्थानीय बस स्टैंड पर धरना प्रदर्शन का ऐलान किया और नियत तिथि पर प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना देकर बड़ी संख्या में महिला-पुरूष धरने पर बैठे। सब की केवल एक ही मांग थी कि, नर्मदा का जल जिसकी घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी जन दर्शन यात्रा के दौरान थांदला की सभा में कही थी वह खवासा वासियो को मिले।

    दोपहर तक किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने धरना स्थल पर पहुंचना उचित नहीं समझा उसके बाद धरना दे रही महिलाओं ने प्रशासन को चक्का जाम करने की चेतावनी दे डाली। जिसके पश्चात दोपहर 3 बजे पश्चात एसडीओपी रविंद्र राठी, खवासा चौकी प्रभारी एडमिरल तोमर, राजस्व विभाग से प्रभारी तहसीलदार अनिल बघेल, नायब तहसीलदार पलकेश परमार तथा नर्मदा माइक्रो उद्धवहन सिंचाई परियोजना धार के असिस्टेंट इंजीनियर विश्राम कन्नौज धरना स्थल पर पहुंचे। और कहा कि, हम प्रपोजल बनाकर भेज देंगे और जो भी निर्देश मिलेगें  उसकी सूचना आपको दे दी जाएगी, इसके बाद धरना स्थगित किया गया।

सांसद के आश्वासन पर भी कोई प्रतिक्रिया नही

    प्रशासनिक अधिकारियों ने धरना तो स्थगित करवा दिया लेकिन कई अनसुलझे जवाब छोड़कर चले गए। जीसके बाद ग्रामीणों में यही चर्चा का विषय रहा कि, मोहनराज में प्रशासनिक अधिकारी इतने बेलगाम हो चुके हैं कि, ज्ञापन को आगे पहुंचाना तक उचित नहीं समझते हैं। दो  माह पूर्व रैली निकालकर दिए गई ज्ञापन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही सांसद के आश्वासन के बाद भी कोई प्रतिक्रिया विभागीय अधिकारियों ने देना उचित समझा। जबकि खाली बर्तनों की गूंज के बाद क्षेत्रीय सांसद खवासा पहुची थी और समस्या को हल करवाने का आश्वासन भी महिलाओं को दिया था। लेकिन न तो सांसद की सुनी गई और न ही जनपद उपाध्यक्ष की सुनी गई जो भाजपा समर्थित ही है।

भाजपा नेता रहे धरने से दूर

    पूरा आंदोलन महिलाओं के नेतृत्व में किया गया जिसका नेतृत्व भाजपा समर्थित जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती माया देवी प्रेम सिंह चौधरी ने किया। लेकिन पूरे आंदोलन से स्थानीय भाजपा नेताओं ने दूरी बनाए रखी जो ग्राम में चर्चा का विषय रही। यही नहीं भाजपा  समर्थित सरपंच भी इस धरना प्रदर्शन में शामिल हुई। जिसके बाद जनपद उपाध्यक्ष माया देवी ने कहा कि, यह आंदोलन गांव की समस्या को हल करवाने के लिए किया गया है, हम पार्टी (भाजपा)  के खिलाफ नहीं है। जिसके बाद ग्रामवासियो में भाजपा नेताओं की इस कार्यक्रम से दूरी चर्चा का विषय रही। वहीं कई लोगों का कहना था कि, पर्ची वाले मुख्यमंत्री के कार्यकाल में प्रशासनिक अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं वो जनप्रतिनिधियों की वाजिब  मांगों को भी नजर अंदाज कर देते हैं जिससे आम जनता के मन में शासन की छवि नकारात्मक बन रही है। अगर इतने वर्षों के शासनकाल के बावजूद पानी जैसी मूलभूत समस्या का हल जनपद उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठी महिला नहीं सुलझा पा रही है। ऐसे में शासन का महिला सशक्तिकरण का दावा भी खोखला ही साबित हो रहा है।

 विपक्ष भी विफल

    जो काम विपक्ष का है वही काम सत्ता पक्ष के जिम्मेदार पदों पर बैठे जनप्रतिनिधियों को करना पड़ रहा है। इसके बावजूद समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है। महिलाओं ने शासन प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर उनकी वाजिब मांग की इसी प्रकार अनदेखी की जाती रही तो वो अपना आंदोलन और तेज करेगी। अब देखना ये ही की इस  चेतावनी को प्रशासनिक अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते हैं।




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