Friday, 19 ,April 2024
RNI No. MPHIN/2018/76422
: mahikigunj@gmail.com
Contact Info

HeadLines

कलेक्टर की बड़ी कार्यवाही, जिले के 15 निजी स्कूलों पर 2-2 लाख रु. का जुर्माना अधिरोपित | बमनाला में दिलाई गई मतदान करने की शपथ | थांदला माटी के संत 108 श्रीपुण्यसागरजी महाराज 19 वर्षों बाद करेंगें थांदला में मंगल प्रवेश, संघजनों में अपार उत्साह | ईद-उल-फितर की नमाज में उठे सैकड़ों हाथ, देश में अमन चैन, एकता व खुशहाली की मांगी दुआएं | ईदगाह से नमाज अदा कर मनाया ईद उल फितर का त्योहार, दिनभर चला दावतों का दौर | आबकारी विभाग द्वारा अवैध मदिरा के विक्रय के विरुद्ध निरंतर कार्यवाही जारी | श्री सिद्धेश्वर रामायण मंडल ने किया गांव का नाम रोशन | नागरिक सहकारी बैंक झाबुआ के भ्रत्य को अर्पित की श्रद्धांजलि | चुनरी यात्रा का जगह-जगह हुआ स्वागत | रक्तदान कैंप का हुआ आयोजन | रुपए लेने वाले दो व्यक्तियों का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित, पुलिस कॉन्स्टेबल निलंबित | बस में मिली 1 करोड़ 28 लाख रुपए की नगदी एवं 22 किलो 365 ग्राम चांदी की सिल्ली | मानवता फिर हुई शर्मसार | आई गणगौर सखी देवा झालरिया आस्था का पर्व | दोहरे हत्याकाण्ड का में फरार सभी 14 आरोपियो की संपत्ति कुर्की हेतु की जाएगी कार्यवाही | नवीन शिक्षण सत्र के प्रथम दिन विद्यार्थियों को तिलक लगाकर किया स्वागत | श्रीसंघ ने कान गुरुदेव के उपकारों का याद करते हुए दी श्रद्धांजलि | बड़े हर्ष के साथ मनाई शीतला सप्तमी | रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया का किया स्वागत | धूमधाम से मनाया ईस्टर पर्व |

प्रभु की दुकान
Report By: पाठक लेखन 17, May 2021 2 years ago

image

     एक दिन में सड़क से जा रहा था, रास्ते में एक जगह बोर्ड लगा था, ईश्वरीय किराने की दुकान, मेरी जिज्ञासा बढ़ गई क्यों ना इस दुकान पर जाकर देखो इसमें बिकता क्या है? 

      जैसे ही यह ख्याल आया दरवाजा अपने आप खुल गया, जरा सी जिज्ञासा रखते हैं तो द्वार अपने आप खुल जाते हैं, खोलने नहीं पड़ते, मैंने खुद को दुकान के अंदर पाया। 

     मैंने दुकान के अंदर देखा जगह-जगह देवदूत खड़े थे, एक देवदूत ने मुझे टोकरी देते हुए कहा, मेरे बच्चे ध्यान से खरीदारी करना, यहां सब कुछ है जो एक इंसान को चाहिए है, देवदूत ने कहा एक बार में टोकरी भर कर ना ले जा सको, तो दोबारा आ जाना फिर दोबारा टोकरी भर लेना।

     अब मैंने सारी चीजें देखी, सबसे पहले धीरज खरीदा, फिर प्रेम, फिर समझ, फिर एक दो डिब्बे विवेक भी ले लिया, आगे जाकर विश्वास के दो तीन डिब्बे उठा लिए, मेरी टोकरी भरती गई। 

     आगे गया पवित्रता मिली सोचा इसको कैसे छोड़ सकता हूं, फिर शक्ति का बोर्ड आया शक्ति भी ले ली, हिम्मत भी ले ली सोचा हिम्मत के बिना तो जीवन में काम ही नहीं चलता, आगे सहनशीलता ली फिर मुक्ति का डिब्बा भी ले लिया।

     मैंने वह सब चीजें खरीद ली जो मेरे प्रभुवर को पसंद है, फिर एक नजर प्रार्थना पर पड़ी मैंने उसका भी एक डिब्बा उठा लिया, वह इसलिए कि सब गुण होते हुए भी अगर मुझसे कभी कोई भूल हो जाए तो मैं प्रभु से प्रार्थना कर लूंगा कि मुझे भगवान माफ कर देना। 

     आनंदमय होते हुए मैंने बास्केट को भर लिया, फिर मैं काउंटर पर गया और देवदूत से पूछा सर -मुझे इन सब समान का कितना बिल चुकाना है? 

     देवदूत बोला, मेरे बच्चे यहां बिल चुकाने का ढंग भी ईश्ववरीय है, अब तुम जहां भी जाना इन चीजों को भरपूर बांटना और लुटाना, इन चीजों का बिल इसी तरह चुकाया जाता है। 

     कोई- कोई विरला इस दुकान पर प्रवेश करता है, जो प्रवेश कर लेता है वह मालो- माल हो जाता है, वह इन गुणों को खूब भोगता भी है और लुटाता भी है। 

     प्रभू की यह दुकान का नाम है सत्संग की दुकान, सब गुणों के खजाने हमें ईश्वर से मिले हुए हैं, फिर कभी खाली हो भी जाए तो फिर सत्संग में आ कर बास्केट भर लेना। 

     प्रभू की इस दुकान से एक चीज भी ग्रहण कर सकु ऎसी कृपा करना प्रभु!


प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
युवा लेखक/स्तंभकार/साहित्यकार
लखनऊ, उत्तर प्रदेश



माही की गूंज समाचार पत्र एवं न्यूज़ पोर्टल की एजेंसी, समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करे... मो. 9589882798 |