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मध्यमवर्गीय को बैंको के लोन में दी गई इएमआई रियायत की एक समीक्षा
Report By: पाठक लेखन 02, May 2020 4 years ago

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किस्तें नहीं देने पर 10 से 13 महीने बढ़ सकती है आपके लोन की अवधि जानिए कैसे...
        लगभग सभी प्राइवेट और निजी बैंकों ने अपने ग्राहकों को इएमआई  के पेमेंट में मोहलत का विकल्प दिया है, ये आरबीआई के निर्देश के बाद ऐसा किया है। देशभर में लॉकडाउन से जिन लोगों का काम ठप हो गया है या इनकम बंद हो गई है, वे इस विकल्प का फायदा उठाने की सोच रहे हैं. वैसे तो बैंकों ने अब तक राहत पैकेज का ब्योरा नहीं पेश किया है. लेकिन, इतना साफ है कि बैंकों ने केवल तीन महीनों के लिए इएमआई के पेमेंट को टाला है, इस अवधि के दौरान बकाया रकम पर वे बाद में ब्याज वसूलेंगे, लिहाजा इस विकल्प को चुनने में बड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है। उदाहरण और अलग-अलग स्थितियों में इस पूरे गणित के बारे में समीक्षा की गई है, दरअसल लोन की तीन किस्तें न देने पर आपके लोन की अवधि 10 से 13 महीने तक बढ़ सकती है या फिर इससे इएमआई की रकम में 1.5 फीसदी का इजाफा हो सकता है। वैसे इसमें तीन स्थितियां बनती दिख रही हैं।
पहलीः- अप्रैल, मई और जून में लगे ब्याज को जुलाई में एकमुश्त भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है। 
दूसरीः-  ब्याज को बकाया लोन के साथ जोड़ा जा सकता है और बचे हुए महीनों के लिए इएमआई बढ़ सकती है। 
तीसरीः- इएमआई अगर नही बढाई जाती है तो, लोन की अवधि बढ़ा दी जा सकती है। 
   इएमआई की अतिरिक्त संख्या लोन की अवधि पर निर्भर करेगी। मान लेते हैं कि, किसी ग्राहक ने 9 फीसदी की दर से 20 लाख रुपये का लोन 20 साल के लिए लिया है, उस मामले में इएमआई लगभग 18 हज़ार रुपये आएगी, अगर वह अपनी अगली तीन इएमआई अप्रैल, मई और जून की नहीं देना चाहता है तो, हमारी समीक्षा अनुसार उदाहरण के साथ पुरी गणित को समझे कि, कैसे भुगतान की अवधि में बदलाव आएगा। 
   उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपका लोन 20 लाख का है और किश्त लगभग 18000 की आ रही है, आपके लोन कि अवधि 1 वर्ष यानी 12 माह से आप समय पर किश्त भर रहे है, जिसमे 12 माह बाद आपका मूल लगभग 19,59,264 रूपए बचा हुआ होगा, यानी आपने लगभग 2 लाख 16 हजार भर दिया है और मूल में लगभग 40,736 रूपए जमा हुआ और ब्याज में लगभग 1,75,264 रूपए चला गया, अब आप तीन माह तक इएमआई नही भरेंगे तब आपको ब्याज अप्रेल में 14,719, मई में 14,694 और जून में 14,669 कुल 44,082 रूपए देना होगा। अगर बैंक हर माह मूल में जोड़ कर ब्याज लगाएगी तो, ब्याज की राशि और बढ़ सकती है। सीधा मतलब है कि, 2,16,000 भरकर 40,736 लोन में जमा करवाया और 3 किश्त सरकार रोक कर लगभग 44,082 रूपए ब्याज वसूलेगी, 3 महीने बाद आपका लोन 20 लाख की जगह, लगभग 20 लाख 3 हजार 346 रूपए हो जायेगा। 
   साफ है कि, लोन की अवधि जितनी ज्यादा बची हुई होगी, ब्याज का असर उतना अधिक पड़ेगा। कारण है कि, शुरुआती सालों में इएमआई में ब्याज का हिस्सा बहुत ज्यादा होता है, यह धीरे-धीरे नियमित किस्तो के साथ कम होता जाता है। यहां तक कि, एक साल बाद भी इएमआई में करीब 80 फीसदी हिस्सा ब्याज का ही होता है, लेकिन, 19 वें साल के बाद इएमआई में ब्याज का हिस्सा 10 फीसदी से कम रह जाता है। इस तरह जिन लोगों की लोन की अवधि नियमित रूप से 10-15 वर्ष की हो चुकी हो, उस राशि पर ब्याज का बोझ ज्यादा नहीं पड़ेगा। वहीं जिनको लोन लिए 2-3 वर्ष ही हुए है, उन पर ब्याज का भार काफी ज्यादा बढेगा। विडंबना यह है कि, जिन लोगों के लोन काफी समय से चल रहे हैं, शायद उन्हें बैंकों की ओर से मिल रही मोहलत की उतनी जरूरत न हो जितना नए लोन के मामले में हो। 
   निष्कर्ष यही है कि, इस महामारी में मध्यमवर्गीय मजबूर लोग जो चाह कर भी इएमआई नही भर पायंगे उन्हें 1 से लेकर 2 वर्ष पीछे जाना पड़ेगा और लोन की राशि अनुसार प्रति लोन धारक व्यक्ति का 20 लाख के लोन पर, लगभग 2 लाख 50 हजार का अतिरिक्त ब्याज का नुकसान होगा। 
               पंकज भटेवरा बामनिया (झाबुआ) म.प्र.
                 पाठक की देशहित में अपनी समीक्षा
 




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