लिखने वाला में हु लेकिन इसे पढ़ने वाले हर शख्स को लगेगा कि ये उसके मन मे भी यही बात है । इस कोरोना काल मे प्रशासन के रवैये में ये देखने को मिल रहा है कि हमारा देश, प्रान्त एक नही है जहाँ जो मुखिया है वही उस इलाके का राजा है उसे परिस्थितियों से भावनाओ से या किसी भी आमजन की समस्या से कोई सरोकार नही है उन्हें सिर्फ यही जताना है कि इस इलाके में मैं जो चाहूंगा वही होगा आज एक अखबार में खबर देखने को मिली कि रतलाम नामली में हाट बाजार में भीड़ उमड़ी ओर अच्छी ग्राहकी देखने को मिली *सभी दुकानों पर रौनक रही* इसी तरह सरवन, बेडदा, केलकच्छ, चंद्रगढ़, अमरगढ़(सरवन) जैसे गाँवो में त्यौहार को देखते हुए शनिवार-रविवार को टोटल लॉकडाउन नही रहेगा। रतलाम प्रशासन ने भी त्यौहार को देखते हुए शनिवार को लॉकडाउन हटाया । क्यो क्या वहा का प्रशासन आम जनता का रक्षक नही है या वहा कोरोना का खतरा खत्म हो गया ?? या वहाँ का प्रशासन आम लोगो की भावना और आर्थिक परिस्थितियों में उनके साथ खड़ा है ये हमारे लिये सोचने की बात है । एक ही सीमा से लगे दो जिलों के आलाधिकारीयो की सोच में इतना फर्क क्यो ?? इसमे मेरा नजरिया है कि, हम (आमजन) अगर किसी भी मांग या आवेदन को लेकर किसी अधिकारी जैसे चौकी प्रभारी, थाना प्रभारी, एसडीओपी, तहसीलदार, एसडीएम, एसपी, कलेक्टर आदि के पास जाते है तो क्या हमें इतनी आजादी है कि उनसे हम हमारे मन मे जो विचार लेकर गए उसके लिए खुल कर चर्चा कर सके शायद नही उदाहरण के लिये हम त्यौहार के लिये बाजारों में आंशिक छूट की मांग लेकर जाते है और अपने विचार खुलकर रखे कि "महोदय क्या हमारी दुकानों से ही संक्रमण फैलता है बैंको से, कृषि बीज,दवाई दुकानों से, मेडिकल से ओर नेताओ की सभाओं से संक्रमण नही फेल रहा है तो निशाना हमारी दुकानों को ही क्यो बनाया जाता है।" अगर हमने ये बात उनके सामने रखी तो हमे उसके लिये जवाब नही मिलेगा उस समय अधिकारी के अंदर का घमण्डी इंसान जाग जायेगा ओर हमे लताड़ते हुए डराने धमकाने लगेगा और ज्यादा हमने बात करने की कोशिश की तो किसी भी तरह से *शाशन के कार्य मे बाधा* जैसी कार्यवाही करके अपना रूतबा ऊँचा रखेगा। ये हमारे देश के 99% अधिकारियों की हकीकत है। हम अगर नजदीकी जिले के फैसले आदि भी उनके सम्मुख रखेंगे तो वो ऐसे बात करेंगे जैसे वे उस इलाके के मालिक है और ये हमारे इलाके के मालिक है इनकी मर्जी होगी वही होगा । परिस्थितियों से कोई लेना देना नही है। अगर यही परिस्थितिया आगे भी रहेगी तो आमजन कोरोना से कम बेरोजगारी से ज्यादा मरेंगे ओर अफसर शाही हमारी जिंदगी पर हावी होने लगेगी। लोकतांत्रिक देश मे विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी से अपने विचार माही की गूंज के माध्यम से आपके सम्मुख रख रहा हु।
कोरोना काल में अफसर ही राजा फिर भी मेरा भारत महान?
जय हिन्द-जय भारत
पाठक
पंकज भटेवरा बामनिया जिला - झाबुआ (म.प्र.)