कमला पसन्द की नापसंदगी महानायक की नैतिकता
Report By: पाठक लेखन 18, Oct 2021
3 years ago
महानायक अभिताभ बच्चन ने अपने 79 वें जन्मदिन पर कमला पसंद पान मसाला के विज्ञापन से अचानक दूरी बनाते हुए विज्ञापन का करार खत्म करने का निर्णय लिया और प्रमोशन की राशि भी लौटा दी। कमला पसंद के विज्ञापन करने पर अभिताभ को काफी आलोचना का शिकार भी होना पड़ा था। देर से ही सही अभिताभ ने कमला पसंद का विज्ञापन नहीं कर नैतिकता का उदाहरण पेश किया है। ऐसे समय जब बढ़ती व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा में नैतिकता की परवाह कम ही कि जा रही है, अभिताभ का यह फैसला उनके असली महानायक होने का प्रमाण है। दरअसल पान मसाला स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। फिल्मी सितारों द्वारा किया गया विज्ञापन युवाओं को पान मसाले के सेवन की ओर प्रेरित करता है।
इस व्यवसायिक युग मे हम देख रहें है कि अपने उत्पाद की बिक्री के लिए दृश्य एवं श्रवण माध्यमो से लगातार विज्ञापनों का प्रसारण किया जाता है। जो आमजन को प्रभावित करते है। एक आम धारणा फिल्मी दुनियाँ के लिए भी बन गयी है कि यहां नैतिकता की परवाह नहीं कि जाती और धन के लिए किसी भी प्रकार के विज्ञापनों को करने से कोई गुरेज नहीं किया जाता अभिताभ का यह फैसला फिल्मी दुनियाँ के कलाकारों को यह संदेश देने वाला है कि तम्बाखू एवं शराब के विज्ञापनों को नहीं करना चाहिए।
नैतिकता एक दार्शनिक अवधारणा है। जो मानव जीवन के सुखमय जीवन को आकार देने के लिए मनुष्य के व्यवहार को निर्धारित करती है। बिना नैतिकता मनुष्य का जीवन पशु समान है। नैतिकता का हमारे जीवन मे बहुत बड़ा स्थान है। नैतिकता के मूल्यों से ही देश समाज और परिवारों में आदर्श व्यवस्था स्थापित होती है। जीवन के किसी भी श्रेत्र में नैतिकता के मूल्यों का होना बहुत जरूरी है। इसके बिना आदर्श समाज की कल्पना करना भी सम्भव नही है।
आजकल राजनिति के श्रेत्र में भी नैतिकता के अभाव की बहुत चर्चा है। अपनी दलीय निष्ठा के चलते हमारे नेतागण सही को सही भी नही कह पाते। कभी-कभी तो गलत को सही कहने पर भी मजबूर हो जाते है। लखिमपुर ख़िरी की घटना का यहां जिक्र जरूरी है। जहा किसानों के शांति पूर्ण मार्च पर वाहन चढ़ा दिया गया। किसानों को बेरहमी से कुचलने की यह घटना शर्मसार करने वाली है। इस घटना में नैतिकता का आधार तो यह कहता है कि घटना की जांच होने तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। किन्तु नैतिकता के मापदण्डो का खुला मख़ौल उड़ाते हुए अभी तक न तो मंत्री जी ने इस्तीफा दिया न दल ने प्रयास किये। जनता नैतिकता के मूल्यों का आदर करती है। अनैतिक निर्णयों को वक्त आने पर सजा भी देती है। नेताओं के साथ-साथ प्रशासन में भी नैतिक मूल्यों का होना जरूरी है। धन की लालसा ओर नेताओ के अहम की पूर्ति के लिए अफसरों का गलत फैसला लेना भी अनैतिक आचरण है।
अभिताभ का कमला पसन्द पान मसाला के विज्ञापन के सबन्ध में प्रदर्शित नापसंदगी नैतिकता का उदाहरण है। फिल्मी कलाकर के तौर पर अभिताभ का आचरण सदैव समाज को दिशा देने वाला रहा है। वें भारत ही नहीं दुनियाँ के लिए महानायक है। उन्होंने अपनी फिल्मों में भी एक ऐसे अभिनेता का किरदार निभाया जो समाज में व्याप्त शोषण और अन्याय के विरुद्ध लड़ता हुआ दिखाई देता है। पान मसाले के विज्ञापनों को नहीं करने का निर्णय भी एक महान कलाकार का समाज को संदेश है। अभिताभ की नैतिकता समाज मे आदर्श स्थिति के निर्माण में सहायक होगी। यह सन्देश सिर्फ फिल्मी कलाकारों में ही नहीं अपितु नेताओं, व्यवसायियों, अफसरों ओर आमजनों के लिए प्रेरणादायी होगा ऐसी आशा की जानी चाहिए।
लेेेखक:- नरेन्द्र तिवारी
सेंधवा, जिला बड़वानी (म.प्र.)